इस गुफा के अंदर छिपा है अमरनाथ गुफा का Shortcut
punjabkesari.in Saturday, Feb 08, 2020 - 04:26 PM (IST)
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महाशिवरात्रि का पर्व जैसे-जैसे नज़दीक आ रहा है वैसे-वैसे भगवान शिव के भक्त उन्हें प्रसन्न करने की तैयारियों कर रहे हैं। इस दौरान कोई इनकी रुद्राभिषेक की तैयारियों में लगा है तो कोई इनके विभिन्न मंदिरों के दर्शन करने के लिए जाने की सोच रहा है। एक मिनट क्या आप भी शिव जी के किसी प्राचीन ज्योर्तिलिंग या धार्मित स्थल की यात्रा पर जाने की सोच रहे हैं तो हम आपको बताते हैं इनके एक प्राचीन मंदिर के बारे में।
हम बात कर रहे हैं जम्मू से कुछ दूरी पर रयासी जिले में स्थित शिव खोड़ी गुफा की। जो भगवान शिव के प्रमुख पूजनीय स्थलो में से एक माना जाता है। बताया जाता है ये पवित्र गुफा 150 मीटर लंबी है और गुफा के अंदर स्थापित शिव जी की प्राचीन शिवलिंग 4 फीट ऊंचा है। जिसके ऊपर पवित्र जल की धारा सदैव गिरती रहती है। लोगों की इस शिवलिंग को लेकर धार्मिक आस्था है कि इसके दर्शन से हर कामना पूरी हो जाती है। यहां के लोक मत की मानें तो इस गुफा को स्वयं भगवान शंकर ने बनवाया था। जहां प्राचीन समय में भस्मासुर ने तप कर शिव जी को प्रसन्न किया था और उनसे वरदान प्राप्त किया था कि वह जिसके सिर पर भी हाथ रखे वह भस्म हो जाए। जिसने मिलते ही भस्मासुर, भगवान शंकर पर ही इस वर की शक्ति को आजमा कर देखने के लिए आगे बढ़ा।
जिस कारण भगवान शंकर और भस्मासुर में भीष्ण युद्ध हुआ। कहा जाता है कि इसी के चलते इलाके का नाम रणसु या रनसु हुआ। भीष्म युद्ध के बाद भी भस्मासुर ने हार नहीं मानी। और अपनी कोशिश में जारी रहा। तब भगवान शंकर वहां से निकलकर ऊंची पहाड़ी पर पहुंच गए और एक गुफ़ा बनाकर उसमें छिप गए। जिसे आगे चलकर शिव खोड़ी के नाम से जाना जाने लगा। मान्यता है कि भगवान शंकर को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने सुंदर स्त्री का रूप लेकर भस्मासुर को मोहित किया। सुंदरी रूप में विष्णु के साथ नृत्य के दौरान भस्मासुर शिव का वर भूल गया और अपने ही सिर पर हाथ रख कर भस्म हो गया।
शिवलिंग के साथ-साथ पाण्डवों और श्री राम व माता सीता की भी पिण्डियां
इस स्वयंभू गुफा में शिव जी के साथ-साथ माता पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, नंदी की पिण्डियों के दर्शन भी होते हैं। इनके साथ यहां सात ऋषियों, पाण्डवों और राम-सीता की भी पिण्डियां देखी जा सकती हैं। कहा जाता है पिण्डियों पर गुफा की छत से जल की बूंदे गिरने से प्राकृतिक अभिषेक स्वतः होता है। कहा ये भी जाता है गुफा का एक स्थान पर यह दो भागों में बंट जाती है, जिनमें से एक रास्ता अमरनाथ गुफा की ओर जाता है।