Muni Shri Tarun Sagar: समय पर ही सीख मिलती है बिना समय के तो भीख भी नहीं मिलती

punjabkesari.in Tuesday, Aug 03, 2021 - 08:41 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

संतों की उंगली पकड़ कर रखो। जैसे बंदर का बच्चा अपनी मां से चिपका रहता है वैसे ही तुम गुरुओं से चिपके रहो। तुम्हारा बस इसी में कल्याण है। भीड़ भरे मेले में जब तक बच्चे की उंगली मां के हाथ में होती है, वह खुश रहता है।

PunjabKesari Muni Shri Tarun Sagar
ज्यों ही मां की उंगली छूटती है तो बालक भीड़ में खो जाता है। जीवन की उंगली जब तक किसी संत ने थाम रखी है तब तक संसार का कोई थपेड़ा तुम्हारा कुछ बिगाड़ नहीं सकता। उंगली छूटी तो फिर रोना ही-रोना है।

जीने के तीन स्तर हैं। पेड़, पशु, मनुष्य। जिसमें जीवन है पर गति नहीं, वह पेड़। जिसमें जीवन भी है गति भी है पर दिशा नहीं, वह पशु है और जिसमें जीवन भी है, गति भी है और दिशा भी है, वह मनुष्य है।

यदि मनुष्य दिशा में चलता है तो देवता है और मनुष्य विदिशा (कुपथ) में चलता है तो ‘मनुष्य रूपेण मृगा:’ की कहावत को चरितार्थ करता है। मेरा मानना है कि मनुष्य अपनी दिशा सुधार ले तो दशा खुद-ब-खुद सुधर जाएगी।

पत्नी से परेशान आदमी रेलवे स्टेशन पहुंचा। ट्रेन में चढ़ने लगा। तभी आवाज आई, इसमें मत चढ़। ये पटरी से उत्तर जाएगी। वह एयरपोर्ट पहुंचा, प्लेन में चढ़ने लगा, आवाज आई, इसमें मत चढ़ यह क्रैश हो जाएगा।

PunjabKesari Muni Shri Tarun Sagar
फिर वह बस स्टैंड पहुंचा। बस में चढ़ने लगा तो आवाज आई इसमें मत चढ़, यह खाई में गिर जाएगी।

आदमी, ‘‘आप हैं कौन?’’

आवाज आई, ‘‘मैं भगवान हूं।’’

आदमी, ‘‘प्रभु जब मैं घोड़ी पर चढ़ रहा था तब क्या आपका गला बैठ गया था।’’

समय पर ही सीख मिलती है बिना समय के तो भीख भी नहीं मिलती। 

PunjabKesari Muni Shri Tarun Sagar


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Niyati Bhandari

Recommended News

Related News