Ramadan 2022 (6th april 2022): ये है आज का माह-ए-रमजान का समय

punjabkesari.in Wednesday, Apr 06, 2022 - 09:25 AM (IST)

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Ramadan 2022: माह-ए-रमजान में रोजा, नमाज और कुरानमजीद की तिलाबत के साथ-साथ जकात व फितरा तकसीम (बांटने) का भी बहुत महत्व है। इस्लाम के पांच अरकान(स्तम्भों) में एक रोजा तो एक जकात भी है। इस्लाम का पांच अरकान में ईमान, नमाज, रोजा, जकात और हज है। जकात हर दौलतमंद पर फर्ज है, वहीं फितरा हर बालिग, नाबालिग औरत, मर्द बूढ़े बुजुर्ग मुसलमान पर वाजिब है। जकात का प्रावधान है कि इंसान क कुल धन का ढाई प्रतिशत हिस्सा गरीबों में तकसीम कर दिया जाये। उस हर इंसान को जकात देना फर्ज है जिसके पास साढ़े सात तोला सोना या साढ़े बावन तोला चांदी या फिर इतनी ही कीमत के बराबर बैंक बैलेंस हो। फितरा हर मुसलमान पर फर्ज है। फितरा एक व्यक्ति के ऊपर एक किलो 660 ग्राम गेहूं या उसकी कीमत के बराबर रुपए किसी गरीब को दिए जाएं। 

इफ्तार
6:41

सेहरी
6:41

रमजान की फजीलतें
मुस्लिम अपने नफ्स का फाका करता है : रमजान में इंसान हर उस चीज को महसूस करता है जो गरीब भूखें रहकर आए दिन करते हैं। इस महीने मुस्लिम अपने नफ्स का फाका करता है और अपनी ख्वाहिशों को दबाता है साथ ही गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करता है। बुराई से बचाता है जो न जायज हो और हजार नेमतों के मौजूद होने के बावजूद अल्लाह के हुक्म और वक्त का इंतजार करता है।  -सय्यद शाहिद राहत

इस महीने कोई बेहुदा हरकत नहीं करना है : कुरान में कहा गया कि नफ्स को पाक करने के लिए रोजे को वाजिब किया गया है। खुद रसूल ए खुदा ने कहा कि बेहतर सेहत के लिए रोजा रखो। इस महीने में बंदा अल्लाह के करीब हो जाता है। फिर वह जो दुआ मांगता है और अल्लाह उसको रद्द नहीं करता है। इस माहे मुबारक में गरीबों पर खास ध्यान देना चाहिए।  रसूल का इरशाद है कि जब किसी का रोजा हुआ करे तो कोई बेहुदा हरकत न करना और न ही कोई बेहुदा बात करना न ही गुस्से में शोर और हंगामा करना।

-हाफिज मो.यूसुफ


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Content Writer

Niyati Bhandari

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