Ashadha Gupt Navratri: आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की अष्टमी और नवमी पर इस विधि से करें पूजा
punjabkesari.in Wednesday, Jul 02, 2025 - 03:01 PM (IST)

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Ashadha Gupt Navratri 2025: आषाढ़ गुप्त नवरात्रि समापन की ओर बढ़ रहे हैं। 26 जून 2025 से ये आरंभ हुए थे और इनका समापन 4 जुलाई 2025 को होगा। अष्टमी तिथि यानी मासिक दुर्गाष्टमी 3 जुलाई को है और नवमी 4 जुलाई को पड़ रही है। वैसे तो यह 9 दिन गुप्त साधना के लिए महत्वपूर्ण हैं लेकिन अगर आप इन दिनों में पूजा करने में असमर्थ रहे हैं तो आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की अष्टमी और नवमी पर इस विधि से करें पूजा। जो पूरी तरह पारंपरिक, गुप्त एवं सिद्ध साधकों द्वारा प्रयुक्त पद्धति है। यह धर्म क्रिया घर या एकांत स्थान पर कर सकते हैं। यह प्रणाली सामान्य भक्तों से लेकर साधकों तक के लिए उपयोगी है।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि अष्टमी मासिक दुर्गाष्टमी (8वीं तिथि) पूजा विधि
पूजा में उपयोग होने वाली सामग्री- काले वस्त्र, तिल का तेल व दिया, लाल फूल (गुड़हल/जवाफूल), काले चने, गुड़, नारियल, काजल, नींबू, काली हल्दी, भस्म/राख, त्रिशूल, तलवार या देवी का यंत्र।
रात्रिकाल में इस विधि से करें पूजा
स्नान करके स्वच्छ वस्त्र (काले/लाल) पहनें।
एकांत में पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
लकड़ी के पाटे पर लाल कपड़ा बिछाकर देवी काली की मूर्ति/चित्र/यंत्र स्थापित करें।
तिल के तेल का दीपक जलाएं।
देवी को लाल फूल, काले चने, गुड़ व नारियल अर्पित करें।
भस्म या काजल से त्रिपुण्ड या तिलक करें।
108 या 1008 बार (रुद्राक्ष माला से) इस मंत्र का जप करें-
मंत्र: ॐ क्रीं कालिकायै नमः
गुप्त प्रार्थना करें: अपने शत्रु बाधा, तांत्रिक दोष या मनोकामना की पूर्ति हेतु मां से निवेदन करें। अंत में नारियल फोड़कर, भोग अर्पण करके पूजा समाप्त करें।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि नवमी (9वीं तिथि) पूजा विधि
सामग्री- लाल वस्त्र, लाल चंदन, सुगंधित पुष्प (गुलाब/चंपा), केसर, शहद, दूध, दही, घी (पंचामृत हेतु), खीर, हलवा, पूड़ी आदि (भोग के लिए), लाल चुनरी, काजल, बिंदी, चूड़ियां (कन्या पूजन हेतु), श्री यंत्र या त्रिपुरसुंदरी यंत्र
पूजा विधि
प्रातः काल या रात्रि में स्नान करके लाल वस्त्र धारण करें।
मां दुर्गा / त्रिपुरसुंदरी देवी की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीप जलाएं।
पंचामृत से मूर्ति/यंत्र को स्नान कराएं (यदि संभव हो)।
देवी को लाल पुष्प, केसर, मिठाई, खीर आदि अर्पित करें।
108 बार माला से मंत्र जाप करें-
मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुरसुन्दर्यै नमः
अष्टमी और नवमी की पूजा के बाद रखें इन बातों का ध्यान : अष्टमी को शक्ति जागरण व तांत्रिक प्रयोग का समय माना जाता है। नवमी को मनोकामना सिद्धि व पूर्णाहुति का दिन माना जाता है।रात्रि के समय की गई मौन साधना सबसे प्रभावी मानी गई है। इन दोनों तिथियों की पूजा गुप्त रखी जाए तो शीघ्र फल देती है।
कन्या पूजन करें: 1, 5 या 9 कन्याओं को भोजन करवाएं। उन्हें चुनरी, बिंदी, चूड़ी, काजल आदि भेंट करें।
10 महाविद्याओं से प्रार्थना करें- विशेष रूप से सौंदर्य, आकर्षण, सफलता, प्रेम, वैभव आदि के लिए। भोग अर्पण करके पूजन समाप्त करें।