क्यों कहते हैं कि कर्मों से नहीं बच सकता कोई ? जानें छुपा रहस्य

punjabkesari.in Saturday, Nov 29, 2025 - 02:31 PM (IST)

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Karma Secrets: मैंने एक कथा सुनी थी कि एक कसाई बकरों को काट-छांट कर उनका मांस बेचता था, क्योंकि यही उसका धंधा था। एक बार उसके पास रात को कोई मांस लेने आया तो कसाई एक जिंदा बकरे में से टुकड़ा काट कर बेचने लगा, तो बकरा बोल पड़ा, ‘‘बाकी सब तो ठीक है, लेकिन आज तू यह नया काम करने जा रहा है। अब तक कभी तू कसाई बना और कभी बकरा बना और कभी मैं कसाई बना और बकरा बना, लेकिन जो तू आज करने जा रहा है, वह बहुत गलत है। हम अपने कर्मों के कारण ही ये सब भुगत रहे हैं।’’

अब बात आती है आजकल के लोगों की, जो घर में गाय रखते हैं और उनका दूध पीते हैं और बेचते भी हैं, क्योंकि गाय का दूध बहुत गुणकारी होता है। गायों की देखभाल भी बहुत करनी पड़ती है और उन्हें अच्छे तरीके से रखना पड़ता है। वैसे भी गाय को हमारे समाज में अलग महत्व दिया जाता है और उसे पूजा भी जाता है। 

कुछ लोग गायों को अपने काम सिद्ध करने के लिए गुड़ भी खिलाते हैं, लेकिन कभी-कभी दिल भर आता है जब गायों को आवारा छोड़ दिया जाता है। गायों और बकरों के टकराने से सड़क हादसे होते हैं और जानें जाती हैं।

ऐसे कई हादसे रोज होते हैं। हाल ही में एक हादसा हुआ, जब गायक राजवीर जवांदा, जो कि बहुत होनहार और विशिष्ट गायक थे, इसी तरह के एक हादसे का शिकार होकर इस फानी दुनिया को अलविदा कह गए।

लोगों के लिए यह एक खबर बन जाती है, लेकिन जिनके घर में ऐसा हादसा होता है, वे पूरी जिंदगी उसे नहीं भूल पाते। लेकिन वे लोग, जिन्होंने गायों या बकरों को अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए इस्तेमाल किया और फिर उन्हें सड़क पर मरने के लिए छोड़ दिया, क्या वे भी किसी हद तक जिम्मेदार नहीं थे ?  

जैसे मैंने उपरोक्त कथा के माध्यम से कहा है कि कभी कसाई बकरा बनता है और कभी बकरा कसाई बनता है, वैसे ही वे लोग जिन्होंने गायों का उपयोग किया और फिर उन्हें सड़क पर छोड़ दिया, क्या वे भी कभी-कभी बकरा और कभी-कभी कसाई नहीं बनते होंगे ?

यह सिलसिला इसी तरह चलता रहेगा। लोग गाय पालते हैं, और जब वे दूध देने योग्य नहीं रहतीं, तो उन्हें घर से बाहर निकाल देते हैं। यह उन लोगों की एक बहुत ही गलत बात है। अगर उन्होंने गायों और बकरों की देखभाल की जिम्मेदारी नहीं निभाई तो हो सकता है कि उनके रिश्तेदार भी कभी इन हादसों का शिकार हो जाएं।

पहले लोग गायों और बकरों का अंत तक ख्याल रखते थे, जैसे अपने बच्चों का रखते हैं। जब वे दूध देने के लायक नहीं रहते, तो भी उनका भी ख्याल रखते क्योंकि उन्हें घर के जीते-जागते सदस्य माना जाता था जिन्होंने हमारा साथ दिया इसलिए उन्हें बाहर नहीं निकाला जाता था।

जहां तक सरकार का सवाल है, अगर वह गायों का टैक्स लोगों से एकत्र करती है, तो क्या वह गायों की देखभाल और प्रबंधन कर रही है ? पर हर काम सरकार का नहीं होता, कुछ जिम्मेदारी लोगों की भी होती है। लोगों को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और परमात्मा का डर मन में रखना चाहिए। जितने भी हादसे होते हैं, उनका पाप उन लोगों पर भी पड़ेगा, जिन्होंने इन गायों और बकरों को आवारा छोड़ दिया। इन लोगों को उनके किए हुए पापों की सजा झेलनी पड़ेगी। इसलिए हमें समझदार बनना चाहिए और अपने बच्चों को इन हादसों से बचाना चाहिए। कर्मों का खेल बहुत कठिन है, इसलिए हमें अपने कर्म अच्छे करने चाहिए। 
 


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Content Editor

Prachi Sharma

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