शुक्रवार के दिन इस विधि से करें संतोषी माता को प्रसन्न
punjabkesari.in Friday, Dec 20, 2019 - 09:38 AM (IST)
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हिंदू पंचांग के अनुसार शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी व संतोषी माता की पूजा का दिन होता है। बहुत से लोग इस दिन व्रत भी करते हैं। जो लोग संतोषी माता के नाम का व्रत करते हैं, उन्हें इस दिन खट्टे वाली हर एक चीज़ से दूर रहना होता है और साथ ही परिवार का कोई भी सदस्य इस दिन खट्टा न खा सकता है और न घर लेकर आ सकता है। अगर आप अपनी मनोकामना को पूरा करना चाहते हैं, तो शुक्रवार के दिन इस विधि-विधान से करें संतोषी माता की पूजा आराधना।
सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर घर की सफाई करके स्नान करें और घर के मंदिर में संतोषी माता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। सारी पूजन सामग्री और शुद्ध जल अपने पास रखें।
जल भरे पात्र पर गुड़ और चने से भरकर दूसरा पात्र रखें। संतोषी माता की विधि-विधान से पूजा करने के बाद माता संतोषी की यह नीचे दी गई स्तुति को श्रद्धा पूर्वक करें।
संतोषी माता की स्तुति करते वक्त घी का दीपक एवं कपूर एक थाल में जलते रहना चाहिए।
।। संतोषी माता की स्तुति ।।
मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की।
मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की।
जय जय संतोषी माता जय जय माँ॥
बड़ी ममता है बड़ा प्यार माँ की आँखों में।
माँ की आँखों में बड़ी करुणा माया दुलार माँ की आँखों में।
माँ की आँखों में। क्यूँ ना देखूँ मैं बारम्बार माँ की आँखों में।
दिखे हर घड़ी नया चमत्कार आँखों में।
माँ की आँखों में। नृत्य करो झूम झूम, छम छमा छम झूम झूम,
झांकी निहारो रे॥ मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की।
जय जय संतोषी माता जय जय माँ।।
सदा होती है जय जय कार माँ के मंदिर में। माँ के मंदिर में।
नित्त झांझर की होवे झंकार माँ के मंदिर में। माँ के मंदिर में।
सदा मंजीरे करते पुकार माँ के मंदिर में। माँ के मंदिर में।
वरदान के भरे हैं भंडार, माँ के मंदिर में। माँ के मंदिर में।
दीप धरो धूप करूँ, प्रेम सहित भक्ति करूँ, जीवन सुधारो रे॥
मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की।
जय जय संतोषी माता जय जय माँ॥
संतोषी माता की स्तुति पूरी होने के बाद सभी को गुड़-चने का प्रसाद बांटें और बाद में स्वयं भी ग्रहण करें। अंत में पात्र के जल को पूरे घर में माता का नाम लेते हुए छिड़क दें तथा बाकी बचा जल तुलसी के पौधे में डाल दें।
जो लोग संतोषी माता के निमित्त उपवास रखें वे इस दिन खट्टी चीजों का सेवन न करें और न ही स्पर्श करें। हो सके तो घर पर भी कोई ऐसी वस्तु न लाएं और न ही बनाएं।