Neerputhoor Mahadeva Temple: रहस्यों से घिरा है नीरपुथूर मंदिर, शिवलिंग के चारों ओर वर्षभर भरा रहता है पानी

punjabkesari.in Saturday, Oct 25, 2025 - 07:13 AM (IST)

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Neerputhoor Mahadeva Temple: भारतीय सभ्यता अपनी प्राचीनता और समृद्ध संस्कृति के लिए विश्वभर में जानी जाती है। इसके सबसे बड़े प्रमाण यहां के भव्य और रहस्यमय मंदिर हैं, जिनकी अद्भुत संरचनाएं आज भी लोगों को आश्चर्यचकित कर देती हैं। इन्हीं मंदिरों में से एक है नीरपुथूर मंदिर, जिसे लगभग 3000 वर्ष पुराना माना जाता है। यह मंदिर विज्ञान और तर्क की सीमाओं को चुनौती देता प्रतीत होता है और शोधकर्ताओं के लिए आज भी एक अनसुलझी पहेली बना हुआ है। इस मंदिर का केंद्र बिंदु इसका शिवलिंग है, जिसे लेकर गहरी आस्था है कि यह किसी इंसान द्वारा स्थापित नहीं, बल्कि स्वयं प्रकट हुआ है। इसकी उत्पत्ति और निर्माण की प्रक्रिया विज्ञान के विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण से परे है, जो इसे सिर्फ श्रद्धा और विश्वास का विषय बना देती है।

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एक और बड़ा रहस्य मंदिर के जल स्रोत से जुड़ा है। शिवलिंग के चारों ओर वर्षभर पानी भरा रहता है, चाहे कैसा भी मौसम हो सूखा या बरसात। भू-वैज्ञानिक इस पानी के निरंतर स्रोत को समझने में असमर्थ रहे हैं, क्योंकि इसका कोई स्पष्ट वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है। स्थानीय लोग इस जल को ‘चमत्कारी’ मानते हैं और इसमें रोग निवारण की शक्ति देखते हैं, जो वैज्ञानिक मापदंडों से परे है।

मंदिर की वास्तु संरचना भी कम रहस्यमय नहीं है। यह वास्तुशास्त्र और खगोल विज्ञान के ऐसे जटिल नियमों पर आधारित है जिन्हें आधुनिक उपकरणों से भी पूरी तरह मापा नहीं जा सका है। गर्भगृह का तापमान और उसमें अनुभव की जाने वाली असामान्य ऊर्जा वैज्ञानिकों के लिए एक चुनौती बनी हुई है क्योंकि वे इसे तकनीकी रूप से सिद्ध नहीं कर पाए हैं। इतिहास और जनमानस दोनों में नीरपुथूर मंदिर का गहरा महत्व है। स्थानीय लोग इसे केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि ‘चमत्कारों का स्थल’ मानते हैं।

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निष्कर्ष यह है कि नीरपुथूर मंदिर हमें यह सिखाता है कि हर चीज़ का उत्तर केवल विज्ञान या तर्क के पास नहीं होता। कुछ रहस्य ऐसे होते हैं जो आस्था, अनुभव और संस्कृति की गहरी लकीर के माध्यम से ही समझे जा सकते हैं। यह मंदिर उस बिंदु को रेखांकित करता है जहां विज्ञान का दायरा समाप्त होता है और अध्यात्म का आरंभ होता है।

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Content Editor

Prachi Sharma

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