Story of Akshaya Tritiya: अक्षय तृतीया की कथा के साथ पढ़ें महत्व, बन जाओ पुण्यकर्मों के भागी

punjabkesari.in Friday, Apr 21, 2023 - 07:24 AM (IST)

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Story of Akshaya Tritiya: हमारे धार्मिक ग्रंथों में अक्षय तृतीया के संबंध में कई कथाएं प्रसिद्ध हैं। भविष्य पुराण के अनुसार शाकल नामक स्थान पर एक धर्म नाम का धर्मात्मा बनिया रहता था। धर्मपरायण, सत्यवादी और दयालु बनिया बड़ा निर्धन था। जिस कारण वह सदा परेशान एवं चिंतित रहता था परंतु अक्षय तृतीया को गंगा के तट पर जाकर पितरों का विधिवत तर्पण करता तथा घर आकर अन्न, सत्तू ,चावल,चीनी आदि का पात्र भरकर, वस्त्र और दक्षिणा सहित ब्राह्मण को सच्चे भाव से संकल्प करके जरुर देता था। जीवन में उसकी परेशानियां तो समाप्त नहीं हुई परंतु कुछ समय बाद उसका देहांत हो गया। उसका अगला जन्म कुशावती नगरी के साधन संपन्न क्षत्रिय परिवार में हुआ। अक्षय तृतीया पर किए गए शुभ कर्मों के प्रभाव से वह बड़ा रुपवान, धर्म परायण एवं परोपकारी राजा बना। उसने अपने राज्यकाल में भी ब्राह्मणों को अन्न, भूमि, गाय और स्वर्ण का दान दिया। उसे अपने पूर्व जन्म में किए गए सत्कर्मों का फल अक्षय फल के रुप में मिला। जो लोग अक्षय तृतीया पर शुभ कर्म करते हैं, उनके पुण्य कर्मों का कभी क्षय नहीं होता।

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अक्षय तृतीया के दिन की महिमा
इसी दिन से सतयुग और त्रेता युग का आरम्भ हुआ।

सृष्टि के रचयिता श्री ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण हुआ।

मां अन्नपूर्णा का जन्म हुआ। 

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महर्षि परशुराम जी की जयंती भी इसी दिन है।

भागीरथी मां गंगा का अवतरण भी इसी दिन हुआ।

धन के देवता श्री कुबेर जी को इसी दिन खजाना मिला था।

भगवान श्रीकृष्ण के बचपन के मित्र सुदामा का मिलन भी इसी दिन होना एक शुभ संकेत है।

महाभारत काल में जब दुर्योधन ने द्रौपदी का चीरहरण किया था तो उस दिन अक्षय तृतीया थी और भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की पुकार सुनकर उसकी रक्षा की थी। 

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चारों धाम की यात्रा का मुख्य स्थल श्री बद्रीनाथ मंदिर के कपाट भी अक्षय तृतीया को ही खुलते हैं। तब लाखों की संख्या में भक्त मंदिर में श्री बद्रीनारायण जी के दर्शन करते हैं। 

इसी दिन भक्तों को वृंदावन के श्री बांके बिहारी मंदिर के चरणों के दर्शन कराए जाते हैं।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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