Temple rules for women: मंदिर में खुले बाल छोड़कर जाना क्यों माना जाता है अशुभ
punjabkesari.in Monday, Aug 25, 2025 - 06:00 AM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Temple rules for women: हम सभी ने अपने जीवन में बहुत सी ऐसी बातें सुनी होंगी, जिन्हें सुनकर या तो हम गहरी सोच में पड़ जाते हैं या फिर उनके पीछे की वजह जानने के लिए उत्सुक हो जाते हैं। शास्त्रों में भी ऐसी कई बातें वर्णित हैं। जैसे महिलाओं को किस दिन बाल धोने चाहिए,.मासिक धर्म में किन कार्यों से बचना चाहिए या फिर श्रृंगार कब करना चाहिए। इन्ही में से एक है मंदिर में खुले बाल छोड़कर नहीं जाना चाहिए। अक्सर आपने अपने घर के बड़ों या बुजुर्गों को कहते सुना होगा कि जब भी मंदिर जाएं, तो हमेशा बाल बांधकर ही जाना चाहिए। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर ऐसा क्यों कहा जाता है? इसके पीछे आखिर क्या कारण हो सकता है। क्या ये सिर्फ एक प्रथा है या कोई अंधविश्वास है या फिर इसके पीछे है कोई धार्मिक, वैज्ञानिक और सामाजिक कारण। तो आइए जानते हैं कि मंदिर में खुले बाल छोड़कर जाना क्यों माना जाता है अशुभ।

शास्त्रों के अनुसार, कोई महिला खुले बालों के साथ पूजा-पाठ या कोई शुभ कार्य करती है, तो वह अधूरा माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि खुले बालों के साथ की गई पूजा देवताओं को पसंद नहीं आती और इससे उनके क्रोध का भय रहता है। माना जाता है कि इस कारण घर-परिवार पर अशुभ प्रभाव भी पड़ सकता है।
वहीं, ज्योतिष शास्त्र में भी बालों को नकारात्मकता के साथ जोड़ा जाता है। दरअसल ऐसी मान्यता है कि खुले बालों में नकारात्मक ऊर्जा बहुत जल्दी प्रवेश करती है। इसी वजह से महिलाओं को बांधकर और सिर ढक कर ही मंदिर में प्रवेश करने की सलाह दी जाती है।

इसके अलावा खुले बाल क्रोध या आक्रोश से भी जुड़ा माना जाता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, जिसका वर्णन महाभारत में भी मिलता है। द्रौपदी को दुशासन द्वारा शर्मिंदा किया गया था और उन्हें बालों से घसीटा गया था, जिसके बाद द्रौपदी ने ये कसम खाई थी कि जब तक वे अपने बालों को दुशासन के रक्त से नहीं धो लेती तब तक वे अपने बालों को नहीं बांधेगी। इसी वजह से इन्हें क्रोध के साथ जोड़ा जाता है और मंदिर में इन्हें बांधकर जाने की सलाह दी जाती है।
एक और मान्यता के अनुसार बालों को इसलिए भी बांधकर रखने की सलाह दी जाती है क्योंकि कहते हैं इससे रिश्ता मजबूत होता है। पौराणिक कथा के अनुसार त्रेतायुग में जब माता सीता का विवाह जब भगवान राम से हुआ तो उनकी माता ने उनसे कहा थी कि अपने बालों को बांधकर रखना। इस से रिश्ता मजबूत रहेगा। धार्मिक मान्यताओं में माना गया है कि मंदिर में प्रवेश करते समय बालों को बांधना और ढकना आस्था व विनम्रता का प्रतीक है। यही कारण है कि महिलाओं को खुले बालों के साथ मंदिर में जाने से मना किया जाता है।

