Sheetala Saptami and Ashtami 2025: साल भर निरोगी रहना है तो शीतला सप्तमी-अष्टमी के दिन करें ये काम
punjabkesari.in Wednesday, Mar 19, 2025 - 07:15 AM (IST)

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Sheetala Saptami and Ashtami 2025: शीतला सप्तमी अथवा शीतला अष्टमी साल में दो ऐसे पवित्र दिन आते हैं जब शीतला माता को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। शरीर को रोगों से बचाने के लिए ठंडा और बासी भोजन नहीं खाना चाहिए लेकिन साल में एक बार ठंडा और बासी भोजन खाने से साल भर निरोगी रहा जा सकता है। कई क्षेत्रों में शीतला सप्तमी पर बासी खाना खाने की परंपरा है तो अन्य क्षेत्रों में अष्टमी पर बासी खाना खाते हैं। माता शीतला के पूजन में किसी प्रकार की गर्म वस्तु का न तो सेवन किया जाता है और न ही घर में इस दिन चूल्हा आदि जलाया जाता है। यहां तक कि चाय आदि भी नहीं पी जा सकती तथा पहले दिन बनाया गया भोजन ही बिना गर्म किए खाने की परम्परा है। ठंडी वस्तुएं खाने से ही व्रत पूरा होता है।
माता शीतला की पूजा से एक दिन पहले शाम को सूर्य ढलने के पश्चात तेल और गुड़ में खाने-पीने की वस्तुएं मीठी रोटी, मीठे चावल, गुलगुले, बेसन एवं आलू आदि की नमकीन पूरियां तैयार की जाती हैं। मां शीतला को अष्टमी के दिन मंदिर में जाकर गाय के कच्चे दूध की लस्सी के साथ सभी चीजों का भोग लगाया जाता है। मीठी रोटी के साथ दही और मक्खन, कच्चा दूध, भिगोए हुए काले चने, मूंग और मोठ आदि प्रसाद रूप में चढ़ाने की परम्परा है। माता शीतला को भोग लगाने के बाद मंदिर में बनी विभिन्न पिंडियों पर भी कच्ची लस्सी चढ़ाई जाती है तथा भगवान शिव शंकर भोलेनाथ के मंदिर में शिवलिंग पर कच्ची लस्सी चढ़ाकर मां से परिवार के मंगल की कामना के लिए प्रार्थना की जाती है।
वैसे तो हिन्दुओं के प्रत्येक धार्मिक आयोजन पर कंजक पूजन की परम्परा है परंतु नवरात्रों में इसका विशेष महत्व है। चैत्र मास की शीतला अष्टमी पर मां के पूजन के साथ ही कंजक पूजन भी किया जाता है। माता को पहले दिन की बासी अथवा ठंडी वस्तुओं का भोग लगाने के बाद कंजक पूजन करके माता का आशीर्वाद लिया जाता है।
Shitala Mata Mantra शीतला माता मंत्र: शीतला माता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए करें मंत्र जाप
वन्देऽहंशीतलांदेवीं रासभस्थांदिगम्बराम्।।
मार्जनीकलशोपेतां सूर्पालंकृतमस्तकाम्।।
अर्थात हम शीतला माता की वंदना करते हैं, जो गर्दभ (गधे) पर विराजित हैं, दिगम्बरा हैं। शीतला माता एक हाथ में झाड़ू और दूसरे में कलश ग्रहण किए रहती हैं। सूप और नीम के पत्तों से आलंकारिक माता शीतला की हम वंदना करते हैं।
शीतला माता के उपरोक्त मंत्र से प्रतीत होता है कि माता स्वस्थ एवं स्वच्छ माहौल को पसंद करती हैं। माता के हाथ में झाड़ू होने का अभिप्राय है कि प्रत्येक जन को साफ-सफाई के प्रति हमेशा चौकन्ना और सतर्क रहना चाहिए।
कलश का अर्थ है कि स्वस्थ एवं स्वच्छ माहौल से घर परिवार में कलश रूपी सुख-समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं का बसेरा हो। हमारा मन श्रद्धा, तरलता, संवेदना एवं सरलता से भरा रहे। यह क्रोध, लोभ, मोह-माया, ईर्ष्या और घृणा आदि कुत्सित भावनाओं से हमेशा दूर रहे।