‘शकुन विचार’: तर्कों के आईने में कुछ हकीकत कुछ फसाना
punjabkesari.in Sunday, Feb 12, 2023 - 10:32 AM (IST)

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Shakun Apshakun Vichar: प्राचीनकाल से ही मानव शकुन-अपशकुन का विचार करता आ रहा है। घाघ भदुरी ने भी अपने दोहों में शकुन के आधार पर वर्षा, सूखा आदि का सारगर्भित विवरण दिया है। अगर हम शकुन की भाषा को ठीक प्रकार से जानेंगे तो इसकी अनुकूलता का लाभ जीवन में पा सकेंगे। इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं कि मानव का जीवन बहुत व्यस्त है और स्वयं के विषय में भी सोचने का अवसर कभी-कभी नहीं मिल पाता, तो ऐसे में शुभ क्या और अशुभ क्या ?
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Shakun Apshakun Sanket: कुछ शकुन मनुष्य स्वयं उत्पन्न करता है और कुछ दैव कृपा से स्वयं ही घटित होते हैं। मनुष्य के द्वारा बनाया गया शकुन शुभता के लिए ही होता है जबकि स्वयं घटित होने वाला शकुन मनुष्य की इच्छा पर निर्भर नहीं होता। अति उन्नत विज्ञान के समय में, जो तीव्रता से ग्रहों को पार कर रहा है, शकुन की बात प्राय: हास्यप्रद समझी जाती है लेकिन यह भी तथ्य है कि मौसम विज्ञान विभाग अरबों रुपए व्यय करके भी मौसम की शत-प्रतिशत सटीक भविष्यवाणी नहीं कर पाता तो एक चिड़िया धूल को अपने ऊपर उछाल-उछाल कर वर्षा का संकेत दे देती है।
Bhavishya ke Shakun- Apshakun: घर से वर या वधू के विदा होने के उपरांत घर वाले अपने घर के किसी भी व्यक्ति को उस दिन सिर नहीं धोने देते। जवाई के विदा होने के उपरांत उस दिन घर में झाड़ू नहीं लगाई जाती। ये सब क्यों ? क्या यह हमारा पिछड़ापन है ? परंतु विश्वास कीजिए कि यह अशुभ होता है, इसलिए सिर नहीं धोते या जल आदि नहीं बहाते।
Shakun Apshakun Vichar: घर से यात्रा के लिए जाते समय द्वार पर परिवार की कन्या या सुहागिन स्त्री मिट्टी के पात्र में जल लेकर खड़ी हो जाती है। किसी भी शुभ कार्य हेतु यात्रा के लिए जाते समय दही या मिष्ठान खाकर ही जाना शुभ माना जाता है। ये बातें बहुत छोटी हैं और इनके अर्थ महान हैं। प्राचीनकाल से ही मनुष्य का विश्वास शकुन को मानता आ रहा है। विदेशों में भी घोड़े की नाल को मुख्य द्वार पर टांगा जाता है। यह शकुन इतना प्रचलित हुआ कि अब हमारे घरों में भी काले घोड़े की नाल को टांगा जाता है जबकि यह शकुन भारत की ही देन है।
Unlucky Signs: कोई भी कार्य प्रारंभ करते समय स्वाभाविक रूप में हमारी यह इच्छा बलवती हो उठती है कि मेरा यह कार्य सफल होगा भी या नहीं ? इसी जिज्ञासा का उत्तर शकुन से मिलता है। पशु-पक्षी के स्वर, अंगों का फड़कना आदि शकुन माने जाते हैं। कौवे की स्थिति और उसका स्वर बहुत ध्यान देने योग्य है। कहीं जाने के लिए निकलते समय कौवा गाय पर बैठे या हरे पत्ते के वृक्ष पर, देखने वाले को कई स्वादयुक्त भोजन प्राप्त होता है। कहीं जाते समय कौवा चोंच में तिनका उठाए दिखे तो लाभ ही लाभ की आशा करनी चाहिए। यदि कोई अशुभ संकेत मिले तो अपने प्रभु आदि का स्मरण करके उनकी शरण में ही जाना चाहिए।