वास्तु गुरु कुलदीप सलूजा: महत्वपूर्ण वास्तु दोष है, नई संसद और सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में

punjabkesari.in Sunday, May 28, 2023 - 07:58 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

New Parliament: नरेन्द्र मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना अपनी संकल्पना के वक्त से ही चर्चा में है। इस कवायद का मकसद 3.2 किलोमीटर में फैले लुटियंस दिल्ली के हृदय स्थल में स्थित इलाके को फिर से विकसित करना है। सत्ता का कॉरिडोर यानी सेंट्रल विस्टा को 1930 के दशक में ब्रिटिश सरकार ने बनाया था। इसमें कई सरकारी इमारतों को तोड़कर फिर से बनाने का काम शामिल है। इन इमारतों में कई प्रतिष्ठित इमारतें भी शामिल हैं। परियोजना में एक नया संसद भवन वर्तमान संसद के ठीक पास में बनाया जा रहा है। उम्मीद है कि यह 2022 के अन्त तक बनकर तैयार हो जाएगा। सेंट्रल विस्टा पश्चिम में राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक फैला हुआ है। सेंट्रल विस्टा में यमुना नदी के किनारे न्यू इंडिया’ गार्डन भी बनाए जाएंगे। इसमें देश की आजादी के 75 वर्षों की उपलब्धि को संरचनाओं में स्थापित किया जाएगा।

1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करें

PunjabKesari New Parliament

Central Vista Project: सेंट्रल विस्टा परियोजना के तहत बनने वाली संसद भवन की नई इमारत करीब 64,500 वर्ग मीटर में बनाई जा रही है, जो भव्य कलाकृतियों से युक्त होगी। नया संसद भवन त्रिकोणीय होगा। इसकी ऊंचाई पुरानी इमारत जितनी ही होगी। इसमें एक बड़ा संविधान हॉल, सांसदों के लिए एक लाउन्ज, एक लाइब्रेरी, कई कमेटियों के कमरे, डाइनिंग एरिया जैसे कई कम्पार्टमेंट होंगे। इसके लोकसभा चैंबर में 772 सदस्यों के बैठने की क्षमता होगी, जबकि वर्तमान में 552 सदस्यों के बैठने की क्षमता ही है। राज्यसभा में 384 सीट होंगी। सत्ता का कॉरिडोर यानी सेंट्रल विस्टा को पुनर्विकसित कर ‘‘लुटियन दिल्ली’’ आने वाले समय में नए लुक में नजर आएगी।

भूकंपीय क्षेत्र के मापदंडों के अनुसार डिजाइन इस योजना को तीन चरणों में पूरा किया जा रहा है। पहले चरण में राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक लगभग तीन किलोमीटर के दायरे में मौजूद सेंट्रल विस्टा क्षेत्र को 2022 तक नया रूप दिया जाना है, जबकि मौजूदा और भविष्य की जरूरतों के मुताबिक संसद भवन की नयी इमारत का निर्माण 2022 तक और तीसरे चरण में सभी केन्द्रीय मंत्रालयों को एक ही स्थान पर समेकित करने के लिये प्रस्तावित सभी केन्द्रीय सचिवालय का निर्माण 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य है। जिसकी कुल लागत 20,000 करोड़ रूपए है।

Who designed the Central Vista redevelopment project: श्री नरेंद्र मोदी के पसंदीदा आर्किटेक्ट श्री बिमल पटेल ने सेंट्रल विस्टा के पहले भी गुजरात सरकार और केंद्र सरकार के लिए कई अहम प्रोजेक्ट्स पर काम किया है। श्री पटेल के द्वारा डिजाइन किये गये प्रोजेक्टों में अहमदाबाद का रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट, कांकरिया का री-डेवलपमेंट, राजकोट रेसकोर्स री-डेवलपमेंट, आर.बी.आई. अहमदाबाद, गुजरात हाईकोर्ट, आई.आई.एम. अहमदाबाद, आई.आई.टी. जोधपुर जैसी कई बिल्डिंग भी शामिल हैं। हाल ही में काशी विश्वनाथ धाम परियोजना में भी श्री पटेल का काम दिखता है, परंतु यहां भी वास्तु सिद्धांतों की अवहेलना की गई।

