Gupta Sahastradhara: सिरमौर की गोद में बसा आस्था और रहस्य का शिवधाम, आप भी करें दर्शन
punjabkesari.in Sunday, Jun 29, 2025 - 11:10 AM (IST)

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Gupta Sahastradhara: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में जिस मंदिर का इतिहास क्षेत्र के बुद्धिजीवियों और धार्मिक विद्वानों द्वारा पांडवों के अज्ञातवास से जुड़ा हुआ माना जाता है, उसे गुप्त सहस्त्रधारा के नाम से पुकारा जाता है। जहां प्राचीन, सुंदर एवं ऐतिहासिक शिव मंदिर बना हुआ है तो साथ ही माता का मंदिर भी है। सहस्त्रधारा के नाम से अनेक प्रकार की जलधाराएं बहती हुई भी नजर आती हैं जहां पर एक तरफ पुरुष श्रद्धालुओं द्वारा जलधारा में अमृत स्नान किया जाता है तो वहीं दूसरी ओर महिला श्रद्धालुओं के लिए अलग गुफा के निकट अमृत स्नान की व्यवस्था की गई है।
यहां मौजूद एक गुफा के बारे में कहा जाता है कि पांडवों ने सबसे अधिक अज्ञातवास का समय इसी धार्मिक स्थल पर व्यतीत किया था, तो वहीं धार्मिक विद्वानों द्वारा कहा जाता है कि इस प्राचीन गुफा का रास्ता हरिद्वार तक पहुंचता है, जिसका निर्माण पांडवों ने किया था और इस गुफा से होकर ही उन्होंने हरिद्वार के लिए प्रस्थान किया था।
इससे हर कोई सहज ही अनुमान लगा सकता है कि यह धार्मिक स्थल युगों पूर्व अवश्य ऐसे ऐतिहासिक क्षणों का साक्षी रहा होगा। इस धार्मिक स्थल के निकटस्थ पतित पावन मां यमुना नदी का संगम भी देखने को मिलता है। माना जाता है कि शिव मंदिर सहस्त्रधारा के निचले हिस्से में बह रही टौंस नदी के साथ-साथ कुछ ही दूरी पर यह संगम है। यहां श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाकर अपने आप को कृतार्थ मानते हैं।
सहस्त्रधारा के साथ जिला सिरमौर ही नहीं, बल्कि हिमाचल और उत्तराखंड के प्रसिद्ध संत महात्मा स्व. ब्रह्मलीन श्री श्री 1008 श्री पूर्णानंद जी महाराज (गुरासा), धौलीधाम वाले महात्मा जी का भी मंदिर बना हुआ है। इस धार्मिक स्थल पर अनेक वर्षों तक उन्होंने तप साधना की और श्रद्धालुओं को ज्ञान गंगा और सनातन धर्म से समय-समय पर कृतार्थ किया।
वर्तमान में भी इनके हजारों शिष्य एवं श्रद्धालु इनके विभिन्न मंदिरों में पहुंच कर अपनी आस्था और विश्वास का परिचय देते नजर आते हैं। गुप्त सहस्त्रधारा मंदिर की पांवटा साहिब से दूरी मात्र 25 किलोमीटर है। इस धार्मिक स्थल तक श्रद्धालुओं के लिए सड़क सुविधा उपलब्ध है। वट वृक्ष की विशाल जड़ें, टहनियां, पत्तों का विशाल आकार मंदिर के समस्त क्षेत्र में देखने को मिलता है। वटवृक्ष की जड़ों से हजारों जलधाराएं बहती हैं इसीलिए कदाचित इस क्षेत्र को सहस्त्रधारा के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता भी है कि जब भगवान परशुराम जी ने सहस्त्रबाहु का वध किया तो उसके शरीर से जिस-जिस क्षेत्र में रक्तधाराएं गिरीं, उन क्षेत्रों में से एक यह सहस्त्रधारा धार्मिक स्थल भी विख्यात हुआ। इस क्षेत्र में हनुमान जी की एक सुंदर एवं विशाल मूर्ति भी स्थापित की गई है।