सर्वपितृ अमावस्या 2022: इन मंत्रों का जप करने वाले को कभी नहीं होती धन की कमी
punjabkesari.in Sunday, Sep 25, 2022 - 09:34 AM (IST)

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Sarva Pitru Amavasya 2022: हिंदू धर्म में पितरों के मोक्ष की कामना के लिए पितृपक्ष में श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान आदि करने की परंपरा कई वर्षों से चलती आ रही है। माना जाता है कि पितृपक्ष में पितरों के लिए श्राद्ध करने पर उन्हें मुक्ति मिलती है और उनका आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। हिंदू पंचांग के मुताबिक पितृ पक्ष के आखिरी दिन सर्व पितृ अमावस्या मनाई जाती है, जो कि इस बार 25 सितम्बर,रविवार को पड़ रही है। इस दिन को महालया अमावस्या भी कहा जाता है। कहा जाता है कि 16 दिन से धरती पर आए हुए पितर इस सर्व पितृ अमावस्या पर वापस पितृलोक चले जाते हैं। साथ ही पितरों के लिए ब्राह्मणों को भोजन करवाया जाता है एवं दान-दक्षिणा के साथ उन्हें आदरपूर्वक विदा किया जाता है। तो आइए जानते हैं इस दिन मुहूर्त व इस दौरान क्या करना चाहिए-
सर्वपितृ अमावस्या मुहूर्त
अमावस्या तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 25, 2022 को 03:12 ए एम बजे
अमावस्या तिथि समाप्त - सितम्बर 26, 2022 को 03:23 ए एम बजे
पितृ मंत्र-
ॐ पितृ दैवतायै नमः।
ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।
ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।
ओम् देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।
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अमावस्या के दिन ऐसे करें श्राद्ध
अमावस्या के दिन प्रात: काल उठकर स्नान करके सफेद रंग के धुले वस्त्र पहनकर पितरों के लिए तर्पण करना चाहिए।
इसके बाद अपना मुख दक्षिण दिशा की तरफ करके बैठें फिर तांबे के लोटे में गंगाजल भरकर उसमें काले तिल व कच्चा दूध डाल दें।
इस जल से तर्पण करते वक्त पितरों के लिए प्रर्थना करें। ब्राह्मणों को भोजन कराएं तत्पश्चात श्रद्धानुसार दक्षिणा दें और चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लें।
मान्यता है कि इस दिन दीप दान करने से घर में सुख शांति बनी रहती है और घर में धन-धान्य की कमी नहीं होती।
इस दिन ब्राह्राण को भोजन कराने से पहले दक्षिण की ओर मुख करके पंचबलि गाय, कुत्ते, कौए, देवता आदि और चींटी के लिए भोजन सामग्री पत्ते पर निकाली जाती है।
इन जीवों को भोग लगाने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और परिजनों द्वारा पालन किए जा रहे नियमों को देखकर पितर प्रसन्न भी होते हैं।
ऐसा करने पितृ दोष दूर होता है और पितरों द्वारा सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।