Science ने भी माना दीपक जलाने से मिलते हैं ढेरों लाभ

punjabkesari.in Monday, Sep 16, 2019 - 07:30 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

इस विश्व में दीपक ही एकमात्र ऐसा साथी है जो जन्म से लेकर मृत्यु तक साथ निभाता है। प्राय: सभी साधक अपनी दैनिक पूजा में दीपक प्रज्वलित करते हैं और दीपक के द्वारा भगवान की आरती उतारते हैं, किन्तु वास्तव में दीपक ज्योति एवं आरती का तात्विक रूप क्या होगा, जिसके आधार पर प्रत्येक पूजा में इसकी अनिवार्यता हमारे ग्रंथों में प्रतिपादित की गई है।

भो दीप ब्रह्मरूप स्त्वं, अंधकार निवारक: इमां मया कृतां पूजा, गृहस्तेज: प्रवर्धय॥

PunjabKesari Science also acknowledged that these benefits are available by lighting a Deepak

गीता के अनुसार ब्रह्म का प्रकाश इतना तेज है, जिसके सामने एक हजार सूर्यों का प्रकाश भी कम पड़ता है। जिसके कारण साधारण आंखों से कोई मानव उसके दर्शन करने में सक्षम नहीं है। भौतिक, व्यावहारिक एवं वैज्ञानिक दृष्टि से यह प्रमाणित है कि सूर्य का प्रकाश प्रत्येक जड़ एवं चेतन में समाया हुआ है। दीपक में हम इसी तेल, घी और रूई का प्रयोग करते हैं।

दीपक के इस प्रकाश में सूर्य का तेज एवं अग्नि तत्व अवतरित होता है। सूर्य के तेज एवं प्रकाश में ब्रह्म प्रकाश होता है। अत: प्रत्येक साधक को दीपक का दर्शन ब्रह्म भाव से ही करना चाहिए।

दीपक में सत्, तम एवं रज का समन्वय है। दीपक धवल प्रकाश तेज (सत्) और श्याम वर्ण अंधकार (तम) का सम्मिश्रण होता है। दीपक के जलते ही अंधकार को प्रकाश (तेज) अपने में लीन कर लेता है। इस प्रकार धवल (सत्) एवं श्याम वर्ण (तम) के मिश्रण से लौ में पीलापन आ जाता है।

वैज्ञानिकों के अनुसार दो रंगों के मिलने से ही तीसरा रंग बनता है अर्थात दीपक की लौ में पीलेपल की झलक (सत्+तम) के दर्शन होते हैं। दीपक की लौ से यही तम धुआं रूप में निरंतर निकलता रहता है। इसके पश्चात अपनी दृष्टि लौ की जड़ में डालिए तो वहां हल्के नीले रंग की आभा दिखाई देगी। वहीं तीसरा तत्व रज है। इस प्रकार दीपक की लौ में हमें सत्, तम, रज तीनों तत्वों के दर्शन हो जाते हैं।

PunjabKesari Science also acknowledged that these benefits are available by lighting a Deepak

यह सत्य है कि पंचभूतों (आकाश, पृथ्वी, वायु, जल, अग्नि) का नियामक सूर्य ही है तथा यही हमारे शरीर के पंचभूतों का नियामक है। सूर्य दर्शन का उद्देश्य यह निवेदन है कि सूर्य मेरे शरीर में विद्यमान आपके इन्हीं पंच भूतों को नियंत्रित कर स्वास्थ्य लाभ की कृपा करें।  दीपक भगवान सूर्य का प्रतिरूप है। परमात्मा आभा रूप में हम सबमें विद्यमान है तथा उसके प्रकाश की एक ज्योति हमारे ललाट में स्थित है और हमें जीवन दान कर रही है।

इस ज्योति के निकल जाने पर हम मृतक हो जाते हैं। इस ज्योति का प्रकाश हमारे भीतर सदैव व्याप्त रहता है। साधारणजन में काम, क्रोध, लोभ, मोह, अंहकार अपनी-अपनी सीमाओं को पार कर अंधेरे पर रूप धर हमारे भीतर छा जाते हैं और आत्म प्रकाश को उसी प्रकार रोक देते हैं जैसे सूर्य के प्रकाश को बादल। इस तमस से मुक्ति पाने का एक ही उपाय है कि हम दीपक के प्रकाश को आत्मप्रकाश से कुछ समय के लिए जोड़े रहें ताकि प्रकाश का पुंज और तेज होकर कोहरे को पार करते हुए हमारे भीतर को प्रकाशित कर सके। 

PunjabKesari Science also acknowledged that these benefits are available by lighting a Deepak

इससे हमारी भीतरी क्षमता बढ़ेगी और काम, क्रोध, लोभ आदि पर नियंत्रण करने में सक्षम हो जाएगी तथा एक समय हमारा समूचा अंतरंग आत्म प्रकाश से प्रकाशित हो जाएगा जो हमारे जीवन की धारा की दिशा को सही मार्ग की ओर ले जा सकेगा।

दीपक में ब्रह्म प्रकृति दोनों के दर्शन होते हैं। दीपक की रूई जड़ है तो तेल अथवा घी चेतन। जब रूई और तेल/घी को मिला कर प्रकाश युक्त कर दिया जाता है तो अंधकार दूर हो जाता है। चेतना घी एवं तेल के भीतर सूक्ष्म रूप में समाई होती है तथा दीपक के जलाने पर ही उससे हमारा प्रभु से साक्षात्कार होता है। आरती में दीपक ज्योति की ही अहम भूमिका होती है। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Niyati Bhandari

Recommended News

Related News