Sri Sri Ravi Shankar: आपके भी दिमाग में हावी रहता है नशा !
punjabkesari.in Wednesday, Jan 10, 2024 - 07:45 AM (IST)

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Sri Sri Ravi Shankar: लंबे समय तक सरकारी कर्मचारी रहे 53 वर्षीय नरेश बी बताते हैं, ''मैंने सोचा था कि अब मैं किसी भी क्षण मर जाऊंगा,'' जो 24 साल से शराब के आदी थे, उनके अनुसार यह लत एकतरफा प्रेम के कारण शुरू हुई थी।
कोविड महामारी के दौरान हालात ऐसे बिगड़ गए कि जब उन्हें घर के अंदर बंद रहना पड़ा, तो वह दिन में हर घंटे शराब पीने लगे। जब वे शराब खरीदने के लिए जाते, कई बार उनकी पत्नी इस भय से अपने किशोर बेटे को उनके साथ भेजती थी कि कहीं वह सड़क पर फिसलकर घायल न हो जायें, जो अक्सर होता रहता था। उन्हें कार्य से अनुपस्थित रहने के आरोप में आरोप पत्र भी भेजा गया था।
उन्हें 75% लिवर क्षति के साथ लिवर सिरोसिस हो गया, लेकिन जिस अस्पताल में वे आमतौर पर जाते थे, वहां उन्हें दवाएं देना बंद कर दिया गया क्योंकि कई चेतावनियों के बावजूद उन्होंने शराब पीना बंद नहीं किया था।
मई 2020 में, नरेश ने आर्ट ऑफ लिविंग के ऑनलाइन नशामुक्ति कार्यक्रम के लिए नामांकन किया, जिसमें सुदर्शन क्रिया जैसी विशेष तकनीक सिखाई गई, जो एक शक्तिशाली श्वास प्रक्रिया है, कार्यक्रम में इसके साथ ही अन्य साधन और आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि भी प्रदान की जाती है, जो न केवल शारीरिक और मानसिक तनाव से राहत प्रदान करती है बल्कि अपनापन, प्रेम, प्रसन्नता और सेवा की एक भावना भी जगाती है।
विशेषज्ञ साझा करते हैं कि अपनेपन की भावना नशे की बीमारी का एक शक्तिशाली उपाय है, यही कारण है कि आर्ट ऑफ लिविंग के नशामुक्ति कार्यक्रमों में अन्य कार्यक्रमों की तुलना में सफलता दर अधिक है।
नरेश को नशामुक्त हुए तीन साल हो गये हैं। उनके अभ्यासों, आध्यात्मिकता, समाज और परिवार के सहयोग ने उन्हें नशामुक्त रहने के अपने संकल्प को बनाए रखने में सहायता की है।
मादक द्रव्यों का उपयोग और उनकी लत लोगों की गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण है और अपराध, बलात्कार, आक्रामक ड्राइविंग और दुर्घटनाओं का कारण भी बन रही है। पंजाब में सरकारी और निजी नशामुक्ति केंद्रों में नशे की समस्या से पीड़ित दस लाख से अधिक लोगों का उपचार चल रहा है।
मादक पदार्थों के प्रति झुकाव और इनके दुरुपयोग की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती लेकिन किसी भी मादक पदार्थ के दुरुपयोग या लत के सामान्य प्रभाव विनाशकारी हो सकते हैं। लत और नशीली दवाओं के दुरुपयोग का कोई एक कारण नहीं है। ऐसे कई जैविक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कारक हैं, जो किसी व्यक्ति में लत विकसित होने की संभावना को बढ़ा सकते हैं।
आर्ट ऑफ लिविंग का नशा मुक्ति कार्यक्रम चिकित्सा उपचार के साथ विज्ञान और आध्यात्मिकता का मिश्रण है। यह कार्यक्रम नशीली दवाओं के आदी लोगों को इस बुराई के चंगुल से बाहर लाने की दिशा में काम करता है।
इस कार्यक्रम की विशिष्टता यह है कि नशे की लत के शिकार लोगों के साथ ऐसे व्यक्तियों के रूप में व्यवहार किया जाता है। जिन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है, जिन्हें शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक सहयोग की आवश्यकता होती है ताकि वे न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक रूप से भी सामान्य और स्वस्थ हो सकें।