श्री पटेल के अनुसार नई संसद त्रिकोण आकार की (जो विभिन्न धर्मों में एक पवित्र ज्यामितीय आकृति होती है) सबसे आधुनिक सुविधाओं वाला एक भवन होगा जो हमारी संस्कृति और परंपरा को भी प्रदर्शित करेगा।



श्री पटेल का कहना है कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट सत्ता की छवि को बदल देगा। उनकी दलील है कि मौजूदा संसद भवन की कल्पना अंग्रेजों ने काउंसिल हाउस के तौर पर की थी। भारत को अपनी पहली ‘सच्ची’ संसद तो अब मिल रही है। प्रस्तावित भवनों में से किसी की भी ऊंचाई इण्डिया गेट से अधिक नहीं होगी। सभी भवनों को अंडरग्राउंड रास्तों से जोड़ा जाएगा। सभी भवन केंद्रीय सचिवालय मेट्रो स्टेशन से सीधे जुड़े होंगे।

श्री बिमल पटेल के यू ट्युब पर सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के लगभग पौने दो घंटे का प्रजेंटेशन मैंने देखा है, जिसमें उन्होनें प्रोजेक्ट के बारे में बहुत ही विस्तार से जानकारी दी है। प्रजेंटेशन से एक बात साफ हो जाती है कि, न तो पुराने संसद भवन का डिजाइन मध्य प्रदेश के मुरैना में चौंसठ योगिनी मंदिर से प्रेरित है और न ही नए संसद भवन का डिजाइन खजुराहो के पास विदिशा-अशोक नगर रोड़ पर स्थित बिजा मण्डल (जिसे विजया मंदिर भी कहा जाता है) से प्रेरित है। प्रजेंटेशन देखकर लगता है कि, यह पूरा प्रोजेक्ट मॉर्डन टेक्नालॉजी को समाहित किए हुए बहुत ही सुंदर, बहुत ही भव्य और वर्तमान और भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए अत्याधिक सुविधाजनक होगा।

दोस्तों ! एक अच्छा आर्किटेक्ट भव्य, सुन्दर, आकर्षक और सुविधाजनक भवन का निर्माण तो कर सकता है परन्तु इस बात की गारंटी नहीं देता है कि, उस भवन में रहने वालों को सुख, समृद्धि, प्रसिद्धि और सफलता मिलेगी। जबकि वास्तुशास्त्र के सिद्धांतों का पालन करके निर्मित किए गए भवन में रहने वालों को सुख, समृद्धि, प्रसिद्धि और सफलता मिलेगी इस बात की पूरी गारंटी होती है। यही प्राचीन भारतीय वास्तु शास्त्र की विशेषता है। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का प्रेजेंटेशन देखने से लगता है कि बिमल पटेल ने वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों की अवहेलना की है। ऐसा होना स्वाभाविक भी था क्योंकि, एक अच्छा आर्किटेक्ट एक अच्छा वास्तुविद हो ही नहीं सकता।

सेन्ट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में प्रशासन को चलाने वाले कई मंत्रियों की नई बिल्डिंग भी आकार लेंगी। साथ ही साथ प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति का निवास स्थान भी नया बनेगा। इस प्रोजेक्ट में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि, पुराने संसद भवन के ठीक सामने एक नया संसद भवन भी आकार ले रहा है। जहां से पूरे भारत के लिए नीति-निर्धारण होते हैं, नए कानून बनाए जाते हैं। यहां लिए गए निर्णयों पर ही देश का भविष्य तय होता है लेकिन नये संसद भवन का जिस प्रकार से निर्माण हो रहा है, उसमें भी कई महत्वपूर्ण वास्तुदोष हैं। सेन्ट्रल विस्टा के प्रेजेंटेशन को देखने के बाद मुझे इस प्रोजेक्ट में कई महत्वपूर्ण वास्तुदोष दिखाई दिए हैं, वह इस प्रकार हैं -

