भव्य सीता चरितम- सीता की दृष्टि से रामायण की आध्यात्मिक प्रस्तुति ने मुंबई में रचा इतिहास, दर्शकों ने पांच मिनट तक खड़े होकर बजाईं तालियां
punjabkesari.in Tuesday, Jul 08, 2025 - 10:48 AM (IST)

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मुंबई: नीता मुकेश अंबानी कल्चरल सेंटर के ग्रैंड थिएटर में दर्शकों ने एक ऐसा अनुभव जिया जो उन्हें रामायण की दिव्य, रहस्यमयी और हृदयस्पर्शी दुनिया में ले गया- मां सीता की दृष्टि से प्रस्तुत एक अद्वितीय 4D लाइव आर्ट अनुभव, जिसमें 513 कलाकारों ने 30 से अधिक पारंपरिक और समकालीन कला रूपों के माध्यम से इस शाश्वत कथा को जीवंत कर दिया। सुप्रसिद्ध नृत्यांगना और कोरियोग्राफर श्रीविद्या वर्चस्वी द्वारा परिकल्पित और निर्देशित यह प्रस्तुति केवल भव्यता के लिए नहीं, बल्कि इसकी भावनात्मक गहराई और काव्यात्मकता के लिए भी सराही गई, जिसने 7500 वर्षों से मानवता के साथ जुड़े महाग्रंथ ‘रामायण’ को एक नई दृष्टि दी।
प्रमुख बॉलीवुड अभिनेता विक्रांत मैसी ने शो के बाद कहा, "यह अविश्वसनीय अनुभव था। मैं खुश हूँ कि मैं यहां आया। श्री विद्याजी ने एक अदाकारा, निर्देशक और रचनात्मक मार्गदर्शक के रूप में कमाल का कार्य किया है।"
लोकप्रिय अभिनेत्री हिना खान ने भी भावुक होकर कहा, "हम सभी मंत्रमुग्ध थे। मेरे रौंगटे खड़े हो गए। श्रीविद्या जैसे सीता के रूप में स्वयं अवतरित हो गई थीं। बच्चों का लिप-सिंक करना अति सटीक था, देखना अद्भुत अनुभव रहा।"
इस भव्य आयोजन में महाराष्ट्र हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश श्री आलोक अराधे, फिल्म और टीवी अभिनेत्री अदा खान, प्रसिद्ध भक्ति गायिका श्रीमती अनुराधा पौडवाल और वरिष्ठ अभिनेता पंकज बेरी तथा दलिप ताहिल जैसे कई विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे।
मुंबई की इस प्रस्तुति को और भी विशेष बना दिया- धारावी स्थित आर्ट ऑफ लिविंग फ्री स्कूल के 50 से अधिक बच्चों की मंच पर भागीदारी ने। उनकी आत्मविश्वास से भरी और सधी हुई प्रस्तुति एक शक्तिशाली प्रतीक बन गई- यह दर्शाने का कि कला और शिक्षा समाज को कैसे जोड़ती और सशक्त बनाती है। दर्शकों के लिए यह अत्यंत मार्मिक क्षण था, जब सीमित संसाधनों से आने वाले बच्चों को भारत की इस चिरंतन कथा का सजीव रूप देते देखा।
राष्ट्रविख्यात भक्ति गायिका श्रीमती अनुराधा पौडवाल ने कहा, "यह एक अत्यंत सुंदर अनुभव रहा। इसमें बहुत परिश्रम दिखता है। बच्चों की इतनी बड़ी भागीदारी देखकर मन प्रसन्न हो गया। यह हमारी संस्कृति को आगे ले जाने और बच्चों को धार्मिकता से जोड़ने का एक सुंदर माध्यम है। पूरी प्रस्तुति बहुत ही सजीव और सुंदर ढंग से रची गई थी।"
यह प्रस्तुति केवल घटनाओं के अनुकरण के रूप में नहीं, बल्कि उनके पीछे छिपे अर्थ और जीवनदर्शन की झलक के रूप में रची गई है। यह 20 से अधिक रामायण के संस्करणों से प्रेरित है और इसकी आत्मा गुरुदेव श्री श्री रविशंकर की आध्यात्मिक दृष्टि से ओत प्रोत है।
शो में शास्त्रीय नृत्य, लोक कला, कठपुतली, मौलिक संगीत और डिजिटल तकनीक का ऐसा संतुलित समावेश था, जिससे सीता के जीवन की अनेक परतें -प्रेम, त्याग, बुद्धिमत्ता और समर्पण सभी एक साथ दर्शकों के सामने प्रकट हुईं। श्रीविद्या वर्चस्वी ने जिस कलात्मक सच्चाई और संवेदनशीलता से इसे निर्देशित किया, वह उनकी पिछली मेगाप्रस्तुतियों जैसे न्यूयॉर्क के लिंकन सेंटर में‘द रिदम विद इन’ और नई दिल्ली के वर्ल्ड कल्चर फेस्टिवल में ‘द कॉस्मिक रिदम’ की समृद्ध परंपरा को आगे बढ़ाता है।
प्रस्तुति के बाद श्रीविद्या ने कहा, "मुंबई की प्रतिक्रिया ने भावविभोर कर दिया। यह इस बात की पुष्टि है कि सीता जैसी कहानियां, जब ईमानदारी और कलात्मक निष्ठा से सुनाई जाती हैं, तो हमेशा लोगों के दिलों में स्थान बनाती हैं। मेरे लिए यह यात्रा मां सीता के जीवन को समझने की एक आत्मीय कोशिश रही है- कैसे उन्होंने जीवन के विभिन्न क्षणों का सामना किया, कैसे वे सहजता से आगे बढ़ती रहीं, यह सब मेरे लिए अत्यंत प्रेरणादायक रहा। इसे आज की पीढ़ी के लिए एक सुलभ और जीवंत रूप देना मेरे लिए बेहद संतोषजनक अनुभव रहा।"
यह प्रस्तुति केवल एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं थी, बल्कि एक सेवा प्रयास भी थी, जिसके माध्यम से आर्ट ऑफ लिविंग के 1,327 फ्री स्कूलों में पढ़ रहे 1 लाख से अधिक ग्रामीण और आदिवासी बच्चों की शिक्षा को सहयोग मिला।
आने वाले महीनों में यह प्रस्तुति भारत के अन्य शहरों और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी दिखाई जाएगी, जहां भक्ति, शांति और जीवनदर्शन की इस अमर कथा को नी ऊंचाईयों पर पहुंचाएगी।