Margashirsha Purnima Vrat Katha 2025: मार्गशीर्ष पूर्णिमा की कथा पढ़ने से कुछ ही दिनों में बदल जाता है जीवन
punjabkesari.in Thursday, Dec 04, 2025 - 11:22 AM (IST)
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Margashirsha Purnima Vrat Katha 2025: मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा, जिसे अगहन पूर्णिमा भी कहा जाता है, वर्ष 2025 में 4 दिसंबर यानी आज पड़ रही है। हिंदू धर्म में यह पूर्णिमा वर्ष की विशेष पूर्णिमाओं में से एक मानी जाती है क्योंकि इसी दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की अराधना अत्यंत शुभ फलदायी होती है। इस दिन स्नान, दान, दीपदान और व्रत करने का विशेष महत्व बताया गया है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा का धार्मिक महत्त्व
हिंदू शास्त्रों के अनुसार मार्गशीर्ष मास स्वयं भगवान श्रीकृष्ण द्वारा प्रिय माह बताया गया है। इस पूर्णिमा को व्रत रखने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। पापों का नाश होता है। धन-धान्य में वृद्धि होती है। घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है। कई लोग इस दिन नदी या किसी पवित्र सरोवर में स्नान करके अन्न, वस्त्र, घी, दीप और तिल का दान करते हैं।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत कथा
प्राचीन समय में एक निर्धन ब्राह्मण था। वह अत्यंत धार्मिक और ईश्वरभक्त था परंतु गरीबी ने उसे हमेशा दुखी रखा। एक दिन जीवन की परेशानियों से थक कर वह जंगल की ओर चला गया। चलते-चलते उसे एक तेजस्वी दिव्य ऋषि मिले। ऋषि ने उसके दुःख का कारण पूछा और ब्राह्मण ने अपनी सारी व्यथा सुना दी।
ऋषि ने कहा, “मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा महान पुण्यदायिनी होती है। इस दिन भगवान नारायण की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यदि कोई व्यक्ति विधिपूर्वक स्नान, दान, दीपदान और उपवास करे तो उसके पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन में सौभाग्य का आगमन होता है।”

ब्राह्मण ने ऋषि की बातों पर विश्वास किया और अगली पूर्णिमा को पूरे नियम से व्रत रखा। उसने पवित्र नदी में स्नान किया, दीपदान किया, ब्राह्मणों को अन्न व वस्त्र दान किए और रातभर भगवान विष्णु का जागरण किया।
उसकी सच्ची भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु प्रकट हुए और उसे आशीर्वाद दिया, “अब तुम्हारे जीवन में धन की कभी कमी नहीं होगी। समृद्धि और सद्गुण सदा तुम्हारे घर रहेंगे।”
कुछ ही दिनों में ब्राह्मण का जीवन बदल गया और वह सम्पन्न हो गया। तभी से मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत मनोकामना-पूर्ति और धन-समृद्धि देने वाला माना जाता है।

