Yatra: मुम्बई के लघु सबरीमाला से होता है ‘देव ज्योति’ का दर्शन !
punjabkesari.in Wednesday, Dec 14, 2022 - 03:24 PM (IST)
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Shree Ayyappa Mandir Mumbai: भारत की वित्तीय राजधानी मुम्बई में बहुत कुछ देखने को है तथा यहां त्यौहारों के समय एक अलग ही रौनक व धूमधाम देखने को मिलती है। मुम्बई में ऐसे कई प्रसिद्ध मंदिर हैं जहां लोग दूर-दूर से दर्शनों को आते हैं। अगर आपका भी आध्यात्मिक रूझान है तो आप मुम्बई में इन मंदिरों को देखने से बिल्कुल भी चूकें नहीं। अगर आप धार्मिक नहीं भी हैं तो भी इन मंदिरों का वास्तुशिल्प और इतिहास आपको जरूर अचंभित करेगा।
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Shree Ayyappa Temple: मुम्बई शहर में सैंकड़ों मंदिर हैं, जो उन लोगों की संस्कृति के लिए विशिष्ट हैं जिन्होंने इन्हें बनाया था और वे जिस देवता की पूजा करते थे। इनमें से कुछ मंदिरों के दर्शन करना किसी भी भक्त और हिन्दू धर्म के जिज्ञासु के लिए एक आंख खोलने वाला अनुभव होना निश्चित है।
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Ayyappa Temple Mumbai: एन.सी.एच. कालोनी, काजुरमार्ग मुम्बई की एक टेकड़ी पर मौजूद अयप्पा मंदिर केरल के मूल मंदिर से अद्भुत साम्य के कारण ‘मुम्बई का लघु सबरीमाला’ कहलाता है। यह मंदिर शुद्धिकरण अनुष्ठान के साथ केरल के थाचु शास्त्र और तंत्र विधि के अनुरूप बना है। मौजूदा मंदिर जिस स्थान पर है, वहां पहले देवी के एक विशाल मंदिर के साथ अयप्पा का एक छोटा मंदिर हुआ करता था। विदेशी आक्रांताओं ने पुजारियों की निर्ममतापूर्वक हत्या करके मंदिर नष्ट कर डाला, जिसके पुरावशेष आज भी देखे जा सकते हैं। मंदिर के साथ गणपति, भुवनेश्वरी और नागदेवता के मंदिर और एक छोटा झरना भी है।
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laghu sabarimala: हरिओम नगर (पूर्व) स्थित श्री अयप्पा मंदिर जिस स्थान पर निर्मित है उसे एक विष्णु भक्त ऋषि का आराधना स्थल होने से विष्णु पीठ माना जाता है, इसलिए यहां अयप्पा के साथ भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना का भी समान महत्व है। यह उन विरल मंदिरों में से है जहां मुख्य प्रतिष्ठा और ध्वज प्रतिष्ठा साथ-साथ की गई। यहां एक तीर्थकुलम और बरगद का विशाल वृक्ष भी है जिसके नीचे नागदेवता का वास माना जाता है। बांगुर नगर (गोरेगांव) का 1953 में स्थापित श्री अयप्पा मंदिर मुम्बई के सबसे पुराने अयप्पा मंदिरों में से है। मंदिर के साथ ही श्री गुरुवायुर जी, श्री गणेश जी, श्री दुर्गा और सुब्रह्म्मण्यम जी के छोटे-छोटे मंदिर भी हैं।
Shree Ayyappa Vishnu Temple Mumbai: मुलुंड-पश्चिम की सीमा से सटे ठाणे के सुरम्य श्रीनगर क्षेत्र की टेकड़ी पर स्थित लगभग 50 वर्ष पुराने अयप्पा मंदिर के शिवलिंग के आकार का गोपुरम दूर से ही लोगों का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट कर लेता है। इस मंदिर की विशेषताएं हैं यहां से दिखने वाले विहंगम नजारे और खूबसूरत बाग, जहां आपको योग से लेकर मार्शल आर्ट तक के सत्र चलते देखने को मिलते हैं। ठाणे में ही वर्तकनगर स्थित अयप्पा मंदिर सौर ऊर्जा से बिजली की जरूरतों को पूरा करके इस मामले में आत्मनिर्भर बनने वाला जिले का पहला मंदिर है।
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The Legend of the Hindu God Ayyappa: नवी मुम्बई के अयप्पा अर्चनागृहों में से सबसे नवीन है खारघर में ‘खारघर अयप्पा सेवा संगम’ द्वारा केरल मंदिर स्थापत्य में कृष्ण शिलाओं और ताम्रजडि़त काष्ठ से निर्मित मंदिर। मंदिर की सारी देव प्रतिमाएं एक ही पत्थर से तराशी गई हैं। यहां गणपति और देवी अन्नपूर्णा के मंदिर भी हैं। नवी मुम्बई के ही नेरूल में सावित्रीबाई फुले मार्ग पर स्थित श्री अयप्पा मंदिर भी केरल के भक्तों को बहुत प्रिय है। लकड़ी और केरल से आए विशेष कृष्ण शिला पत्थर से निर्मित मीरा रोड का अयप्पा मंदिर सबरीमाला से आए एक श्रद्धालु का ही निर्माण है। खैरानी रोड (साकी नाका), दादर, माटुंगा, सायन, वडाला, चेंबूर, घाटकोपर, खारघर, कलंबोली, पंतनगर (घाटकोपर), बोरिवली, सहार और अंधेरी के अयप्पा मंदिरों की भी अपनी विशेषताएं हैं।
