सोमवती अमावस्या: 10 साल बाद चमत्कारी योग

punjabkesari.in Sunday, Apr 15, 2018 - 07:58 AM (IST)

16 अप्रैल सोमवार को सोमवती अमावस्या पर 10 साल बाद खास योग बन रहे हैं। अब से पहले 5 मई 2008 में वैशाख में सोमवती अमावस्या आई थी। इस बार यह वैशाख माह में सर्वार्थ सिद्धि व अश्विनी नक्षत्र के संयोग में मनाई जाएगी। अश्विनी नक्षत्र के स्वामी गणेश जी हैं, जो सभी विघ्नों का अंत कर देते हैं। ये योग शुभ कार्यों व दान-पुण्य के लिए सर्वोत्तम माने गए हैं। सोमवती अमावस्या साल में एक या दो बार आती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान का बहुत महत्व रहता है। पितृदोष निवारण के लिए तो यह दिन सर्वश्रेष्ठ है।


सोमवार का दिन भगवान शिव और चंद्र देव को समर्पित है। ज्योतिष शास्त्र में सौम्य चंद्र को रानी की पदवी प्राप्त है। अत: सरकार से चंद्र का संबंध है। चंद्र मन है। मन का संचालन चंद्र के द्वारा होता है। मन स्वस्थ होगा तो चरित्र स्वस्थ होगा। मान-सम्मान, धन, सुख, सम्मान, पुरस्कार, ललित कला का विचार चंद्र से होता है। स्त्री जाति के सम्पूर्ण शरीर का स्वामी चंद्र है।


चंद्र भी स्नेह, दया, ममता, चरित्र आदि का सूचक है। चंद्र में एक और गुण है यह अगर दूसरे ग्रह के साथ होता है तो अपने भीतर उस ग्रह का भी प्रभाव लेकर कार्य करता है। अगर स्वतंत्र है तो जिस भाव में है, उसी के अनुसार प्रभाव देता है। सूर्य के तेज से यह आलोकित होता है। अत: नेत्र का प्रकाश भी चंद्र के द्वारा देखा जाता है।


अच्छा चंद्र मानव को ज्ञानी, विवेक, दयालु, परोपकारी बनाता है। अपने परिवार-समाज के प्रति प्रेम होता है। सर्वदा अच्छे-अच्छे विचार आते रहते हैं। चंद्र सेवा करना भली भांति जानता है। शुभ चंद्र से प्रभावित स्त्री-पुरुष समाज में प्रतिष्ठित होते हैं। स्त्रियां सदैव अपने मान-सम्मान को संभालने में लगी रहती हैं। पुरुष हो तो स्त्रियों को सम्मान, स्नेह, इज्जत की दृष्टि से देखता है। अगर चंद्र निर्बल हो तो जातक के भीतर ज्ञान की कमी होती है। अच्छे-बुरे की समझ नहीं होती है। स्त्रियों के प्रति गंदे विचार  रखते हैं, पथभ्रष्ट हो जाते हैं। मन सदैव बुरे कर्मों के विषय में ही सोचता रहता है। समाज में प्रतिष्ठा खो देते हैं। ठग होते हैं। चन्द्र को बलवान करने के लिए करें ये काम-


बड़े बुजुर्गों, परिजनों का आशीर्वाद लें।


बासमती चावल, दूध एवं चांदी का दान करें।


पलंग के पायों में चांदी की कील ठोकें।


मोती अथवा चांदी उंगली में धारण करें।


दूध या पानी से भरा बर्तन सिरहाने रखकर सोएं और अगले दिन कीकर की जड़ में सारा जल डाल दें।


सोमवार का उपवास रखें।


चावल, दूध एवं पानी या दो मोती या चांदी के दो टुकड़े लेकर एक मोती या चांदी का टुकड़ा बहते पानी में बहा दें और दूसरा मोती या चांदी का टुकड़ा अपने पास संभाल कर रखें।


सफेद पुष्प चंद्रदेव को अर्पित करें।


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Niyati Bhandari

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