राबिया बसरी की ये कथा आपको करवाएगी करिश्मेबाजी से रु-ब-रु

punjabkesari.in Sunday, Mar 12, 2023 - 10:30 AM (IST)

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inspirational Context: प्रसिद्ध सूफी संत राबिया बसरी संतों के साथ सत्संग में लीन थीं। तभी संत हसन बसरी वहां पहुंचे और बोले- चलिए हम लोग झील के पानी में बैठकर अध्यात्म की चर्चा करें। हसन को पानी पर चलने की सिद्धि प्राप्त थी। राबिया समझ गईं कि हसन उसी सिद्धि का प्रदर्शन करना चाहते हैं। राबिया ने नम्रता से पूछा-हम दोनों यदि हवा में उड़ते हुए बातचीत करें तो कैसा रहेगा ? राबिया को पानी पर चलने के अलावा हवा में उड़ने की भी सिद्धि हासिल थी। यह सुनकर हसन चौंक पड़े।

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राबिया ने तब गंभीर होकर कहा- जो आप कर सकते हैं, वह हर एक मछली कर सकती है और जो मैं कर सकती हूं वह
एक मक्खी भी कर सकती है। सत्य, करिश्मेबाजी से बहुत ऊपर है। उसे विनम्र होकर खोजना पड़ता है। अध्यात्मवादी को दर्प जरा भी शोभा नहीं देता।

राबिया की बात से हसन को अध्यात्म का मर्म समझ में आ गया। कहते हैं कि उसके बाद उन्होंने फिर कभी अपनी सिद्धि का प्रदर्शन नहीं किया।

 


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Content Writer

Niyati Bhandari

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