Swami Ayyappan: सबरीमाला का नाम परम रामभक्त ‘शबरी’ पर पड़ा है, जिनके जूठे फल भगवान राम ने स्वाद लेकर खाए थे और ‘नवधा भक्ति’ का उपदेश देकर अमर कर दिया था। कहा जाता है मकर संक्रांति की रात घने अंधेरे में पहाड़ी की कांतामाला चोटी पर आज भी रह-रहकर शोर के साथ असाधारण चमक वाली मकर ज्योति दिखाई देती है, जिसे ‘देव ज्योति’ माना जाता है।
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Ayyappa Temple Mumbai: एन.सी.एच. कालोनी, काजुरमार्ग मुम्बई की एक टेकड़ी पर मौजूद अयप्पा मंदिर केरल के मूल मंदिर से अद्भुत साम्य के कारण ‘मुम्बई का लघु सबरीमाला’ कहलाता है। यह मंदिर शुद्धिकरण अनुष्ठान के साथ केरल के थाचु शास्त्र और तंत्र विधि के अनुरूप बना है। मौजूदा मंदिर जिस स्थान पर है, वहां पहले देवी के एक विशाल मंदिर के साथ अयप्पा का एक छोटा मंदिर हुआ करता था। विदेशी आक्रांताओं ने पुजारियों की निर्ममतापूर्वक हत्या करके मंदिर नष्ट कर डाला, जिसके पुरावशेष आज भी देखे जा सकते हैं। मंदिर के साथ गणपति, भुवनेश्वरी और नागदेवता के मंदिर और एक छोटा झरना भी है।
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laghu sabarimala: हरिओम नगर (पूर्व) स्थित श्री अयप्पा मंदिर जिस स्थान पर निर्मित है उसे एक विष्णु भक्त ऋषि का आराधना स्थल होने से विष्णु पीठ माना जाता है, इसलिए यहां अयप्पा के साथ भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना का भी समान महत्व है। यह उन विरल मंदिरों में से है जहां मुख्य प्रतिष्ठा और ध्वज प्रतिष्ठा साथ-साथ की गई। यहां एक तीर्थकुलम और बरगद का विशाल वृक्ष भी है जिसके नीचे नागदेवता का वास माना जाता है। बांगुर नगर (गोरेगांव) का 1953 में स्थापित श्री अयप्पा मंदिर मुम्बई के सबसे पुराने अयप्पा मंदिरों में से है। मंदिर के साथ ही श्री गुरुवायुर जी, श्री गणेश जी, श्री दुर्गा और सुब्रह्म्मण्यम जी के छोटे-छोटे मंदिर भी हैं।
Shree Ayyappa Vishnu Temple Mumbai: मुलुंड-पश्चिम की सीमा से सटे ठाणे के सुरम्य श्रीनगर क्षेत्र की टेकड़ी पर स्थित लगभग 50 वर्ष पुराने अयप्पा मंदिर के शिवलिंग के आकार का गोपुरम दूर से ही लोगों का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट कर लेता है। इस मंदिर की विशेषताएं हैं यहां से दिखने वाले विहंगम नजारे और खूबसूरत बाग, जहां आपको योग से लेकर मार्शल आर्ट तक के सत्र चलते देखने को मिलते हैं। ठाणे में ही वर्तकनगर स्थित अयप्पा मंदिर सौर ऊर्जा से बिजली की जरूरतों को पूरा करके इस मामले में आत्मनिर्भर बनने वाला जिले का पहला मंदिर है।
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The Legend of the Hindu God Ayyappa: नवी मुम्बई के अयप्पा अर्चनागृहों में से सबसे नवीन है खारघर में ‘खारघर अयप्पा सेवा संगम’ द्वारा केरल मंदिर स्थापत्य में कृष्ण शिलाओं और ताम्रजडि़त काष्ठ से निर्मित मंदिर। मंदिर की सारी देव प्रतिमाएं एक ही पत्थर से तराशी गई हैं। यहां गणपति और देवी अन्नपूर्णा के मंदिर भी हैं। नवी मुम्बई के ही नेरूल में सावित्रीबाई फुले मार्ग पर स्थित श्री अयप्पा मंदिर भी केरल के भक्तों को बहुत प्रिय है। लकड़ी और केरल से आए विशेष कृष्ण शिला पत्थर से निर्मित मीरा रोड का अयप्पा मंदिर सबरीमाला से आए एक श्रद्धालु का ही निर्माण है। खैरानी रोड (साकी नाका), दादर, माटुंगा, सायन, वडाला, चेंबूर, घाटकोपर, खारघर, कलंबोली, पंतनगर (घाटकोपर), बोरिवली, सहार और अंधेरी के अयप्पा मंदिरों की भी अपनी विशेषताएं हैं।
Swami Ayyappan: सबरीमाला का नाम परम रामभक्त ‘शबरी’ पर पड़ा है, जिनके जूठे फल भगवान राम ने स्वाद लेकर खाए थे और ‘नवधा भक्ति’ का उपदेश देकर अमर कर दिया था। कहा जाता है मकर संक्रांति की रात घने अंधेरे में पहाड़ी की कांतामाला चोटी पर आज भी रह-रहकर शोर के साथ असाधारण चमक वाली मकर ज्योति दिखाई देती है, जिसे ‘देव ज्योति’ माना जाता है।
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