पितृ पक्ष के दौरान नहीं करने चाहिए ये काम, रूठ जाएंगे पितृ
punjabkesari.in Tuesday, Aug 23, 2022 - 04:13 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
10 सितंबर दिन शनिवार से इस साल का पितृ पक्ष शुरू होने जा रहा है। बता दें हिंदू कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से प्रारंभ होकर अमावस्या तिथि पितृ पक्ष पड़ता है। जिस दौरान लोग अपने पूर्वजों के मोक्ष की मुक्ति के लिए श्राद्ध करते हैं और ऐसा भी कहा जाता है कि पितृ पक्ष में पूर्वज अपने घर परिवार को आशीर्वाद देने के लिए धरती पर आते हैं। हम आपको पितरों को खुश करने की बहुत सारी जानकारी दे चुके हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को पितृ पक्ष के दौरान कई चीजे ऐसी भी हैं जिन्हें शास्त्रों में करने की मनाही की गई है। आज हम आपको आर्टिकल में बताने जा रहे हैं उन कामों के बारे में हैं जिन्हें श्राद्धों के दौरान करना मना है। शास्त्रों में कुछ ऐसी बातों का वर्णन है जिन्हें करने से पितृ नाराज हो जाते हैं और इससे घर में पितृ दोष होने के कारण परेशनियां और तनावपूर्ण महौल रहता है। तो आईए आपको बतातें हैं पितृ पक्ष के दौरान कौन से काम वर्जित मानें गए हैं।
पितृपक्ष में श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को पान, मासाहारी, शराब और दूसरे के घर पर खाना नहीं खाना चाहिए। श्राद्ध वाले दिन शरीर पर तेल नहीं लगाना चाहिए साथ ही पूरे पितृपक्ष में ब्रह्राचर्य के व्रत का पालन करना चाहिए। पितृपक्ष में कभी भी लोहे के बर्तनों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इन दिनों पत्तल पर स्वयं और ब्राह्राणों को भोजन करवाना उत्तम माना गया है। और तो और पितृपक्ष में कोई भी शुभ काम या नयी चीजों की खरीददारी नहीं करनी चाहिए। क्योंकि पितृपक्ष शोक व्यक्त करने का समय होता है।
1100 रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं । अपनी जन्म तिथि अपने नाम , जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर वाट्स ऐप करे
पितृपक्ष में हमारे पितर किसी भी रुप में श्राद्ध मांगने आ सकते हैं इसलिए किसी जानवर या भिखारी का अनादर नहीं करना चाहिए। पितृपक्ष में बिना पितरों को भोजन दिए खुद भोजन नहीं करना चाहिए। जो भी भोजन बने उसमें एक हिस्सा गाय, कुत्ता, बिल्ली, कौआ को ज़रूर खिलाएं। और हां ध्यान रखें श्राद्ध में बनाया जाने वाला भोजन घर की महिलाओं को नहीं खिलाना चाहिए। श्राद्ध में पुरुषों को दाढ़ी मूंछ नहीं कटवाना चाहिए।
सबसे ज़रूरी बात श्राद्ध के अवसर पर ब्राह्मण को निमन्त्रित करना आवश्यक है, जो व्यक्ति बिना ब्राह्मण को भोजन खिलाएं श्राद्ध क्रम करता है उसके घर से पितर रूठ कर चले जाते है। जो इंसान श्राद्धकाल में काम, क्रोध करता है उसे पाप लगता है। शास्त्रों के अनुसार अपने पूर्वजों का श्राद्ध करना अनिवार्य बताया गया है। जो कुलवंशी अपने पितरों के नाम का खाना नहीं खिलाता उनके घर में क्लेश रहता है और पितृ उनसे नाराज हो जाते हैं। अगर आपको अपने पूर्वजो की तारीख याद नहीं हैं तो उनका श्राद्ध आखिरी तिथि यानि अमावस्या पर करना उत्तम माना गया है। वैसे तो चतुर्दशी को श्राद्ध नहीं करना चाहिए। लेकिन जिस किसी की युद्ध में मृत्यु हुई हो उनके लिए चतुर्दशी का श्राद्ध करना शुभ रहता है।