पितृदोष लाता है जीवन में कई समस्याएं, ज्योतिष से जानें क्या है इससे बचने के उपाय

punjabkesari.in Thursday, Mar 18, 2021 - 04:02 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
आप में से बहुत से लोगों ने अक्सर हमने ज्योतिषियों के मुख से यह सुना होगा कि कुंडली में पितृ दोष है। अब यह पितृ दोष क्या होता है, यह जिज्ञासा होना स्वाभाविक है। तो आपको बता दें जिस तरह कुंडली में कई तरह के राजयोग होते हैं, उसी तरह कुंडली में कई दोष भी होते हैं, जिनमें एक होता है पितृदोष है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जब जन्म कुंडली में दूसरे ,चौथे, पांचवें, सातवें , नवम व 10 में भाव में सूर्य का राहु या फिर सूर्य का शनि के साथ कंबीनेशन बना हो यानि इन ग्रहों की आपसी युति हो रही हो तो इसे पितृ दोष माना जाता है। सूर्य यदि तुला राशि में नीच का होकर राहु या शनि के साथ युति कर रहा हो तो फिर इस पितृदोष के अशुभ प्रभाव और भी बढ़ जाते हैं। कुंडली के 12 भावों में से जिस भी भाव में इन ग्रहों की युति हो रही होगी, उस भाव से संबंधित कष्ट और परेशानी होती है।

इसके अलावा लग्नेश यदि छठे, आठवें, बारहवें भाव में हो और लग्न में राहु हो तो भी पितृदोष बनता है। कुछ विद्वान यह भी मांगते हैं कि कुंडली में पितृदोष तब होता है जब सूर्य, चंद्र,  राहु या शनि में कोई दो ग्रह एक ही घर में मौजूद हों। जन्मपत्री में यदि सूर्य पर शनि, राहु या केतु की दृष्टि पड़ रही हो या फिर इन ग्रहों का कंबीनेशन बन रहा हो तो उस व्यक्ति की कुंडली में पितृ ऋण की स्थिति मानी जाती है । ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति के सांसारिक जीवन और आध्यात्मिक उन्नति में भी अनेक बाधाएं उत्पन्न होती हैं।

ज्योतिष और पुराणों में भी पितृदोष के संबंध में अलग-अलग धारणाएं हैं लेकिन इतना तय है कि हमारे पूर्वजों और कुल परिवार के लोगों से जुड़ा दोष है और जब तक इस दोष का निवारण नहीं कर लिया जाए कि यह दोष खत्म नहीं होता है। यदि पिता की कुंडली में पितृ दोष है और उन्होंने इसकी शांति नहीं करवाई है तो संतान की कुंडली में भी यह दोष देखा जाता है।
पितृ दोष होने के जो प्रमुख लक्षण होते हैं,  उसमें सुबह के समय उठने के बाद परिवार में अचानक कलह क्लेश होता है । विवाह की बात अक्सर बनते बनते बिगड़ जाती है। मांगलिक कार्यों में विघ्न आता रहता है ।अक्सर घर की दीवारों में दरारें भी आ जाती है। दांपत्य जीवन के क्लेश के कारण जीवन की मुश्किलें बढ़ती हैं या फिर बार-बार चोट लगने लगती है और व्यक्ति दुर्घटनाओं का शिकार होता रहता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में पितृ  दोष के लक्षण होते हैं,  उसके परिवार के सदस्य डॉक्टरों के चक्कर काटने को मजबूर हो जाते हैं।

जिस व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष होता है, उस व्यक्ति को मानसिक परेशानी लगी रहती है तथा पारिवारिक संतुलन नहीं बैठ पाता । व्यक्ति निर्णय लेने के मामले में दूसरों पर डिपेंड हो जाता है। उसका कॉन्फिडेंस लेवल बहुत कम हो जाता है । परीक्षाओं तथा साक्षात्कार में भी मेहनत के बाद भी असफलता मिलती है। नौकरी में उच्चाधिकारियों की नाराजगी झेलनी पड़ती है। संतान प्राप्ति में भी बहुत ज्यादा बाधाएं आती हैं। गर्भपात की समस्या झेलनी पड़ती है या गर्भधारण में भी समस्या आती है। बात-बात पर क्रोध आने लगता है। समाज में प्रतिष्ठा कम होने लगती है। पूजा पाठ में ध्यान नहीं लगता।  रोजगार में दिक्कत आने लगती है। संतान कष्ट होता है।

अगर किसी की कुंडली में पितृ दोष है तो फिर उसे दूर करने का उपाय भी है। शास्त्रों और ज्योतिष में इन उपायों का जिक्र किया गया है। पूरी आस्था व श्रद्धा के साथ इन उपायों को करना चाहिए। पितृ दोष को ख़त्म करने के लिए हर अमावस्या पर अपने पूर्वजों और पितरों के नाम से दवा, वस्त्र व भोजन का दान करना चाहिए। हर बृहस्पतिवार और शनिवार की शाम पीपल की जड़ में जल अर्पण करें और उसकी सात परिक्रमा करें शुक्ल पक्ष के रविवार के दिन सुबह के समय भगवान सूर्य को तांबें के लोटे में जल में गुड़, लाल फूल, रोली आदि डालकर अर्पण करना शुरू करें । माता पिता और उनके समान बुजुर्ग व्यक्तियों का चरण स्पर्श करें और उनसे आशीर्वाद लें। पितृ दोष मुक्ति के लिए अपने कुलदेवता और इष्ट देव की सदा पूजा करते रहें। किसी गरीब कन्या के विवाह में मदद करें या किसी की बीमारी में उसकी सहायता करें।

गुरमीत बेदी
gurmitbedi@gmail.com


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Content Writer

Jyoti

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