ऋषि पतंजलि के सिद्धांतों से कैसे भटका आधुनिक समाज ?

punjabkesari.in Saturday, May 10, 2025 - 11:36 AM (IST)

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 Patanjali Yoga: योग उन शक्तियों का विज्ञान है जो  की पूर्ण ब्रह्माण्ड को संचालित करती हैं I यह विज्ञान उतना ही पुराना है जितनी की यह सृष्टि परन्तु पांच हज़ार वर्ष पूर्व ऋषि पतंजलि ने अपनी दूर दृष्टि से आगामी समय में मानव जाति में होने वाली विकृतियों और पतन का अनुमान लगाते हुए हमें योग सूत्र के रूप में एक लिखित धरोहर दीI आज योग को अनगिनत पाठ्यक्रमों और तकनीक के रूप में बाजार में बेचा जा रहा है, ऋषि पतंजलि ने इस विषय के व्यापारीकरण से बचने के लिए ही  योगसूत्र  की परंपरा मानवजाति को दी थी।

योग सृष्टि से पर्यन्त जाने का विज्ञान है, माया का बंधन इसे निष्प्रभावी बनाता है, यही कारण है कि विभिन्न योग पाठ्यक्रमों पर ढेर सारा पैसा खर्चने के बाद भी, अनुभवों के अभाव में अधिकांश लोग  स मार्ग को छोड़ देते हैं।

योगसूत्र मानवीय आचरण और मानसिकता पर विद्यावली है। यह सूत्र न केवल मानवीय व्याधि और शंकाओं की व्याख्या करते  है, अपितु उनके निवारण का मार्ग भी प्रशस्त करते हैं I प्रमुखतया हमारी बुद्धि उतनी विकसित होनी चाहिए की हम इस परम विज्ञानं को मात्र शारीरिक व्यायाम न समझ बैठेंI योगसूत्र पूर्णता से जीव के विभिन्न स्तरों पर अस्तित्व  की और  उसके पर्यन्त कैसे जाना है, उसकी भी व्यवहारिक रूप में व्याख्या करते हैंI इससे लाभान्वित होने के लिए, साधक को अहंकार और  मिथ्या  उच्चता की मनोवृति से छुटकारा पाकर, गुरु का हाथ थामे हुए अभ्यास करना चाहिए I

लेखों की इस श्रृंखला में हम पतंजलि योगसूत्रों के माध्यम से जीवन के कष्ट- क्लेश को समाप्त कर अपने भीतर की अभूतपूर्व क्षमता को जागृत करने का प्रयास करेंगे।

“अथयोगनुशासनम”, ऋषि  पतंजलि कहते हैं .. अब (आरम्भ ) होता है योग का अनुशासन I

"अथ” सूचक है की इससे पूर्व कुछ और था जो की सामान्य जीवन से सम्बंधित था अर्थात जब आप सामान्य जीवन बिताते हैं तभी उसके परे जाने का विचार करते हैं I जीवन को व्यतीत करने के लिए चार आश्रमों की महत्ता है और इन्हें अनुभव किये बिना योग आश्रम में प्रवेश नहीं किया जा सकता I पतंजलि कहते हैं  कि अब जबकि आप सामान्य जीवन के  सभी अनुभव कर चुके हैं, योग का अनुशासन आरम्भ होता हैं, जिसके अभाव में आप जन्म मरण के चक्र से अभिशप्त रहेंगे I

अनुशासन एक  नियम- बद्ध  जीवन पद्धति की ओर संकेत करता हैं जो कि शास्त्रानुकूल हैं I अतः योग रुपी अंतिम चरण कि प्राप्ति के लिए अनुशासन अत्यंत आवश्यक है I

योग की प्राप्ति  किसी भी जन्म में हो सकती है...वर्तमान जीवन काल में भी I यहां  शारीरिक आयु का महत्व नहीं हैं, आप 8 वर्ष  के हो  या 80 के महत्वपूर्ण यह है की क्या आप तैयार हैं ?

यह सोचने की बात है की आज प्रधानतया योग दर्शन के नाम पर जो कुछ भी सिखाया जा रहा हैं वह ऋषि पतंजलि के विचारों से विरोधात्मक हैं, यही कारण है की आज मानव जाति प्रदूषण, अराजकता, असुरक्षा और बीमारी आदि समस्याओं से ग्रस्त है।

अश्विनी गुरुजी ध्यान आश्रम  

 

 


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Content Editor

Prachi Sharma

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