Navratri 5th Day: नवरात्रि का पांचवां दिन है मां स्कंदमाता को समर्पित, जानिए पूजा विधि और कथा एवं महा उपाय
punjabkesari.in Thursday, Oct 19, 2023 - 07:06 AM (IST)
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Navratri 2023 5th Day: शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा का विधान है। इस साल 19 अक्टूबर को मां स्कंदमाता की पूजा की जाएगी। स्कंदमाता को मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता के रूप में पूजा जाता है। कहा जाता है कि स्कंदमाता भक्तों की समस्त कामनाओं की पूर्ति करती हैं। मां दुर्गा के पंचम स्वरूप देवी स्कंदमाता की उपासना से भक्त की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और जीवन में खुशियां आती हैं। संतान प्राप्ति के लिए स्कंदमाता की आराधना करना लाभकारी माना गया है। स्कंदमाता की पूजा से भक्त को मोक्ष मिलता है। सूर्य मंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनकी पूजा से भक्त अलौकिक तेज और कांतिमय हो जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं मां के स्वरूप और पूजा विधि के बारे में-
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Form of Maa Skandmata मां स्कंदमाता का स्वरूप
स्कंदमाता का स्वरूप मन को मोह लेने वाला है। इनकी चार भुजाएं हैं। दो हाथों में इन्होंने कमल लिए हैं। मां स्कंदमाता की गोद में भगवान स्कंद बाल रूप में विराजित हैं। मां स्कंदमाता का वाहन सिंह है। शेर पर सवार होकर मां दुर्गा अपने पांचवें स्वरूप यानी स्कंदमाता के रूप में भक्तजनों के कल्याण के लिए सदैव तत्पर रहती हैं।
Maa Skandamata Puja vidhi मां स्कंदमाता पूजा विधि
नवरात्रि के पांचवे दिन सबसे पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर घर के मंदिर या पूजा स्थान में चौकी पर स्कंदमाता की तस्वीर या प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद गंगाजल से शुद्धिकरण करें, फिर एक कलश में पानी लेकर उसमें कुछ सिक्के डालें और उसे चौकी पर रखें।
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अब पूजा का संकल्प लेते हुए स्कंदमाता को रोली-कुमकुम लगाएं और नैवेद्य अर्पित करें। अब धूप-दीपक से मां की आरती उतारें और आरती के बाद घर के सभी लोगों को प्रसाद बांटे और आप भी ग्रहण करें। स्कंदमाता को नीला रंग पसंद है, इसलिए आप नीले रंग के कपड़े पहनकर मां को केले का भोग लगाएं। ऐसा करने से मां निरोगी रहने का आशीर्वाद देती हैं।
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Story of Skandamata स्कंदमाता की कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, तारकासुर नाम का एक राक्षस था, जिसकी मृत्यु केवल शिव पुत्र से ही संभव थी। तब मां पार्वती ने अपने पुत्र भगवान स्कन्द (कार्तिकेय का दूसरा नाम) को युद्ध के लिए प्रशिक्षित करने हेतु स्कन्द माता का रूप लिया। उन्होंने भगवान स्कन्द को युद्ध के लिए प्रशिक्षित किया था। कहा जाता है कि स्कंदमाता से युद्ध प्रशिक्षण लेने के पश्चात भगवान स्कंद ने तारकासुर का वध किया।
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Who is Skandamata ? कौन हैं मां स्कंदमाता ?
चार भुजाओं वाली मां स्कंदमाता देवी पार्वती या मां दुर्गा का पांचवा स्वरूप हैं। ये चार भुजाओं वाली माता शेर पर सवारी करती हैं।इनके हाथों में कमल पुष्प होता है और अपने एक हाथ से ये अपने पुत्र स्कंद कुमार यानि भगवान कार्तिकेय को पकड़ी हुई हैं।भगवान कार्तिकेय को ही स्कंद कुमार कहते हैं। स्कंदमाता का अर्थ है स्कंद कुमार की माता।
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Why was Maa Skandamata born मां स्कंदमाता की क्यों हुई उत्पत्ति ?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, संसार में जब तरकासुर का अत्याचार बढ़ने लगा तो सभी देवी-देवता, मनुष्य, गंधर्व, ऋषि-मुनि आदि चिंतित हो गए। उन सभी ने माता पार्वती से तरकासुर के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना करी।
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उसके पश्चात आदिशक्ति ने अपने तेज से 6 मुख वाले बालक स्कंद कुमार को जन्म दिया। आगे चलकर उनके हाथों ही तरकासुर का अंत हुआ और सभी को उसके अत्याचार से मुक्ति मिली। इस प्रकार से मां दुर्गा का पांचवा स्वरूप मां स्कंदमाता बनीं।
Mantra of Skandamata स्कंदमाता का मंत्र
ॐ देवी स्कन्दमातायै नमः॥
Skandamata Prayer mantra स्कंदमाता प्रार्थना मंत्र
सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
Skandamata Stuti स्कंदमाता स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
Maha Upay for the Fifth day of Navratri नवरात्रि के पांचवें दिन का महा उपाय
नवरात्रि के हर दिन अलग-अलग तरह के उपाय किए जाते हैं, जिनसे भक्तों को विशेष लाभ मिलता है। नवरात्रि के पांचवें दिन अपने घर के पास किसी भी शक्ति पीठ या देवी मंदिर में जाकर शुद्ध घी का दीपक जलाएं। दीप जलाने के बाद देवी भगवती के 32 नामों के नामवली का कम से कम 32 बार पाठ करें। मान्यता है कि इस महा उपाय को करने से सोया भाग्य जाग जाता है। इस उपाय से देवी का आशीर्वाद मिलता है और शीघ्र संतान प्राप्ति के योग बनने लगते हैं।
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पंडित सुधांशु तिवारी
एस्ट्रोलॉजर/ ज्योतिषाचार्य
सम्पर्क सूत्र- 9005804317