Nirjala Ekadashi Upay: इस निर्जला एकादशी करें ये सरल उपाय, मिलेगी आत्मिक शांति और मोक्ष
punjabkesari.in Wednesday, May 28, 2025 - 07:01 AM (IST)

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Nirjala Ekadashi Upay: जैसा कि हम पहले भी आपको बता चुके हैं ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है और इस साल यानि 2025 में निर्जला एकादशी का व्रत 06 जून को पड़ रहा है। स्कंद पुराण के अनुसार, इस एकादशी पर व्रत करने से साल भर की सभी एकादशियों के व्रत के बराबर पुण्य फल मिल जाता है। कहते हैं अगर कोई व्यक्ति पूरे साल की एकादशी तिथियों पर कोई उपाय नहीं करता है तो उसे निर्जला एकादशी पर विशेष उपाय करने चाहिए। इन उपायों को करने से आपको भगवान विष्णु जी के आशीर्वाद के साथ-साथ पुण्य की प्राप्ति भी होती है। ऐसा मौका साल में सिर्फ एक बार ही आता है ऐसे में इस एकादशी पर इन आसान से उपायों को जरूर करें।
निर्जला एकादशी के दिन करें ये उपाय
निर्जला एकादशी पर सुबह स्नान करने के बाद विष्णु जी का आशीर्वाद लें और उन्हें मखाने की खीर का भोग लगाएं। इसमें तुलसी का पत्ता अवश्य डालें। ऐसा माना जाता है कि तुलसी पत्र सहित खीर से भगवान विष्णु का भोग लगाने पर घर-परिवार में शांति बनी रहती है और आपकी इच्छाओं की पूर्ति होती है।
निर्जला एकादशी के दिन पीपल के पेड़ में जल अर्पण करें। शास्त्रीय मान्यता के आनुसार, पीपल में भगवान विष्णु का वास होता है। इसलिए ऐसा करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है।
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, निर्जला एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर लेना चाहिए और स्नान करने से पहले पानी में गंगाजल जरूर डाल लेना चाहिए। इससे शरीर का शुद्धिकरण हो जाता है। स्नान करने के बाद सूर्य को तांबे के लोटे से अर्घ्य जरूर देना चाहिए। ऐसा करने से आपको भाग्य का साथ मिलने लगता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, निर्जला एकादशी पर जो भी इंसान ब्राह्मणों को जूते दान करता हैं। उसे संसार में हर सुख की प्राप्ति होती है। ये उपाय सबसे कारगर माना जाता है।
निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु को पीले रंग के वस्त्र, फल और अनाज अर्पित करें। भगवान विष्णु की पूजा के उपरांत इन चीजों को किसी ब्राह्मण को दान कर दें। ऐसा करने से घर में कभी क्लेश नहीं होते हैं।
निर्जला एकादशी के दिन किसी गरीब को या मंदिर में तिल, वस्त्र, धन, फल और मिठाई का दान करें।
इस दिन जल का दान उत्तम माना जाता है जो भी इंसान इस दिन प्यासे इंसान, जानवर और पशु पक्षियों को पानी पिलाता है उसे कभी भी किसी भी चीज की कमी नहीं होती।
शास्त्रों के अनुसार निर्जला एकादशी व्रत में एकादशी तिथि के सूर्योदय से लेकर अगले दिन सूर्योदय तक जल का त्याग करना चाहिए। और अगले दिन व्रत के पारण के बाद ही जल ग्रहण करना चाहिए। ऐसा करना से वर्ष की सभी एकादशियों की फल मिलता है, वहीं पूरे साल शुभ फल भी प्राप्त होते है।