Death anniversary: पारलौकिक पथ प्रदर्शक स्वामी प्रकाशानंद जी महाराज

punjabkesari.in Tuesday, Sep 29, 2020 - 07:15 AM (IST)

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Death anniversary: आज से लगभग 129 वर्ष पूर्व घोदा जिला सरगोधा (पाकिस्तान) में स्वामी प्रकाशानंद जी ने जन्म लिया। इनका बचपन का नाम जीवन दास था। 17 वर्ष की आयु में ही उन्होंने गृह त्याग दिया तथा स्वामी स्वरूपानंद जी की शरण में समर्पित हो गए। स्वामी स्वरूपानंद जी की आज्ञानुसार चक नं. 5 जिला लायलपुर (पाकिस्तान) के जंगलों में घोर तपस्या में लीन हो गए। तप उपरांत उन्हें उनके दादा गुरु श्री अद्वैतानंद जी परमहंस एवं सतगुरु जी स्वरूपानंद जी नंगली निवासी महाराज की विभूतियों के आध्यात्मिक मूल सिद्धांत एवं अनुभव उन्हें विरासत में मिले।

1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के चलते उन्होंने प्रिय शिष्यों के साथ पाकिस्तान की अपनी जन्म भूमि को अलविदा कह भारत की पवित्र पावन धरती पर कदम रखा। जालंधर के अकबरपुर पहुंच कर विश्राम किया, उसके उपरांत शाहाबाद मारकंडा (हरियाणा) की पवित्र धरा पर घोर तपस्या की। फिर उत्तर प्रदेश की सके टांडा (मेरठ) के पास नंगली साहब में डेरा डाल दिया। वहां घोर तपस्या की तथा 1948 में मुजफ्फरनगर की गांधी कालोनी में एक कुटिया की स्थापना की। वहां घोर तप कर बन गए स्वामी अनंत प्रकाशानंद जी पुरी।

उन्होंने 1960 में भगवान श्री कृष्ण की धर्म एवं कर्म भूमि को अपना लक्ष्य रखकर कुरुक्षेत्र के राजेंद्र नगर में अद्वैत स्वरूप आश्रम की आधारशिला रखी। जहां उन्होंने भक्ति ज्ञान एवं मानव सेवा के लिए एक विशाल मठ का निर्माण करवाया। जहां गृहस्थ लोग स्वामी जी के दर्शन कर अपने जीवन को सफल बनाने लगे। स्वामी जी ज्ञान भंडार, तपस्वी, प्रवक्ता, मनीषी, स्वाध्यायी एवं परम दयालु थे।

उन्होंने अपनी ज्ञान की गंगा से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, आदि प्रांतों में धार्मिक, आध्यात्मिक व समाज कल्याणकारी केंद्र एवं आश्रमों, कुटियों की स्थापना कर उनका लोकार्पण किया।

अनेक शहरों में अद्वैत स्वरूप आश्रम स्थापित करके उनकी देखभाल के लिए एक बड़ा संत समाज कायम किया। 29 सितम्बर 1992 को स्वामी जी ब्रह्मलीन हुए। आज स्वामी जी द्वारा प्रशिक्षित एवं शिक्षित संत मंडल जन कल्याण के कार्य कर रहा है।

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Niyati Bhandari

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