Mahakaleshwar Jyotirlinga: आत्मा की शुद्धि और मुक्ति का स्रोत है उज्जैन का महाकालेश्व, जानें इससे जुड़ी मान्यता
punjabkesari.in Saturday, Jun 21, 2025 - 04:23 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Mahakaleshwar Jyotirlinga: श्री महाकालेश्वर मंदिर भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। पुराणों, महाभारत और अनेक महाकवियों की रचनाओं में भी इस मंदिर का मनोहर वर्णन मिलता है। कालिदास ने ‘मेघदूत’ में उज्जयिनी की चर्चा करते हुए इस मंदिर की प्रशंसा की है। स्वयंभू, भव्य और दक्षिणमुखी होने के कारण महाकालेश्वर महादेव की अत्यंत पुण्यदायी महत्ता है। मान्यता है कि इसके दर्शन मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। मंदिर के शिखरों का निर्माण गुप्त वंश के दौरान किया गया था। यह मंदिर तीन मंजिला है जो एक परकोटे के भीतर स्थित है। गर्भगृह तक पहुंचने के लिए एक सीढ़ीदार रास्ता है। इसके ठीक ऊपर एक दूसरा कक्ष है जिसमें ओंकारेश्वर शिवलिंग स्थापित है।
धार्मिक महत्त्व
महाकालेश्वर एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जिसकी भस्म आरती तांत्रिक विधि से होती है। यह तांत्रिक परंपरा महाकाल की उग्र शक्ति को शांत करने के लिए की जाती है। मंदिर में तीन स्तरों पर भगवान शिव के रूपों की पूजा होती है – महाकाल, नागचंद्रेश्वर और ओंकारेश्वर।
मान्यता और आस्था
मान्यता है कि महाकाल अपने भक्तों की हर प्रकार की बाधाओं को दूर करते हैं। जो व्यक्ति इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करता है, उसे मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है। यह भी कहा जाता है कि यहां पूजा करने से पितृ दोष दूर होता है और पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।
स्थान की पवित्रता
उज्जैन को अवंतिका नगरी भी कहा जाता है, जो प्राचीन समय से ही धर्म, ज्योतिष और तंत्र का केंद्र रहा है। महाकालेश्वर मंदिर क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित है और यहां की भस्म आरती (भस्म से की जाने वाली विशेष आरती) विश्वप्रसिद्ध है। यह आरती प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में होती है और इसे देखने के लिए देश-विदेश से भक्त आते हैं।