Muni Shri Tarun Sagar: मृत्यु की राख पर जीवन का पौधा उगता है

punjabkesari.in Friday, Oct 07, 2022 - 09:08 AM (IST)

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लेकिन सच्चे बोल
मैंने शिक्षा और दीक्षा महावीर को मंदिरों में पूजने के लिए नहीं बल्कि उनकी शिक्षा को दुनिया में फैलाने के लिए ली है। दरअसल आज दुनिया को फिर किसी महावीर की जरूरत है। एक ऐसे महावीर की, जो हिंसा और हत्या के घने अंधकार में अहिंसा और प्रेम के दीप जला सके।

महावीर की जरूरत
महावीर के संदेश ‘जिओ और जीने दो’ में सिर्फ चार शब्द नहीं, वरन् चार वेद और चार धाम भी हैं। महावीर ‘कभी’ के लिए नहीं बल्कि ‘अभी’ के लिए हैं और ‘सभी’ के लिए हैं। हम सिर्फ महावीर ‘को’ न मानें, बल्कि महावीर ‘की’ भी मानें। जो मन की ‘भड़ास’ पर विजय पा ले, वही महावीर है।

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मृत्यु की राख पर जीवन का पौधा
जीवन में सुख और शांति चाहते हो तो मौत का अभ्यास करो। मरने से पहले एक बार मर कर देखो। घबराओ मत। मौत को याद करने से तुम जल्दी नहीं मर जाओगे मगर हां, मौत के स्मरण से तुम्हारे मन में जो पाप और वासनाएं हैं, वे जरूर मर जाएंगी। लेकिन आज का आदमी बहुत चालाक है, वह मृत्यु का नाम तक सुनना नहीं चाहता। 

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शादी के अवसर पर अगर कोई बच्चा कह दे ‘राम नाम सत्य है’ तो फिर देखना मजा। हर आदमी उसे फटकारेगा। 
ध्यान रहे: मृत्यु की राख पर जीवन का पौधा उगता है और जीवन फिर मृत्यु की राख में विसर्जित हो जाता है।

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ज्ञान का झरना
संत-मुनियों से प्रेम करो क्योंकि वे तुम्हारे कल्याण मित्र हैं। संत-मुनि तुम्हारे लिए इतने ही उपयोगी हैं जितना चौराहे पर खड़े इंसान के लिए एक मील का पत्थर। सत्संग ज्ञान के झरने हैं, जहां कुछ तो प्यास बुझाते हैं। कुछ लोग हैं, जो सिर्फ एक-दो घूंट ही पीते हैं और आगे बढ़ जाते हैं और कुछ लोग ऐसे भी हैं जो सिर्फ कुल्ला करते हैं। सत्संग के इन झरनों में प्यास तो बुझानी ही है साथ ही गहरी डुबकियां भी लगानी हैं क्योंकि जिंदगी के मोती गहराई में ही मिलते हैं।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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