Muni Shri Tarun Sagar: अगर आप बुजुर्ग हैं तो मुनि तरुण सागर की नसीहतें ध्यान में रखिए

punjabkesari.in Friday, May 23, 2025 - 02:00 PM (IST)

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कुछ नसीहतें
अगर आप बुजुर्ग हैं तो मुनि तरुण सागर की नसीहतें ध्यान में रखिए। जरूरत से ज्यादा मत बोलिए। बिन मांगे बहू-बेटे को सलाह मत दीजिए। साठ साल की उम्र हो जाए तो अधिकार का सुख छोड़ दीजिए। बेटा-बहू से कहिए, अब तुम्हीं इस घर के मालिक हो, अपने ढंग से जिओ रहो। हमें तो बस मेहमान ही समझो। बेशक, तिजोरी की चाबी भी बेटे को दे देना, मगर हां, अपने लिए इतना जरूर बचा लेना कि कल को बेटे-बहू के सामने हाथ फैलाना न पड़े।

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घुंघरू और हीरे
मेरा मानना है कि बुजुर्ग लोग टोकाटाकी की आदत छोड़ दें तो उन्हें आखिरी वक्त तक सम्मान से दाल-रोटी मिलती रहेगी। क्या तुम्हें पता नहीं कि बहुत बोलने वाले घुंघरू पैरों में पहने जाते हैं और मौन धारने वाले हीरे मस्तक पर चढ़ जाते हैं। कुछ लोग इसलिए दुखी हैं कि वे ज्यादा बोलते हैं और कुछ लोग इसलिए दुखी हैं कि वे कुछ नहीं बोलते। कहां बोलना है और कहां नहीं, इतना विवेक तो होना ही चाहिए। कहते हैं जीवन में भक्ति आ जाए तो प्रभु खुद चले आते हैं। केवट के जीवन में भक्ति आई, प्रभु राम खुद चले आए। मीरा के जीवन में भक्ति आई, प्रभु श्रीकृष्ण खुद चले आए। चन्दनबाला के जीवन में भक्ति आई प्रभु महावीर खुद चले आए। इन लोगों ने टैलीफोन करके थोड़ी न बुलाया था। प्रभु का एक नाम अन्तर्यामी है। वह बिन बोले सब समझता है। प्रार्थना में भाषा नहीं, भाव चाहिए, अर्घ्य नहीं आंसू चाहिए।

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मां का रिश्ता
मां उस समय सर्वाधिक अपमान महसूस करती है, जिस समय उसका बेटा पत्नी के सामने उसे डांटता है, आंखें दिखाता है। दुनिया के सभी रिश्तों में मां का रिश्ता सबसे बड़ा है क्योंकि उसकी आयु सभी रिश्तों से 9 माह अधिक हुआ करती है। मां कैसी भी हो, अगर आप उसे सुख नहीं दे सकते तो कम-से-कम दुख भी न दें। अपनी जेब में मां-बाप की तस्वीर रखें क्योंकि इसी तस्वीर ने तुम्हारी तकदीर बनाई है।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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