नरक चतुर्दशी 2021: अपनी सुंदरता में लगाना चाहते हैं चार चांद तो करें ये उपाय

punjabkesari.in Wednesday, Oct 27, 2021 - 03:57 PM (IST)

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अपनी वेबसाइट के माध्यम से हम आपको बता चुके हैं दिवाली के पांच दिनों का बेहद महत्व है। धनतेरस से लेकर भाई दूज तक धूम धाम से इन दिनों को मनाया जाता है। इन्हीं 5 दिनों में एक होता है नरक चतुर्दशी का, जिसे रूप चौदश के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन प्रातः उठकर स्नान आदि करने से रंग रूप में निखार आता है तथा नरक के भय से मुक्ति मिलती है। इसलिए ही इस दिन को नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। पर इस दिन की शुरूआत कैसे होनी चाहिए, इस दिन किस तरह का विशेष स्नान करना चाहिए इस बारे में बहुत कम लोग जानते है। तो अगर आप भी ऐसे लोगों की सूची में शामिल हैं, तो आप भी आगे दी गई जानकारी को ध्यान से पढ़िए और जानिए कि इस दिन कैसा स्नान करने से व्यक्ति की सुंदरता में चार चांद लग जाते हैं। 

नरक चतुर्दशी अथवा रूप चौदश का पर्व प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास की चतुर्दशी को मनाया जाता है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार इस दिन स्नान करके के पूर्व कार्तिक अहोई अष्टमी के दिन एक तांबे के लौटे में जल भरकर रखा जाता है और उसे रूप चौदस के दिन स्नान के जल में मिलाकर स्नान किया जाता है। मान्यता के अनुसार ये उपाय करने से व्यक्ति को नरक के भय से मुक्ति मिलती है।

रूप चौदश के दिन व्यक्ति को सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करना चाहिए। अगर नदी या किसी जलाशय में स्नान करना संभव न हो तो घर में मौजूद शुद्ध जल से स्नान कर सकते हैं। 

सूर्योदय से पहले उठकर दिनचर्या से निवृत्त होकर हल्दी, चंदन, बेसन, शहद, केसर और दूध का उबटन करें, फिर स्नान करके पूजन करें। कहा जाता है इस उपाय को करने से सकारात्मकता ऊर्जा बढ़ती है और शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

इस दिन स्नान के दौरान तिल के तेल से शरीर की मालिश करें। इसके अलावा औधषीय पौधा अपामार्ग अर्थात चिरचिरा को सिर के ऊपर से चारों ओर 3 बार घुमाने का प्रचलन है। अर्थात आज के दिन प्रातःकाल तेल लगाकर अपामार्ग की पत्तियां जल में डालकर स्नान करने से नरक से मुक्ति मिलती है।

स्नान आदि के पश्चात दक्षिण दिशा की ओर हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करें, मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति के संपूर्ण वर्ष के पापों का नाश हो जाता है।

कहा ये भी जाता है कि इस दिन केवल उबटन और स्नान ही न करना चाहिए बल्कि इत्र लगाएं और अच्छी तरह से तैयार हों। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार इस दिन विशेष रूप से सौंदर्य पर ध्यान देना चाहिए, ऐसा करने से वर्ष भर सौंदर्य बरकरार रहता है। 

इस दिन रात्रि में रात को तेल अथवा तिल के तेल के 14 दीपक अवश्य जलाएं, इससे समस्त पापों से मुक्ति मिलती है।

धार्मिक मान्यता ये भी है कि चतुर्दशी के दिन नए पीले रंग के वस्त्र पहन कर यम का पूजन करने से अकाल मृत्यु एवं नरक में जाने का भय नहीं रहता।


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Content Writer

Jyoti

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