कैसे, एक चेले के जरिए गुरु को हुए भगवान के दर्शन

punjabkesari.in Saturday, Jan 27, 2018 - 01:28 PM (IST)

एक जंगल में एक गुरु चेला रहते थे, चेला अपने गुरु की पूरे मन से सेवा करता और उनकी हर बात पर अमल करता। जब खाना तैयार होने के बाद चेला गुरु से कुछ खाने के लिए मांगता तो गुरु जी कहते, "मैं पहले मंदिर में भोग लगा आऊं, फिर आकर तुम्हें दूंगा।" रोज वो भगवान को भोग लगाने के बाद ही भोजन करते। एक बार गुरु जी की सेहत बिगड़ गई तो उन्होंने चेले को कहा, "जाओ आज तुम मंदिर में भोग लगा आओ।"


चेला बहुत भोला था वह मंदिर जाकर भगवान की प्रतिमा के समक्ष बैठ कर उनका आवाहन करने लगा कि जब तक आप आकर भोग नहीं लगाएंगे तब तक हम भी नहीं खाएंगे। उसके भोलेपन और श्रद्धा को देखकर भगवान सच में उसके सामने प्रकट हुए और उन्होंने भोग लगा लिया। अगले दिन भी एेसा ही हुआ। गुरुदेव ने पूछा "शिष्य आप इतनी देरी से क्यों आते हो।" तब चेले ने अपने गुरु को उत्तर दिया कि गुरु जी आपके भगवन भोजन ग्रहण करने देरी से आते हैं। भगवान साक्षात आकर माक्खन-मिश्री का भोग लगाते हैं। 


एेसा कई दिन तक चलता रहा, फिर एक दिन भगवान ने चेले से कहा कि कल भोजन में माक्खन व मिश्री अधिक मात्रा में लाना क्योंकि कल राधा रानी भी आएंगी। शिष्य ने गुरु जी से अधिक भोजन देने की प्रार्थना की तो गुरु जी ने इसका कारण पूछा तो चेले ने सारी बात बता दी। गुरु को लगा कि यह भोजन अपने लिए मांग रहा है और उसके पीछे-पीछे चल दिए। मंदिर में पहुंच भगवान को साक्षात भोजन ग्रहण करते देख गुरु दंग रह गए और विचार करने लगे कि मैं तो भोजन केवल प्रभु को भोजन अर्पण करता था। मेरा चेला तो साक्षात भगवान को भोजन खिलाता है। यह अद्भुत दृश्य देख वो वह अपने चेले के पैरों में गिर गया और उसने चेले से कहा, " गुरु गुड़ ही रहा, चेली चीनी हो गया। 


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