जानें, क्यों नहीं करना चाहिए पंचकों में शुभ कार्य?

punjabkesari.in Monday, May 28, 2018 - 05:28 PM (IST)

ये नहीं देखा तो क्या देखा (देखें VIDEO)

PunjabKesariकई बार हम कोई मांगलिक कार्य करने के लिए शुभ मुहूर्त जानने पंडितों के पास जाते हैं तो देखते हैं कि पंचक लग गया इसलिए 5 दिनों के पश्चात ही कोई शुभ कार्य प्रारंभ होगा। आखिर यह पंचक होते क्या हैं? और इनमें किया गया कार्य अशुभ क्यों होता है? हम पंचक का इतना गहन विचार क्यों करते हैं?
 
हमारे ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्र होते हैं। इन 27 नक्षत्रों में से अन्तिम 5 नक्षत्र  ‘ध्निष्ठा’, ‘शतभिषा’, ‘पूर्वा भाद्रपद’, ‘उत्तरा भाद्रपद’ एवं ‘रेवती’ ये दूषित नक्षत्रों की श्रेणी में आते हैं। प्रत्येक नक्षत्र में 4 चरण होते हैं इसलिए धनिष्ठा नक्षत्र के तीसरे चरण से लेकर रेवती नक्षत्र के चतुर्थ चरण तक पंचक समय होता है। जब तक इन 5 नक्षत्रों का समय चलता है तब तक 5 दिनों तक पंचक लगा रहता है।

PunjabKesari

एक वर्ष में ये 5 दिन कई बार आते हैं। इन 5 दिनों का विशेष विचार होता है। जरूरी नहीं है कि सभी पंचक अशुभ होते हैं। पंचक का डर लोगों के अन्दर मिथ्यारूप से भी है। ये पंचक इतने भी खराब नहीं होते जितना इनका प्रचार हुआ है। पंचक का अर्थ होता है 5- आवृत्ति, चन्द्र के भ्रमण से पंचक बनता है जब चन्द्र अपनी चाल चलता हुआ कुम्भ राशि में प्रवेश करता है तो पंचक लग जाता है और जब चन्द्र मीन राशि से निकल जाता है तब पंचक समाप्त हो जाता है। इन दो राशियों से चलता हुआ  चन्द्र 5 नक्षत्रों ‘धनिष्ठा’, ‘शतभिषा’, ‘पूर्वा भाद्रपद’, ‘उत्तरा भाद्रपद’ एवं ‘रेवती’ से गुजरता है इसलिए इस समय को पंचक का समय बताया गया है। पंचक जरूरी नहीं कि अशुभ ही हो, हो सकता है कि पंचक के दिनों में आपने मकान खरीदा या कोई वाहन खरीदा, तो आप 5 घरों के मालिक या पांच वाहनों के मालिक बन जाएं इसलिए शुभ कार्यों में पंचक का विचार किया जाता है।

PunjabKesari
 
धनिष्ठा और शतभिषा चल संज्ञक नक्षत्र होते हैं जिसके कारण इन पंचकों के समय में नया अथवा पुराना वाहन लिया जा सकता है, कहीं यात्राओं पर जाया जा सकता है।

उत्तरा भाद्रपद को स्थिर संज्ञक नक्षत्र बताया गया है। इसके समय में आप नया मकान ले सकते है, जमीन से संबंधित कार्य कर सकते हैं।
 
रेवती को मैत्री संज्ञक नक्षत्र माना गया है। इस नक्षत्र के दौरान व्यवसायिक कार्य कर सकते हैं, आभूषण, कपड़े आदि बनवा अथवा ख़रीद सकतें हैं। 

पंचक वैसे तो अशुभता दर्शातें हैं किन्तु सगाई, विवाह आदि मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं। पंचक के दौरान कुछ कार्यों को छोड़कर बाकी शुभ कार्य किए जा सकते हैं।

पंचक नक्षत्रों के समय अलग-अलग प्रभाव होता है जैसे धनिष्ठा नक्षत्र में अग्रि का भय हो सकता है, शतभिषा नक्षत्र के समय घर में अनावश्यक लड़ाई-झगड़ा, पूर्वाभाद्रपद में व्यक्ति को रोग लग सकता है, उत्तराभाद्रपद और रेवती में धन की हानि हो सकती है अथवा आर्थिक नुक्सान हो सकता है।
 
पंचक का अधिकतर विचार मृत्यु के समय किया जाता है जैसे अगर किसी की मृत्यु पंचक के दौरान हो गई तो उसके परिवार के 5 सदस्यों पर मृत्युतुल्य कष्ट आता है या कहा जा सकता है कि परिवार में 5 लोगों की भी मृत्यु होगी इसलिए अगर किसी की मृत्यु पंचक में हो जाए तो उसके दाह संस्कार के दौरान चावल और आटे को मिलाकर अथवा कुश घास के पांच पुतले बनाकर उनका भी शव के साथ दाह संस्कार किया जाए तो पंचक का दोष नष्ट हो जाता है।

