जानिए, कैसे मनाया जाता है पोंगल का त्योहार ?

punjabkesari.in Monday, Jan 13, 2020 - 11:04 AM (IST)

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जहां उत्तर भारत में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है तो वहीं भारत के दक्षिण हिस्से में इस दिन को पोंगल के रूप में मनाया जाता है। इस दिन त्योहार को लगातार 4 दिनों तक मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन तमिल के लोग बुरी आदतों का त्याग करते हैं और इस परंपरा को पोही कहा जाता है। बता दें कि पोंगल का तमिल में अर्थ उफान या विप्लव होता है। पारम्परिक रूप से ये सम्पन्नता को समर्पित त्यौहार होता है, जिसमें समृद्धि लाने के लिए वर्षा, धूप तथा कृषि संबंधी की आराधना की जाती है। आइए जानते हैं इसे क्यों और कैसे मनाया जाता है।
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तमिलनाडू में इस पर्व को पूरे चार दिनों तक मनाया जाता है। जिसका पहला दिन भोगी पोंगल, दूसरा दिन सूर्य पोंगल, तीसरा दिन मट्टू पोंगल और चौथा दिन कन्या पोंगल कहलाता है। दिनों के हिसाब से अलग-अलग तरीके से पूजा की जाती है। दक्षिण भारत के लोग फसल समेटने के बाद खुशी प्रकट करने और आने वाली फसल के अच्छे होने की प्रार्थना करते हैं। पोंगल पर्व में सुख समृद्धि के लिए लोग धूप, सूर्य, इन्द्रदेव और पशुओं की पूजा कर उनका आभार प्रकट करते हैं।
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धार्मिक महत्व
इस पर्व के पहले दिन इंद्र देव की आराधना की जाती है, क्योंकि इंद्र देव वर्षा के लिए उत्तरदायी होते हैं इसलिए खेती के लिए अच्छी बारिश की कामना से इनकी पूजा की जाती है। इस दिन लोग अपने घरों से पुराने खराब सामानों को निकालकर उन्हें जलाते हैं।
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दूसरे दिन सूर्य देव की अराधना की जाती है। इस दिन विशेष तरह की खीर बनाकर उसे भगवान सूर्य को अर्पित किया जाता है। 

इस पर्व के तीसरे दिन कृषि पशुओं जैसे गाय, बैल की पूजा की जाती है। उन्हें नहला धुलाकर तैयार किया जाता है। बैलों के सींगों को रंगा जाता है।
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पोंगल के चौथे दिन घर को फूलों से सजाया जाता है। इस मौके पर घर की महिलाएं आंगन में रंगोली बनाती हैं। ये इस पर्व का आखिरी दिन होता है इसलिए लोग एक दूसरे को मिठाई बाटकर इस त्योहार की शुभकामनाएं देते हैं।
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