Papankusha Ekadashi Vrat Katha: पापांकुशा एकादशी व्रत कथा पढ़ने से नष्ट हो जाते हैं सभी पाप

punjabkesari.in Saturday, Oct 12, 2024 - 06:26 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Papankusha Ekadashi 2024: पापांकुशा एकादशी आमतौर पर अक्टूबर-नवंबर में आती है। इस दिन भक्त भगवान विष्णु की उपासना करते हैं और उपवासी रहकर ध्यान और भक्ति में लीन होते हैं। पापांकुशा का अर्थ है "पापों को पकड़ने वाला" और इस दिन व्रत करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है। श्रद्धालु इस दिन विशेष पूजा, पाठ और भजन करते हैं। इस एकादशी का पालन करने से मोक्ष और पुण्य की प्राप्ति होती है। इसे विशेषकर सुख-समृद्धि की कामना के लिए मनाया जाता है।

PunjabKesari Papankusha Ekadashi

Papankusha Ekadashi Vrat Katha: प्राचीन समय में विंध्य पर्वत पर क्रोधन नामक एक बहेलिया रहता था। वह बड़ा क्रूर था। उसका सारा जीवन पाप कर्मों में बीता। जब उसका अंत समय आया तो वह मृत्यु के भय से कांपता हुआ महर्षि अंगिरा के आश्रम में पहुंचकर याचना करने लगा- हे ऋषिवर, मैंने जीवन भर पाप कर्म ही किए हैं।  कृपा कर मुझे कोई ऐसा उपाय बताएं, जिससे मेरे सारे पाप मिट जाएं और मोक्ष की प्राप्ति हो जाए। उसके निवेदन पर महर्षि अंगिरा ने उसे पापांकुशा एकादशी का व्रत करके को कहा। महर्षि अंगिरा के कहे अनुसार उस बहेलिए ने पूर्ण श्रद्धा के साथ यह व्रत किया और किए गए सारे पापों से छुटकारा पा लिया।

धर्मराज युधिष्ठिर से भगवान श्रीकृष्ण एक दिन पूछने लगे कि हे भगवान, आश्विन शुक्ल एकादशी का क्या नाम है? अब आप कृपा करके इसकी विधि तथा फल कहिए। भगवान श्रीकृष्ण कहने लगे कि हे युधिष्ठिर! पापों का नाश करने वाली इस एकादशी का नाम पापांकुशा एकादशी है। हे राजन! इस दिन मनुष्य को विधिपूर्वक भगवान विष्णु जी की पूजा करनी चाहिए। यह एकादशी मनुष्य को मनवांछित फल देकर स्वर्ग को प्राप्त कराने वाली है।

PunjabKesari Papankusha Ekadashi

मनुष्य को बहुत दिनों तक कठोर तपस्या से जो फल मिलता है, वह फल भगवान विष्णु को नमस्कार करने से प्राप्त हो जाता है। जो मनुष्य अज्ञानवश अनेक पाप करते हैं परंतु हरि को नमस्कार करते हैं, वे नरक में नहीं जाते। विष्णु के नाम के कीर्तन मात्र से संसार के सब तीर्थों के पुण्य का फल मिल जाता है। जो मनुष्य भगवान विष्णु की शरण में जाते हैं, उन्हें कभी भी यम यातना भोगनी नहीं पड़ती। सहस्रों वाजपेय और अश्वमेध यज्ञों से जो फल प्राप्त होता है, वह एकादशी के व्रत के सोलहवें भाग के बराबर भी नहीं होता है। संसार में एकादशी के बराबर कोई पुण्य नहीं। इसके बराबर पवित्र तीनों लोकों में कुछ भी नहीं। इस एकादशी के बराबर कोई व्रत नहीं। जब तक मनुष्य विष्णु जी की एकादशी का व्रत नहीं करते हैं, तब तक उनकी देह में पाप वास कर सकते हैं।

हे नृपोत्तम! बाल्यावस्था, युवावस्था और वृद्धावस्था में इस व्रत को करने से पापी मनुष्य भी दुर्गति को प्राप्त न होकर सद्‍गति को प्राप्त होता है। आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की इस पापांकुशा एकादशी का व्रत जो मनुष्य करते हैं, वे अंत समय में हरिलोक को प्राप्त होते हैं तथा समस्त पापों से मुक्त हो जाते हैं। सोना, तिल, भूमि, गौ, अन्न, जल, छतरी तथा जूती दान करने से मनुष्य यमराज को नहीं देखता।

PunjabKesari Papankusha Ekadashi

जो मनुष्य किसी प्रकार के पुण्य कर्म किए बिना जीवन के दिन व्यतीत करता है, वह लोहार की भट्टी की तरह सांस लेता हुआ निर्जीव के समान ही है। निर्धन मनुष्यों को भी अपनी शक्ति के अनुसार दान करना चाहिए तथा धनवालों को सरोवर, बाग, मकान आदि बनवाकर दान करना चाहिए। ऐसे मनुष्यों को यम का द्वार नहीं देखना पड़ता तथा संसार में दीर्घायु होकर धनाढ्‍य, समृद्ध और रोग रहित रहते हैं।

PunjabKesari Papankusha Ekadashi


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Related News