Rukmini Ashtami: राधारानी को छोड़ श्रीकृष्ण ने बनाया रूक्मिणी को पत्नी
2021-01-06T04:20:15.64

Rukmini ashtami 2021
भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ तो राधा जी ने भाद्र माह में ही शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्म लिया। श्री कृष्ण की प्रथम पटरानी देवी रूक्मिणी का जन्म पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। राधा जी के जन्म में और देवी रूक्मिणी के जन्म में एक अन्तर यह है कि देवी रूक्मिणी का जन्म कृष्ण पक्ष में हुआ था और देवी राधा जी का शुक्ल पक्ष में। राधा जी को नारद जी द्वारा दिए गए श्राप के कारण विरह सहना पड़ा और देवी रूक्मिणी और श्री कृष्ण प्रणय सूत्र में बंध गए। श्री राधा और रूक्मिणी जी दिखने में अलग-अलग शख्यित हैं परंतु दोनों ही माता लक्ष्मी का अंश स्वरूप हैं।
Rukmini Ashtami
चराचर जगत में रुक्मिणी और राधा का संबंध श्रीकृष्ण से है। संसार रुक्मिणी जी को श्रीकृष्ण की पत्नी और राधा जी को श्रीकृष्ण की प्रेमिका के रूप में मानता है। आम जगत में रुक्मिणी और राधा की यही पहचान है परंतु क्या कभी आपके मन में यह प्रशन उठा है की राधा और रुक्मिणी में से कौन लक्ष्मी का अवतरण था ?
Rukmini ashtami vrat
लक्ष्मी रहस्य का रूपकात्मक दिग्दर्शन करने वाली अनेकानेक वृतांत और कथाएं महाभारत जैसे शास्त्रों में वर्णित हैं। जिनमें से एक वृतांत है "लक्ष्मी-रुक्मिणी संवाद" महाभारत के एक प्रसंग में लक्ष्मी के रहस्य से संबंधित एक प्रशन युधिष्ठिर ने भीष्म से पूछा था, जिसका जवाब देते समय भीष्म ने लक्ष्मी एवं रुक्मिणी के दरम्यान हुए एक संवाद की जानकारी युधिष्ठिर को दी।
Rukmini jayanti
महाभारत के अनुशासन पर्व के अनुसार, लक्ष्मी ने रुक्मिणी से कहा था, की मेरा निवास तुममे (रुक्मिणी) और और राधा में समानता से है तथा गोकुल कि गाएं एवं गोबर में भी मेरा निवास है।
Worship of Goddess Rukmini
श्रीकृष्ण के तत्व दर्शन अनुसार रुक्मिणी को देह और राधा को आत्मा माना गया है। श्रीकृष्ण का रुक्मिणी से दैहिक और राधा से आत्मिक संबंध माना गया है। रुक्मिणी और राधा का दर्शन बहुत गहरा है।