Muni Shri Tarun Sagar: जानिए, कब फूटती है किस्मत ?
punjabkesari.in Wednesday, Sep 24, 2025 - 02:01 PM (IST)

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शब्द यात्रा करते हैं
शब्द यात्रा करते हैं, इसलिए पीठ पीछे भी किसी की निंदा मत करो। मुख से निकले किसी की निंदा के शब्द चलते-चलते संबंधित व्यक्ति के पास तक जरूर पहुंचते हैं और दुश्मनी कम होने की बजाय और बढ़ जाती है। पीठ पीछे दुश्मन की तारीफ करना सीखो। तारीफ के शब्द एक दिन उस तक जरूर पहुंचेंगे और 50 प्रतिशत दुश्मनी उसी समय खत्म हो जाएगी। याद रखें संबोधन अच्छे हों तो संबंध भी अच्छे रहते हैं।
तू कैसा बेटा है
मां-बाप की आंखों में दो बार ही आंसू आते हैं। एक तो लड़की घर छोड़े तब और दूसरा लड़का मुंह मोड़े तब। पत्नी पसंद से मिल सकती है। मगर मां तो पुण्य से ही मिलती है। इसलिए पसंद से मिलने वाली के लिए पुण्य से मिलने वाली को मत ठुकरा देना। जब तू छोटा था तो मां की शैय्या गीली रखता था, अब बड़ा हुआ तो मां की आंख गीली रखता है। तू कैसा बेटा है। तूने जब धरती पर पहली सांस ली, तब मां-बाप तेरे पास थे। अब तेरा फर्ज है कि माता-पिता जब अंतिम सांस लें, तब तू उनके पास रहे।
किस्मत तब फूटती है
लाटरी का नंबर डाला और नहीं खुली तो तुम कहते हो कि किस्मत फूट गई। बच्चा पैदा हुआ, सोचा था लड़का होगा, मगर लड़की हुई, तुम कहते हो किस्मत फूट गई। सौदा किया और घाटा हो गया, तो तुम कहते हो किस्मत फूट गई। अरे भाई! तुम्हारी किस्मत दिन में कितनी बार फूटती है? भगवान महावीर कहते हैं कि इंसान की किस्मत उस दिन फूटती है, जिस दिन वह सम्यक-दर्शन-ज्ञान-चरित्र से भ्रष्ट हो जाता है। कबीर के शब्दों में- किस्मत उस दिन फूटती है जिस दिन आदमी के हृदय से प्रेम और विश्वास निकल जाता है।