2019 में आर्ट ऑफ लिविंग ने चंडीगढ़ विश्वविद्यालय में आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर, संजय दत्त, कपिल शर्मा, गुरदास मान और बादशाह सहित अन्य लोगों की उपस्थिति में ‘ड्रग मुक्त भारत’ राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया। इस कार्यक्रम में अनुमानित 60 हजार छात्रों ने भाग लिया और एक लाख से अधिक छात्र और शिक्षक नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ प्रतिज्ञा लेते हुए ऑनलाइन अभियान में शामिल हुए।
इससे पहले आर्ट ऑफ लिविंग ने अन्य गैर सरकारी संगठनों और चंडीगढ़ के प्रतिष्ठित नागरिकों के साथ मिलकर टाइपराइटर करेक्शन फ्लूइड के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग के खिलाफ एक जनहित याचिका भी दायर की थी। हरियाणा उच्च न्यायालय ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को इसके उत्पादन, बिक्री या भंडारण पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया।
आर्ट ऑफ लिविंग का नशा मुक्ति प्रोजेक्ट अगस्त 2007 में लुधियाना में शुरू हुआ और नवंबर 2010 तक चला था । वर्तमान में यह कार्यक्रम चंडीगढ़ के कुछ हिस्सों में चल रहा है और लोगों को एक बेहतर व्यसन-मुक्त जीवन प्रदान कर रहा है। यह कार्यक्रम पंजाब के शहरों-गुरदासपुर, अमृतसर, होशियारपुर, जालंधर, फिरोजपुर, फरीदकोट, मोगा, संगरूर, पटियाला, फतेहगढ़ साहिब, बरनाला में भी शुरू किया गया था। अब तक 80 गांवों के 25,000 से अधिक लोग इन कार्यक्रमों से लाभान्वित हुए हैं।
कुछ अनुमानों के अनुसार, पंजाब के दो तिहाई से अधिक घरों में प्रत्येक परिवार में कम से कम एक व्यक्ति को नशे की लत है।
नशामुक्त समाज की दृष्टि से आर्ट ऑफ लिविंग ने अपने संस्थापक गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर से प्रेरित होकर इस कार्यक्रम की संकल्पना की। कार्यक्रम के दौरान योग, ध्यान, गहरी श्वास लेने की तकनीक और आर्ट ऑफ लिविंग कार्यक्रमों में सिखाई जाने वाली लयबद्ध सांस लेने की शक्तिशाली तकनीक सुदर्शन क्रिया जैसे वैज्ञानिक रूप से प्रभावी आध्यात्मिक उपकरणों के सहयोग से शरीर से विषैले पदार्थों का हरण किया जाता है।
यह परियोजना एम्स दिल्ली, पी.जी.आई.एम.ई.आर और चंडीगढ़ मेडिकल कॉलेज के सहयोग से चलाई गई थी।
“पिछले 40 वर्षों से मैं किसी न किसी नशे की लत से ग्रस्त था। मैंने अफ़ीम, शराब, तम्बाकू का सेवन किया है और इस कार्यक्रम को करने के बाद स्वयं को बहुत भाग्यशाली मानता हूं जिसने मुझे नशीली दवाओं की गुलामी से मुक्त कर दिया है,” एक पूर्व राष्ट्रीय कबड्डी खिलाड़ी, करतार सिंह ने साझा किया। वे अब बेहतर जीवन की राह पर चल रहे हैं।
ग्राम पंचायत और स्थानीय नेताओं को शामिल करना सामुदायिक भागीदारी परियोजना की एक और प्रमुख विशेषता है। कार्यक्रम में 20 से अधिक सरकारी अस्पताल और मेडिकल कॉलेज भागीदार हैं। पंजाब के कई गुरुद्वारों और डेरों, जिला प्रमुखों और व्यापारिक घरानों और गांव के सरपंचों ने इस कार्यक्रम को नशीली दवाओं के उपयोग की रोकथाम और उपचार के लिए संपूर्ण कार्यक्रम के रूप में स्वीकार किया है।
चंडीगढ़ में आर्ट ऑफ लिविंग की टीम, पीड़ितों को श्वास लेने की तकनीक सिखाने के लिए पी.जी.आई.एम.ई.आर के पुनर्वास केंद्र के साथ मिलकर काम कर रही है। टीम उन्हें रोजगार पाने में भी सहायता कर रही है।
“जो लोग नशीली दवाओं का सेवन करते हैं या जो शराब में लिप्त हैं, उनमें आध्यात्मिक शिक्षा या ज्ञान की कमी है।"
श्री श्री रवि शंकर जी कहते हैं, ''हमें इसे बदलने की आवश्यकता है और प्रोज़ैक इसका समाधान नहीं है। इसका समाधान ध्यान और योग है।”