Parivartini Ekadashi: आज ये कथा पढ़ने से मिलेगा 1000 अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल
punjabkesari.in Saturday, Sep 14, 2024 - 09:01 AM (IST)
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Parivartini Ekadashi 2024: आज भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है। इसे परिवर्तिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इसका हिंदू धर्म में खास महत्व है क्योंकि आज भगवान श्री हरि विष्णु श्रीरसागर में करवट बदलते हैं। ये एकादशी वाजपेय यज्ञ के समान पुण्य फलदायिनी हाेती है। मनुष्य के सभी पापाें का नाश करने वाली इस एकादशी व्रत के प्रभाव से सभी मनाेकामनाएं पूर्ण हाेती हैं तथा अंत में उसे प्रभु के परमपद की प्राप्ति हाेती है। विधिपूर्वक व्रत करने वालाें का चंद्रमा के समान यश संसार में फैलता है तथा व्रत की कथा पढ़ने वाले तथा श्रवण करने वालाें काे हजार अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल प्राप्त हाेता है।
Parivartini Ekadashi vrat story परिवर्तिनी एकादशी व्रत कथा
त्रेतायुग में बलि नाम का दैत्य राजा भगवान का परम भक्त था, वह बड़ा दानी, सत्यावादी एवं धर्मपरायण था। उसने इतने अधिक यज्ञ किए थे की उनके शुभ प्रभाव से उसने सभी देवताओं काे अपने वश में कर रखा था। यहां तक कि देवराज इंद्र तक काे जीत कर उसकी अमरापुरी पर अपना कब्जा कर लिया था। आकाश, पाताल और पृथ्वी तीनाें लाेक उसके अधीन थे। वे तीनों लोकों का स्वामी था।
जिससे दुखी हाेकर सभी देवताओं ने श्रीहरि विष्णु के पास जाकर उनकी स्तुति की और उन्हें उनका परम पद दोबारा दिलवाने की प्रार्थनी करी। भगवान ने देवताओं काे राजा बलि से मुक्ति दिलाने के लिए वामन अवतार लिया। इस सुंदर अवतार में भगवान ने एक छाेटे से ब्राह्मण बालक का वेष बनाकर राजा बिल से तीन पग पृथ्वी मांगी।
पहले तो राजा बलि हंसे, फिर भगवान से बोले आप मुझ से कुछ भी मांग सकते हैं केवल तीन पग भूमी से क्या होगा। जब भगवान नहीं माने तो उसने दान देने का संकल्प किया। तभी भगवान ने छोटे से बालक से विराट रूप धारण करके तीनाें लाेंकाें काे नाप लिया तथा राजा बलि काे सूतल श्रेत्र में भेज दिया।
जिस प्रकार भगवान ने अपने भक्ताें के हित्त में अवतार लेकर उन्हें राजा बलि से मुक्त करवाया। वैसे ही निराकार परमात्मा साकार रूप में धरती पर अवतरित हाेकर लाेगाें की रक्षा करते हैं।
Parivartini Ekadashi Upay मनोकामनाओं की पूर्ति और पुण्य लाभ के लिए आज अवश्य करें ये काम-
एकादशी के दिन भगवान विष्णु के मंदिर में घी का दिया जलाएं।
रात में संभव हो तो जागरण करें, संभव न हो तो सोते वक्त भगवान श्री हरि विष्णु का ध्यान करें।
मन में अच्छे विचार रखें और अपनी शक्ति के अनुसार कुछ न कुछ दान जरूर करें।