सर्वपितृ अमावस्या 2022: इन जगहों पर किया जाए पितर तर्पण तो पूर्वज होते हैं प्रसन्न
punjabkesari.in Sunday, Sep 25, 2022 - 02:18 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जाने धर्म की बात
प्रतेक वर्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष का आरंभ होता है, जिसका समापन आश्विन महीने की अमावस्या तिथि को होता है। इस दोरान पितृ पक्ष में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और पिंडदान का
कार्य किया जाता है। मान्यता है इससे पूर्वजों का आशीर्वाद परिवार सहित आने वाली पीढ़ियों को भी प्राप्त होता हैं। ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार श्राद्ध पक्ष में आटे से बने गोल पिंड का दान किया जाता है। यह पिंड चावल, गाय के दूध, घी, शक्कर व शहद के मिश्रण से बनाया जाता है। इसी मिश्रण से श्राद्ध कार्य की पूजा आदि संपन्न होती है जिसके समापन के बाद निर्मित पिंड गाय को खिला दिया जाता है। लोग संपूर्ण पितृ पक्ष के साथ-साथ इसकी आखिरी दिन यानि आश्विन मास की अमावस्या तिथि को अपने पूर्वजों की शांति व मुक्ति के लिए विधि वत रूप से श्राद करते हैं। बता दें हमारे देश में न केवल कोई स्थान पर बल्कि देश के अलग-अलग कोने में पितृ तर्पण व श्राद्ध करने के विभिन्न स्थान मौजूद हैं। तो आज हम अमावस्या तिथि के अवसर पर देश में स्थित ऐसे ही कुछ स्थानों के बार में बताने जा रहे हैं जो पितृ तर्पण, पिंडदान व श्राद्ध करने के लिए सबसे खास माने जाते हैं। बताया जाता है हमारे भारत देश में यूं तो पिंडदान करने के लिए कई स्थल हैं परंतु इनमें से कुछ ऐसे हैं जिनका महत्व अन्य की तुलना में अधिक है। आइए जानते हैं कौन से हैं ये स्थान-
अयोध्या-
उत्तर प्रदेश में स्थित मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या को पिंड दान करने वाले पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है। बता दें सरयू नदी के तट पर एक कुंड है जिसे भात कुंड के नाम से जाना जाता है। यहां ब्राह्मण और पुजारियों की उपस्थिति में धार्मिक कार्यों के साथ-साथ लोग अपने पूर्वजों की शांति के लिए हवन करवाते हैं। परंतु यहां के लोक मत अनुसार यज्ञ में बैठने वाले तो पहले इस इस पवित्र नदी में स्नान करना पड़ता है। तो वहीं जब यज्ञ की समाप्ति के बाद दान आदि करना आवश्यक माना जाता है।
उज्जैन-
मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर को मंदिरों का शहर कहा जाता है। मगर इसे पिंड दान के लिए भी आदर्श माना जाता है, इस बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। शिप्रा नदी के किनारे स्थित इस स्थान पर पिंड दान जैसे कर्मकांड किए जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यहां दान का काम करना बेहद लाभकारी है।
प्रयागराज-
किंवदंतियों के मुताबिक प्रयागराज गंगा, यमुना और सरस्वती नदी के संगम पर है। ऐसा कहा जाता है प्राचीन समय में प्रयागराज को इलाहाबाद के नाम से भी जाना जाता था। कहा जाता है कि जो पितृ या पूर्वज मृत्यु के बाद कष्ट भोग रहे हों, तो यहां उनका पिंडदान करने से उनकी आत्मा को कष्टों से राहत मिलती है। इसकेअलावा यहां स्थित नदीं में स्नान करने मात्र से मनुष्य के सारे पाप धुल जाते हैं।
हरिद्वार-
शास्त्रों की मानें तो हरिद्वार में पिंडदान के कार्मकांड के लिए सबसे महत्वपूर्ण स्थान माना गया है। यह जगह इतनी पवित्र है कि वहां के वातावरण से ही व्यक्ति के मन में शांति का अनुभव होता है। तो वहीं यहां स्नान मात्र से व्यक्ति के जीवन के सभी कष्ट, रोग और समस्याएं समाप्त हो जाती हैं तथा पापों से मुक्ति मिलती है। पुराणों में इस बात का वर्णन किया गया है कि अगर हरिद्वार में अंतिम संस्कार और पितरों का तर्पण किया जाए तो उन्हें अवश्य ही स्वर्ग की प्राप्ति होती है। साथ ही साथ परिवार के जीवित सदस्यों को पुण्य मिलता है।
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