Parivartini Ekadashi: साल 2024 में भगवान विष्णु इस दिन लेंगे करवट, श्री हरि के भक्तों के लिए खास दिन
punjabkesari.in Friday, Sep 13, 2024 - 04:01 AM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Parivartini Ekadashi 2024: भाद्रमास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी या पद्म एकादशी के नाम से जाना जाता है।पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस समय भगवान विष्णु योगनिद्रा में होते हैं और परिवर्तिनी एकादशी के दिन करवट बदलते हैं। ऐसे में उनका स्थान परिवर्तन होता है इसलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है। इस बार साल 2024 में ये शुभ तिथि 14 सितंबर दिन शनिवार को पड़ रही है। धार्मिक दृष्टि से इस एकादशी का बहुत महत्व माना जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि देवश्यनी और देव प्रबोधनी के समान ही परिवर्तिनी एकादशी का महत्व है। इस दिन व्रत और पूजा करने पर सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है। आईए जानते हैं, परिवर्तिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व...
एकादशी तिथि का आरंभ 13 सितंबर की रात 10 बजकर 30 मिनट पर होगा और इस तिथि का समापन 14 सितंबर की रात 8 बजकर 41 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, परिवर्तिनी एकादशी का व्रत 14 सितंबर को रखा जाएगा। बता दें कि परिवर्तिनी एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित एक विशेष पर्व है। इस व्रत को विधिपूर्वक करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। अगर आप इस व्रत को सही विधि से करते हैं, तो आपको भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होगी इसलिए इस पावन दिन पर व्रत रखकर और भगवान विष्णु की आराधना कर अपने जीवन को पवित्र और समृद्ध बना सकते हैं।
परिवर्तनी एकादशी व्रत की पूजा विधि
परिवर्तनी एकादशी को पापनाशिनी एकादशी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की वामन अवतार में पूजा की जाती है। परिवर्तनी एकादशी के दिन सुबह स्नान कर व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद पूजा स्थल को अच्छे से साफ करके भगवान विष्णु को स्थापित करना चाहिए। इसके बाद विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करें। विष्णु जी को पीले रंग के फूल, मिठाई और हल्दी चढ़ाएं। इसके पश्चात गुड़ और चने का भोग लगाना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन किसी गरीब को पीले वस्त्र दान करना शुभ होता है।
परिवर्तनी एकादशी का महत्व
भादों मास में पड़ने वाली परिवर्तनी एकादशी बहुत महत्वपूर्ण होती है। इस व्रत को करने से वाजपेज्ञ यज्ञ के समान ही माना जाता है। इस व्रत के बारे में महाभारत में भी कहा गया है। भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर और अर्जुन को परिवर्तनी एकादशी व्रत के बारे में बताया था। इस दिन भगवान विष्णु की वामन और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना होती है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही धन की कमी भी नहीं होती है।