Pashupatinath Mandir:  केदारनाथ का आधा भाग है पशुपतिनाथ ज्योतिर्लिंग, इनकी पूजा करने से मिलता है 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का पुण्य

punjabkesari.in Sunday, Aug 04, 2024 - 11:17 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Pashupatinath Mandir : सावन माह में श्रद्धालु अपनी-अपनी क्षमतानुरूप भारत के सभी 12 ज्योतिर्लिंगों  के दर्शन व पूजा-अर्चना करते हैं। इन के अलावा भगवान शिव का महत्वपूर्ण स्थल पशुपति नाथ मंदिर है, जो नेपाल की राजधानी काठमांडू में स्थित है। पूरे सावन भर यहां भी शिव भक्तों का तांता लगा रहता है। जैसे भारत के बड़े-बड़े मंदिरों में दर्शन, पूजा-पाठ के लिए नियम तय कर दिए गए हैं, ठीक वैसे ही पशुपति नाथ मंदिर में दर्शन आदि के नियमों में बदलाव हुआ है।

पहले की तरह बेधड़क जाकर भोलेनाथ के इस रूप का दर्शन अब नहीं कर सकते। मंदिर में दर्शन का समय तथा पूजा-पाठ के तौर-तरीके सब बदले हुए हैं। पूजा-अर्चना के विधि-विधान और पूजा सामग्री के चढ़ावे में आपको मंदिर के नियम का पालन करना होगा। सब कुछ समय और चरणबद्ध हो गया है।

PunjabKesari Pashupatinath Mandir  
पहले के विपरीत पूजा या रुद्राभिषेक या और कोई पूजा कराने के लिए पुजारियों की दक्षिणा को मंदिर प्रशासन ने तय कर दिया है और इसे बड़े से बोर्ड पर चस्पा कर दिया गया है। विशेष पूजा के लिए अलग से एक प्रकोष्ठ कायम कर दिया गया है, जिसके माध्यम से ही आप मनचाही पूजा करा पाएंगे।
पूजा की फीस यहां जमा कर आपको रसीद थमा दी जाएगी। उसके अनुसार ही आप दर्शन, पूजा-पाठ कर सकेंगे। इसकी फीस सौ रुपए से लेकर हजारों तक में है।

मान्यता है कि यहां आदि काल से ही शिव जी की मौजूदगी है। पशुपतिनाथ को 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक, केदारनाथ का आधा भाग माना जाता है। यह मंदिर काठमांडू से तीन किलोमीटर उत्तर-पश्चिम देवपाटन गांव में बागमती नदी के समीप स्थित है। इस नदी को मोक्षदायिनी कहा जाता है। मंदिर के पश्चिमी और दक्षिणी छोर पर हिंदुओं के शवों का अंतिम संस्कार होता है।

PunjabKesari Pashupatinath Mandir

बनारस के मणिकर्णिका घाट की तरह यहां भी चिताओं का जलना अनवरत जारी रहता है। मंदिर हिन्दू धर्म के 8 सबसे पवित्र स्थलों में से एक है। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव यहां पर चिंकारे का भेष धारण कर निद्रा में बैठे थे। बहुत ढूंढने के बाद वह देवताओं को मिले। देवताओं ने उन्हें वाराणसी ले जाने का बहुत प्रयास किया। इस दौरान बागमती नदी के दूसरे किनारे तक भागते हुए उनका सींग चार टुकड़ों में टूट गया। फिर भगवान पशुपति चतुर्मुखलिंग के रूप में यहां प्रकट हुए थे।

पशुपतिनाथ लिंग विग्रह में चार दिशाओं में चारमुख और ऊपरी भाग में पांचवां मुख है। प्रत्येक मुखाकार के दाएं हाथ में रुद्राक्ष की माला और बाएं हाथ में कमंडल है। सभी मुख अलग-अलग महत्व के हैं और इन्हीं पांच मुखाकृतियों की पूजा का अलग-अलग महत्व है। शायद उसी हिसाब से उसके शुल्क तय किए गए हैं।

PunjabKesari Pashupatinath Mandir

पहला ‘अघोर’ मुख है, जो दक्षिण की ओर है। पूर्व मुख को ‘तत्पुरुष’ कहते हैं। उत्तर मुख ‘अर्धनारीश्वर’ रूप है। पश्चिमी मुख को ‘सद्योजात’ कहा जाता है।
ऊपरी भाग ‘ईशान’ मुख के नाम से जाना जाता है। यह निराकार मुख है। यही भगवान पशुपतिनाथ का श्रेष्ठतम मुख माना जाता है। नेपाल के राजाओं ने 1747 से ही पशुपतिनाथ मंदिर में भगवान की सेवा के लिए  भारतीय ब्राह्मणों को आमंत्रित किया था।

सर्वप्रथम  दक्षिण भारतीय ब्राह्मण को ‘पशुपतिनाथ मंदिर’ का प्रधान पुरोहित नियुक्त किया गया था। दक्षिण भारतीय भट्ट ब्राह्मण ही इस मंदिर के प्रधान पुजारी नियुक्त होते रहे हैं, यह परम्परा आज भी कायम है। मान्यता है कि भोलेनाथ के देह स्थल केदारनाथ और मुख स्थल पशुपतिनाथ के दर्शन के बाद ही सभी बारह ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने का पुण्य प्राप्त होता है। पशुपतिनाथ में भैंस के सिर और केदारनाथ में भैंस की पीठ के रूप में शिवलिंग की पूजा होती है।

PunjabKesari Pashupatinath Mandir
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Prachi Sharma

Related News