Nag Panchami: जिनके भाई नहीं है, वे नाग देवता को बनाएं भाई, पढ़ें कथा

punjabkesari.in Saturday, Jul 25, 2020 - 07:21 AM (IST)

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Nag Panchami 2020: नाग पंचमी पर एक कथा प्रचलित है कि किसी ब्राह्मण की सात पुत्रवधुएं थीं। सावन मास लगते ही 6 बहुएं तो अपने मायके चली गईं परंतु सातवीं के कोई भाई नहीं था जो उसे बुलाता। बेचारी ने अति दुखित होकर पृथ्वी को धारण करने वाले शेषनाग को अपने भाई के रूप में याद किया। करुणायुक्त दीन वाणी को सुनकर शेष नाग जी वृद्ध ब्राह्मण के रूप में आए और उसे लेकर चल दिए। थोड़ी दूरी पर जाने के उपरांत उन्होंने अपना वास्तविक रूप धारण कर लिया तब उसे अपने फन पर बैठा कर नागलोक ले गए। वहां वह निश्चित होकर रहने लगी।

PunjabKesari Nag panchami ki katha
पाताल (नाग लोग) में जब वह निवास कर रही थी उसी समय शेष जी की कुल परम्परा में नागों के बहुत से बच्चे जन्मे। उन नाग बच्चों को सर्वत्र विचरण करते देखकर शेषनाग रानी ने ब्राह्मण वधू को पीतल का एक दीपक दिया तथा बतलाया कि उसके प्रकाश से अंधेरे में तुम सब कुछ देख सकोगी। एक दिन अचानक टहलते हुए वह दीपक उसके हाथ से फिसल कर बच्चों पर गिर गया। परिणामस्वरूप सभी बच्चों की थोड़ी-थोड़ी पूंछ कट गई।

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इसके कुछ समय पश्चात ब्राह्मण वधू ससुराल भेज दी गई। जब अगला सावन आया तो वह दीवार पर नाग देवता का चित्र बनाकर उसकी विधिवत पूजा एवं मंगल कामना करने लगी। उधर क्रोधित नाग बालक माताओं से अपनी पूंछ कटने का कारण उस वधू को जानकर बदला चुकाने के लिए आए लेकिन अपनी विधिवत पूजा देखकर सभी प्रसन्न हो गए और उनका क्रोध शांत हो गया। बहन स्वरूप ब्राह्मण वधू के हाथ से प्रसाद रूप में उन नागों ने दूध एवं चावल खाए।

नागों ने उसे सर्पकुल से निर्भय होने का वरदान तथा उपहार के रूप में मणियों की माला दी। उन्होंने उसे बतलाया कि श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में पंचमी को जो हमें भाई रूप में पूजेगा हम उसकी सदा रक्षा करते रहेंगे।

नाग पंचमी पर जमीन में हल जोतना अथवा जमीन खोदना मना है। कुछ स्थानों पर आग पर तवा कढ़ाई चढ़ाने का भी परहेज किया जाता है तो कहीं सूई धागे के प्रयोग की भी मनाही है।

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Niyati Bhandari

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