सेन्ट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पश्चिम दिशा में रायसीना हिल्स पर स्थित राष्ट्रपति भवन से इण्डिया गेट होते हुए पूर्व दिशा में स्थित यमुना नदी वाले भाग तक जमीन की नीचाई पूर्व दिशा की ओर है। (इसी भौगोलिक स्थिति पर ‘‘वाल्मीकि रामायण में भगवान श्रीराम के मुख से वास्तु सम्बन्धी एक महत्वपूर्ण सूत्र कहलवाया गया है।’’ किष्किंधाकाण्ड में जब श्रीराम व लक्ष्मण बाली वध के उपरांत प्रस्रवण पर्वत पर निवास के लिए अनुकूल स्थान की तलाश कर रहे थे, तब पर्वत की सुंदरता का वर्णन करते हुए एक स्थान पर रुककर राम अपने अनुज से कहते हैं- ‘‘लक्ष्मण ! यह स्थान देखो इस स्थान का पूर्व नीचा व पश्चिम ऊंचा है, यहां पर पर्णकुटी बनाना श्रेष्ठ रहेगा। यह स्थान सिद्धिदायक एवं विजय दिलाने वाला है।’’  

PunjabKesari New Parliament

परन्तु वर्तमान में जो निर्माण हो रहा है, उसमें नये संसद भवन के नीचे लोअर ग्राउंड फ्लोर है। ध्यान रहे पुराने संसद भवन में लोअर ग्राउंड फ्लोर नहीं है। राष्ट्रपति भवन से लेकर इण्डिया गेट तक बन रहे सेन्ट्रल विस्टा के मध्य में 4 प्लॉट पर 51 हजार कर्मचारियों के लिए 11 आयताकार बिल्डिंग बनेगी, जिसमें से 9 बिल्डिंग मंत्रालयों के ऑफिसों की, 1 सेंट्रल कॉन्फ्रेंस सेंटर और 1 अन्य ।तबीपअमे बिल्डिंग होगी। इन सभी के नीचे 6 मीटर गहरा लोअर ग्राउंड फ्लोर और 6 मीटर गहरा बेसमेंट बन रहा है। लोअर ग्राउंड फ्लोर में एक ऑफिस से दूसरे ऑफिस जाने के लिए सर्कुलर बैटरी ट्रेन चलाने का प्रावधान किया गया है। बेसमेंट में अंडरग्राउंड शटल चलाने की व्यवस्था की जाएगी और यही पार्किंग, टॉयलेट-बाथरूम इत्यादि की सुविधा भी रखी गई है। इस तरह राष्ट्रपति भवन से इण्डिया गेट तक पश्चिम दिशा में ऊंचाई और पूर्व दिशा में नीचाई वाली वास्तुनुकूलता जो अभी तक है, वह मध्य में लोअर ग्राउंड फ्लोर और बेसमेंट बनने से खत्म हो जाएगी। वास्तु शास्त्र के अनुसार मध्य का गड्ढा पैसों की बर्बादी करवाता है। अतः इन मंत्रालयों में होने वाले कार्यां के लिए लगने वाला पैसा बड़ी मात्रा में बर्बाद होता रहेगा।

नए बनने वाले संसद भवन का प्लॉट सड़कों के कारण त्रिभुजाकार है और इस प्लॉट के अंदर त्रिभुजाकार भवन का निर्माण किया जा रहा है। वास्तुशास्त्र में वर्गाकार या आयताकार प्लॉट को ही शुभ बताया गया है, त्रिकोण आकार के प्लॉट को नहीं। नई बनने वाली संसद त्रिकोणाकार की है साथ ही इसके अंदर बनने वाली बिल्डिंग में से दो बिल्डिंग एक लोकसभा के लिए और दूसरी राज्यसभा के लिए अर्ध वृत्ताकार है और एक षटकोणीय आकार की बिल्डिंग डायनिंग हॉल की है। इन तीनों के मध्य में एक त्रिकोणीय आकार की कांस्टीट्यूशन गैलरी भी बन रही है।

वास्तुशास्त्र के अनुसार त्रिभुजाकार के प्लॉट पर बने भवन में रहने वाले हमेशा अपने शत्रुओं से परेशान रहते हैं। उन्हीं से निपटने में अपनी ऊर्जा लगाते हैं। देश के संदर्भ में यह शत्रु देश के अंदर के भी हो सकते हैं और सीमा पार के भी। त्रिकोणाकार के कारण एक ओर नए संसद भवन की उत्तर दिशा में जहां एक ओर उत्तर के साथ मिलकर उत्तर वायव्य का बढ़ाव है, वहीं दूसरी ओर दक्षिण दिशा में दक्षिण दिशा के साथ मिलकर दक्षिण नैऋत्य का बढ़ाव है।

