Niti Shastra: शस्त्र बनाकर हिंसा करने के लिए न करें शास्त्रों का प्रयोग

punjabkesari.in Tuesday, Jan 11, 2022 - 06:36 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
एक बार गंगा पार करने के लिए कई लोग एक नौका में बैठे। धीरे-धीरे नौका किनारे की ओर बढ़ रही थी। एक पंडित जी भी उसमें सवार थे। पंडित जी ने नाविक से पूछा, ‘‘क्या तुमने भूगोल पढ़ी है?’’ 

भोला-भाला नाविक बोला, ‘‘भूगोल क्या है इसका मुझे कुछ पता नहीं।’’ पंडित जी ने पंडिताई का प्रदर्शन करते कहा, ‘‘तुम्हारी पाव भर जिंदगी पानी में गई।’’ फिर पंडित जी ने दूसरा प्रश्र किया, ‘‘क्या यह जानते हो कि महारानी लक्ष्मीबाई कब और कहां पैदा हुईं तथा उन्होंने कैसे लड़ाई की?’’ 

नाविक ने अपनी अनभिज्ञता जाहिर की तो पंडित जी ने विजयी मुद्रा में कहा, ‘‘यह भी नहीं जानते, तुम्हारी तो आधी जिंदगी पानी में गई।’’ फिर विद्या के मद में पंडित जी ने तीसरा प्रश्र किया, ‘‘महाभारत का भीष्म-नाविक संवाद या रामायण का केवट और भगवान श्रीराम का संवाद जानते हो?’’ अनपढ़ नाविक ने इशारे में न कहा, तब पंडित जी मुस्कुराते हुए बोले, ‘‘तुम्हारी तो पौनी जिंदगी पानी में गई।’’

 तभी अचानक गंगा में प्रवाह तीव्र होने लगा। नाविक ने सभी को तूफान की चेतावनी दी और पंडित से पूछा, ‘‘नौका तूफान में डूब सकती है, क्या आपको तैरना आता है?’’ पंडित जी घबराहट में बोले, ‘‘मुझे तो तैरना-वैरना नहीं आता।’’ 

नाविक ने स्थिति भांपते हुए कहा, ‘‘तब तो समझो आपकी पूरी जिंदगी पानी में गई।’’ 

कुछ ही देर में नौका पलट गई और पंडित जी बह गए।

विद्या वाद-विवाद के लिए नहीं है और न ही दूसरों को नीचा दिखाने के लिए है। लेकिन कभी-कभी ज्ञान के अभिमान में कुछ लोग इस बात को भूल जाते हैं और दूसरों का अपमान कर बैठते हैं। याद रखिए, शास्त्रों का ज्ञान समस्याओं के समाधान में प्रयोग होना चाहिए, शस्त्र बनाकर हिंसा करने के लिए नहीं। कहा भी गया है, जो पेड़ फलों से लदा होता है उसकी डालियां झुक जाती हैं।


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Content Writer

Jyoti

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