अविद्या के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश तक, गुरु ही हैं मार्गदर्शक

punjabkesari.in Monday, Jul 14, 2025 - 11:19 AM (IST)

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Maya And Reality: हमारा स्थूल अस्तित्व तो केवल इस अंतहीन ब्रह्माण्ड का अंश मात्र है अर्थात यह स्थूल जगत इस सृष्टि का सम्पूर्ण सत्य नहीं है और जो अधूरा सत्य है, पहले उसे समझना आवश्यक है, फिर उसके बाद उससे परे के सत्य को जानने का प्रयास करना चाहिए। हममें से प्रत्येक मनुष्य में असीमित क्षमता है जो हमारी स्वयं की अविद्या और भौतिक इच्छाओं के माया जाल में फंस कर दबी रह जाती है और हम इसी जन्म, इसी लोक को पूर्ण सत्य समझकर, परम सत्य को जानने की सोचते भी नहीं हैं। जन्म-जन्मांतर तक सम्पूर्ण जीवन केवल इस मृत्यु लोक के भोगों में व्यतीत करते रहते हैं।

यह सब इसलिए है कि आज के समय में शायद ही कोई गुरु हैं जो इस अज्ञान और अविद्या को दूर कर सकें और आत्मिक उन्नति का मार्ग दिखा सकें। आज, अपनी समस्याओं का हल ढूंढने के लिए हम टेलीविजन और पुस्तकों का सहारा लेते हैं या फिर गुरु के नाम पर व्यापार करने वालों के चंगुल में फंस कर उपाय ढूंढ़ते रहते हैं और माया रुपी अविद्या की गर्त में और अधिक धंसते चले जाते हैं जिस कारण आत्मा का पतन होता जाता है और वह निचले लोकों में जन्म लेकर अधिकाधिक कष्टपूर्ण जीवन भोगती है। इस मायावी भंवर से बाहर निकलने में असमर्थ रहती है। सत्य तो यह है कि यह सम्पूर्ण सृष्टि कर्म पर आधारित है और यह ज्ञान केवल गुरु ही दे सकते हैं, वही एक जीव को सत्कर्म का मार्ग दिखाकर आत्मिक उन्नति की ओर प्रेरित करते हैं, तभी इस लोक के बंधनों की पकड़ ढीली होने लगती है और उच्च लोकों का सत्य उजागर होने लगता है। भौतिक समस्याएं तो हमारे ही कर्मों के परिणाम स्वरुप हैं जो केवल सत्कर्मों से ही दूर हो सकती हैं और इस ज्ञान का प्रकाश केवल गुरु द्वारा ही हो सकता है किन्तु अंत में प्रश्न यही उठता है कि आप जन्म-जन्मांतर तक कष्ट भोगते हुए इसी माया लोक में फंसे रहना चाहते हैं या गुरु का सानिध्य प्राप्त कर यहां से बाहर निकलने का मार्ग प्रशस्त करना चाहते हैं।

अश्विनी गुरूजी


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Content Editor

Prachi Sharma

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