वास्तुशास्त्र के अनुसार उत्तर के साथ मिलकर अगर वायव्य में बढ़ाव होता है तो ऐसे भवन में रहने वालों की आर्थिक स्थिति खराब रहती है, सुख का अभाव रहेगा, संतान का नष्ट (देश के नागरिक), अपमान, अशान्ति और दुःख से पीड़ा होगी। इसी प्रकार दक्षिण के साथ मिलकर अगर नैऋत्य में बढ़ाव होता तो वहां रहने वाले रोगों, प्राण-भय और अकाल मृत्यु के भय से पीड़ित होंगे।
नए संसद भवन में प्रवेश के लिए छः द्वार हैं, मध्य पूर्व का द्वार सांसदों के लिए, मध्य उत्तर और मध्य दक्षिण का द्वार पब्लिक के लिए, मध्य पश्चिम का द्वार स्पीकर और वाईस प्रेसिडेंड के लिए रखे गए हैं। वायव्य का द्वार प्राइम मिनिस्टर और प्रेसिडेंट के लिए तथा आग्नेय कोण का द्वार सेरेमोनियल इंट्री के लिए रहेगा।  

मध्य उत्तर, मध्य दक्षिण, मध्य पूर्व एवं मध्य पश्चिम दिशा के द्वार शुभ स्थिति में हैं। महत्वपूर्ण दो बड़े द्वार एक वायव्य कोण और दूसरा आग्नेय कोण में अशुभ स्थिति में है। वह द्वार जहां से प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति का आना-जाना रहेगा, वह वायव्य कोण का द्वार है। वास्तुशास्त्र के अनुसार वायव्य कोण का द्वार दुःखदायी, कलहकारी, बैर-भाव, मुकदमेबाजी व बदनामी लाने वाला रहता है। सेरीमोनियल एंट्री के लिए आग्नेय कोण का द्वार रहेगा। वास्तुशास्त्र के अनुसार ऐसे घर जिनका द्वार आग्नेय कोण में रहता है, वहां कलह, विवाद, अग्निभय, चोरी होने की सम्भावना होती है।

रायसीना हिल्स पर स्थित राष्ट्रपति भवन के आगे पूर्व दिशा में दक्षिण दिशा की ओर प्रधानमंत्री के लिए और उत्तर दिशा की ओर उपराष्ट्रपति के लिए नए भवनों का निर्माण होने वाला है। श्री पटेल का प्रजेंटेशन देखने पर पता चला कि प्रधानमंत्री आवास का निर्माण अनियमित आकार में हो रहा है, जिसमें बिल्डिंग का ईशान कोण कटा हुआ है। वास्तुशास्त्र के अनुसार अनियमित आकार के प्लॉट अशुभ फल देने वाले होते हैं। वास्तुशास्त्र के अनुसार प्लॉट या भवन का ईशान कोण कटा होने पर वहां रहने वालों को जीवन यापन करने में कठिनाई होती है, आर्थिक स्थिति खराब रहती है, जीवन में तरक्की नहीं हो पाती है और यश में कमी आती है।

PunjabKesari  New Parliament

इन महत्वपूर्ण वास्तुदोषों के अलावा सेन्ट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में और भी कई छोटे-छोटे वास्तुदोष हैं। जो यहां से होने वाली गतिविधियों को अपने प्रभाव के अनुसार प्रभावित करेंगे। उपरोक्त सभी वास्तुदोषों के कारण भारत के नीति-निर्माता देश के दुश्मनों से लड़ने में अपनी ताकत लगाने की बजाए आपसी विवाद में ही उलझे रहेंगे। इन्हीं दोषों के कारण देश में आर्थिक कष्ट आएंगे, सुखों का अभाव रहेगा।

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में चल रहे निर्माणों के वास्तु दोषों को देखते हुए देश को चलाने वाले जनप्रतिनिधियों को देशहित में चाहिए कि वह इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के वास्तु दोषों को दूर करवाएं, ताकि भारत सुख, समृद्धि, खुशहाली के साथ तरक्कियों की बुलंदियों को हासिल कर सके और विश्व में अपना डंका बजवा सके।

वास्तु गुरू कुलदीप सलूजा
thenebula2001@gmail.com

PunjabKesari kundli


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Recommended News

Related News