Sakat Chauth: सकट चौथ की ये कथा हर लेगी संतान के सारे दुःख

punjabkesari.in Monday, Jan 29, 2024 - 07:11 AM (IST)

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Sakat Chauth Ki Vrat Katha: आज 29 जनवरी को माघ महीने में आने वाला सकट चौथ व्रत है। इसे साल की सबसे बड़ी चतुर्थी भी कहते हैं। आज के दिन गणेश जी की विशेष रूप से पूजा की जाती है। माघ के महीने में तिल का भी बहुत महत्व होता है इसलिए इसे तिलकुटा चतुर्थी भी बोलते हैं। सकट का अर्थ है संकट, इस दिन गणेश जी सबके दुखों को हर लेते हैं और लंबी आयु व इच्छा पूर्ति का वरदान देते हैं। इस दिन गणेश जी की तिल से पूजा की जाती है। माताएं आज के दिन अपनी संतान की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। सकट चौथ की कथा पढ़ें या सुने बिना ये व्रत अधूरा माना जाता है। जो माताएं इस दिन सच्चे मन से पार्वती पुत्र की कथा कहती और सुनती हैं, विघ्नहर्ता बहुत जल्दी उनके सब दुखों को हर लेते हैं। तो आइए जानते हैं की कौन सी कथा आज के दिन सुननी चाहिए :

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सकट चौथ व्रत कथा: एक नगर में साहूकार और उसकी पत्नी रहते थे। उनका पूजा-पाठ, धर्म-कर्म आदि में मन नहीं लगता था। एक बार साहूकारनी अपनी पड़ोसन के घर गई। उस दिन सकट चौथ थी। पड़ोसन गणेश जी की पूजा कर रही थी। तब साहूकारनी ने उस से पूछा सकट चौथ व्रत का क्या महत्व है और इसे रखने से क्या होता है। पड़ोसन ने सकट चौथ की महिमा बताते हुए कहा की इस दिन व्रत रखने से अखंड सौभाग्य, पुत्र, धन-धान्य, बुद्धि, सिद्धि सब चीजों का वरदान मिलता है। साहूकारनी ने व्रत की महिमा जान कर व्रत रखने का संकल्प लिया।

Sakat Chauth fast brings happiness of children सकट चौथ की कथा से मिलता है संतान का सुख: साहूकारनी ने कहा कि अगर वह मां बनती है, तब ही वह सकट चौथ का व्रत करेगी। गजानन की कृपा से उसका गर्भ ठहर गया। यह देखकर वो बहुत खुश हुई और उसके मन में लालच और बढ़ गया। कहने लगी अगर भगवान ने उसे बेटा दिया तो वह ढाई सेर तिलकुट करेगी। भगवान ने उसकी सुन ली और सौभाग्य से उसके पुत्र हुआ। इतना सब कुछ पाने के बाद उसकी लालसा और बढ़ती चली गई। फिर उसने कहा की जब बेटे का विवाह होगा तब मैं सवा पांच सेर तिलकुटा करूंगी। पार्वती के पुत्र के आशीर्वाद से उस लड़के का विवाह भी तय हो गया।

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Son disappeared by the power of Gajanan गजानन की शक्ति से गायब हुआ बेटा: सारी इछाएं पूरी होने के बाद भी उस साहूकारनी ने अपना संकल्प पूरा नहीं किया। यह सब देख कर गणेश जी उससे नाराज हो गए और उसे सबक सिखाने के लिए विवाह वाले दिन उस लड़के को गायब करके बहुत दूर जंगल में भेज दिया। विवाह मंडप में लड़के को न देखकर सब चिंतित हो गए। लड़के की होने वाली बहू उसे ढूंढ़ने जंगल गयी लेकिन निराश होकर वापिस आ गई। साहूकारनी अपने बेटे के विरह की वजह से रोने लगी।

Happiness returned from the fast of Sakat Chauth सकट चौथ के व्रत से वापिस आई खुशियां: फिर से गांव वाले और साहूकारनी लड़के को ढूंढने के लिए जंगल गए। उन्होंने देखा की उनका लड़का एक पेड़ पर जाकर बैठा था। पुत्र ने सबको उसकी मां की गलती से परिचित करवाया और कहा मां ने सकट चौथ व्रत करने का संकल्प लिया था लेकिन अपने लालच के कारण उसे पूरा नहीं किया। इसी वजह से गणपति जी नाराज हैं।

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साहूकरानी को अपनी गलती का अहसास हुआ। अपने घर वापिस आकर जो-जो उसने कहा था, उन सब वचनों को पूरा किया। तब गणेश जी ने साहूकारनी को माफ किया और उसका बेटा भी सही-सलामत घर वापिस आ गया। इसी तरह अगर कोई माता सच्चे मन से इस व्रत को करेगी तो गणेश जी उसकी संतान पर आने वाले सभी संकट हर लेंगे और लंबी आयु  प्रदान करेंगे।

 


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Content Writer

Niyati Bhandari

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