Yam Dwar: कैलाश की परिक्रमा में छुपा है यम द्वार का काला राज, रात बिताना क्यों है मना ?
punjabkesari.in Saturday, Jun 28, 2025 - 07:32 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Yam Dwar: कैलाश मानसरोवर यात्रा केवल एक धार्मिक तीर्थ नहीं है, बल्कि यह रहस्य और आस्था से भरा एक अनोखा अनुभव भी है। इस क्षेत्र में कई ऐसे पवित्र स्थान हैं, जिनका धार्मिक दृष्टि से बड़ा महत्व है। इनमें से कुछ प्रमुख स्थान हैं मानसरोवर झील, अष्टपद, सप्तऋषि गुफाएं और यम द्वार। इन सभी में यम द्वार एक विशेष स्थान रखता है। यह जगह कैलाश यात्रा का आरंभिक पड़ाव मानी जाती है और माना जाता है कि यहीं से असली परिक्रमा की शुरुआत होती है। यम द्वार का अर्थ है मृत्यु के देवता यम का द्वार।
यम द्वार
यम द्वार का अर्थ होता है मृत्यु के देवता यमराज का प्रवेश द्वार। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह द्वार भगवान शिव के निवास स्थान कैलाश पर्वत की रक्षा करने वाले यम देवता से जुड़ा है। कैलाश पर्वत की पवित्र परिक्रमा की शुरुआत यहीं से होती है, इसलिए यह स्थान श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। चूंकि यमराज की दिशा दक्षिण मानी जाती है, इसलिए यम द्वार भी दक्षिण दिशा में ही स्थित है। तिब्बती संस्कृति में इस स्थान को तारबोचे कहा जाता है। यम द्वार पर एक विशेष ध्वज स्तंभ लगा होता है, जिसे हर साल एक बार पूर्णिमा के दिन बदला जाता है। इस अवसर पर तिब्बती लोग धार्मिक अनुष्ठान और उत्सव आयोजित करते हैं, जिससे यह स्थान और भी पवित्र हो जाता है। हर वह व्यक्ति जो कैलाश मानसरोवर की यात्रा करता है, वह यम द्वार से होकर ही कैलाश की परिक्रमा आरंभ करता है। यह यात्रा न केवल भौगोलिक रूप से कठिन होती है बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी एक गहरा अनुभव मानी जाती है।
यम द्वार से जुड़े रहस्य
कैलाश पर्वत के नजदीक स्थित यम द्वार को लेकर कई रहस्यमयी बातें कही जाती हैं। कहा जाता है कि यह स्थान इतना शक्तिशाली और ऊर्जावान है कि अगर कोई व्यक्ति यहां रुकने की कोशिश करे, खासकर रात के समय, तो उसकी जान भी जा सकती है। ऐसी कई घटनाएं समय-समय पर सामने आई हैं, जिनमें लोग इस द्वार के पास रात बिताने का प्रयास करते हुए अनजान कारणों से मृत्यु को प्राप्त हुए हैं। आश्चर्य की बात यह है कि विज्ञान आज तक इस रहस्य का स्पष्ट कारण नहीं ढूंढ पाया है। क्यों वहां रुकने से लोगों की जान चली जाती है, यह अभी भी एक अनसुलझा सवाल बना हुआ है। लोक मान्यताओं के अनुसार, जब कोई श्रद्धालु यम द्वार पार करके कैलाश पर्वत की परिक्रमा शुरू करता है, तो उसे पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि पीछे देखने से नकारात्मक शक्तियां उसे प्रभावित कर सकती हैं और यात्रा में बाधा आ सकती है। इस वजह से यम द्वार को केवल एक प्रवेश द्वार नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक कसौटी की तरह भी देखा जाता है, जहां से गुजरने वाले को मानसिक, शारीरिक और आत्मिक रूप से तैयार रहना होता है।