आज भी सुलझ नहीं पाए इस प्रसिद्ध मंदिर के रहस्य

punjabkesari.in Sunday, Oct 03, 2021 - 07:35 PM (IST)

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अपनी वेबसाइट के माध्यम से हम आपको देश में स्थित कई मंदिरों के बारे में जानकारी दे चुके हैं। इसी कड़ी में आज हम आपको बताने जा रहे हैं पंजाब स्थित पटियाला शहर में स्थित मां काली के मंदिरे के बारे में। कहा जाता है इस मंदिर से जुड़े इतिहास और अनसुने रहस्यों के चलते ये मंदिर अधिक प्रसिद्ध है। तो आईए विस्तार पूर्वक जानते हैं इस मंदिर के बारे में- 

 मंदिर का इतिहास -
पटियाला का यह मंदिर तकरीबन 200 साल पुराना है।मान्यता है कि इस मंदिर में प्रवेश करने मात्र ही भक्तों के दुखों का नाश होना शुरू हो जाता है ।यहां केवल पटियाला या पंजाब से लोग ही नहीं आते बल्कि देश- विदेश से भी यहां भक्तजन माता के दर्शन करने को आते हैं। इसके अलावा भक्तों का कहना है कि सच्चे दिल से प्रार्थना करने से यहां साक्षात देवी भगवती के दर्शन होते हैं। गौर करने वाली ये बात है कि यहां स्थित मां काली की मूर्ति कोलकाता से लाई गई है। कहा जाता है कि इस मंदिर का नींव पत्थर पटियाला के 8वें महाराजा भूपिंदर सिंह ने रखा था। 

लेकिन, इसका पूर्ण रूप से निर्माण महाराजा कर्म सिंह ने करवाया था। इस मंदिर परिसर की एक और विशेषता है कि। इस मंदिर के बीच में काली मंदिर से भी पुराना राज राजेश्वरी मंदिर भी स्थित है। मंदिर के निर्माण दौरान देवी मां का मूर्ति का मुख शहर के बाहर की तरफ यानी बारादरी गार्डन की तरफ रखा था। उस समय वहां शहरी लोगों का वास इतना नहीं था। लेकिन जैसे-जैसे आबादी बढ़ी और लोग उस तरफ जाकर रहने लगे तो देवी मां की नजरों के तेज का प्रभाव उन पर न पड़े। इसलिए मंदिर में दीवार बना दी गई। रोजाना सुबह देवी मां को स्नान कराने के बाद उनका श्रृंगार किया जाता है। यही नहीं मंदिर में पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना भी की जाती है।

कहते हैं कि अन्य देवियों की तरह मां काली को हलवे का भोग नहीं लगाया जाता है।मां दुर्गा का विकराल रूप कहलाई जाने वाली मां काली को शराब, बकरे, काली मुर्गी का भोग लगाया जाता है।क्योंकि हमारे शास्त्रों में देवी का प्रिय भोग मांस-मदिरा को बताया गया है। लेकिन कई भक्तजन मां को मीठे पान का बीड़ा भी चढ़ाते हैं और नारियल का भोग भी लगाते हैं।

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Content Writer

Jyoti

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