PunjabKesari 
शास्त्रों में कहा गया है- धनिष्ठा पंचकं त्याज्यं तृणकाष्ठादिसंग्रहे। त्याजया दक्षिणदिग्यात्रा गृहाणां छादनं तथा॥

पंचक के दिन, दूषित दिन होते है इसलिए पंचकों के 5 दिनों तक दक्षिण दिशा की आेर यात्रा नहीं करनी चाहिए क्योंकि दक्षिण दिशा यम की दिशा है। घर आदि बनवा रहें हो तो पंचक के दौरान छत नहीं डलवानी चाहिए। 

लकड़ी, घास-फूस, उपले (कंडे) आदि को घर में इस्तेमाल के लिए इकट्ठा नहीं करना चाहिए।

पलंग, खरीदना-बेचना, गद्दा खरीदना-बेचना, या नया पलंग, खाट, चारपाई आदि नहीं बनवानी चाहिए और इनका दान आदि भी नहीं करना चाहिए।
 
अगर पंचक रविवार को शुरू होते हैं तो अशुभ होते हैं तथा व्यक्ति को रोग और मानसिक पीड़ा देतें हैं।

पंचक सोमवार से शुरू हों तो शुभता की श्रेणी में आते हैं। सरकारी और धन संबंधी परेशानियां समाप्त होती हैं, धन प्राप्त होता है।

पंचक मंगलवार से शुरू हों तो व्यक्ति को कोर्ट केसों आदि के लिए शुभ होते हैं इसलिए इनमें इस तरह का कार्य किया जा सकता है। इस पंचक में अग्रि का डर होता है क्योंकि ये अग्रि पंचक होते हैं। अत: अशुभ है, इसलिए मंगलवार से शुरू होने वाले पंचकों में कोई भी मशीन आदि नहीं खरीदनी चाहिए और न ही कोई घर आदि बनाना चाहिए।
 
शुक्रवार को शुरू होने वाले पंचक के 5 दिनों में व्यापार से संबंधित कार्यों जैसे ‘रुपया उधर देना’, ‘नया सामान दुकान के लिए लाना’, ‘दुकान अथवा व्यवसाय के लिए लोन लेना’ आदि नहीं करना चाहिए।
 
शनिवार को शुरू होने वाले पंचकों से बचना चाहिए क्योंकि ये मृत्यु तुल्य कष्ट देते हैं। इस पंचक का नाम ही ‘मृत्यु पंचक’ है अत: कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए क्योंकि इसमें सड़क दुर्घटना, लड़ाई-झगड़ा आदि का खतरा होता है।

बुधवार और वीरवार के दिन से शुरू होने वाले पंचक को सोमवार और मंगलवार के प्रभाव, शुभता और अशुभता के जैसा ही समझना चाहिए।
 
वर्ष 2018 में कब-कब हैं पंचक-
05 जून 2018 (मंगलवार)
को प्रात: 4.35 से शुरू होकर 09 जून 2018 (शनिवार) को रात्रि 11.11 बजे तक।

02 जुलाई 2018 (सोमवार) को प्रात: 11.08 से शुरू होकर 07 जुलाई 2018 (शनिवार) को 07.40 बजे तक। 

29 जुलाई 2018 (रविवार) को 05.06 से 03 अगस्त 2018 (शुक्रवार) को 02.26 बजे तक।

25 अगस्त 2018 (शनिवार) को रात्रि 11.16 बजे से 30 अगस्त 2018 (वीरवार) को रात्रि 08.02 बजे तक।

22 सितम्बर 2018 (शुक्रवार) को प्रात: 06.12 बजे से होकर 27 सितम्बर 2018 (वीरवार) को अर्धरात्रि 01.56 बजे तक।

19 अक्तूबर 2018 (शुक्रवार) को 02.03 बजे से शुरू होकर 24 अक्तूबर 2018 (बुधवार) को प्रात: 09.23 बजे तक।

15 नवम्बर 2018 (वीरवार) को रात्रि 10.17 बजे से शुरू होकर 20 नवम्बर 2018 (मंगलवार) को सायं 06.34 बजे तक।

13 दिसम्बर 2018 (वीरवार) को प्रात: 06.11 बजे से शुरू होकर 18 दिसम्बर 2018 (मंगलवार) को प्रात: 04.17 बजे तक।

फ्री देसी घी लेना है तो 'उनाव' जाएं 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Niyati Bhandari

Recommended News

Related News