Muni Shri Tarun Sagar: भाव बिगड़ने से भव बिगड़ ही जाता है

punjabkesari.in Wednesday, Dec 17, 2025 - 09:42 AM (IST)

पाप और पुण्य
पाप और पुण्य में विवाद हो गया। पुण्य बोला, ‘‘मैं बड़ा हूं।’’
पाप बोला, ‘‘मैं बड़ा हूं।’’
पाप ने पुण्य से पूछा, ‘‘तुम कैसे बड़े हो?’’
पुण्य ने कहा, ‘‘मैं इसलिए बड़ा हूं क्योंकि सारी दुनिया मुझे चाहती है।’’
फिर पुण्य ने पूछा, ‘‘और तुम कैसे बड़े हो?’’
पाप ने कहा, ‘‘मैं इसलिए बड़ा हूं क्योंकि सारी दुनिया मुझे करती है।’’
पुण्य को सिर्फ चाहना नहीं करना भी है। जिसको छिपा कर किया जाए वह पाप है जिसको खुल कर किया जाए वह पुण्य।

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सबसे बड़ा सुरक्षा कर्मी
पुण्य सबसे बड़ा सुरक्षा कर्मी है। अत: सत्कर्म करते चलो और पुण्य से झोली भरते चलो। केवल पैसा मत कमाओ। पैसे के साथ प्रतिष्ठा और प्रसन्नता भी कमाओ। पैसा तो वेश्या भी कमा लेती है। प्रतिष्ठा और प्रसन्नता पुण्य की हमजोली हैं। पैसा इस लोक में काम आ सकता है, परलोक में नहीं। परलोक में तो तुम्हारा पुण्य ही काम आएगा। वह पुण्य प्रभु के दर पर सिर झुकाने और प्रभु के बताए पथ पर चलने से मिलता है।

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तामसिक प्रार्थना
आज के आदमी का भोजन ही तामसिक नहीं हुआ, बल्कि उसकी प्रार्थना भी तामसिक हो गई है। आदमी प्रार्थना करने बैठता है और कहता है, ‘‘हे प्रभु! मैं सुखी रहूं, मेरे बीवी-बच्चे सुखी रहें, बाकी दुनिया जाए भाड़ में। दुनिया भाड़ में जाएगी या नहीं जाएगी, मुझे नहीं पता, लेकिन कहने वाला तो भाड़ में जरूर जाएगा, क्योंकि तूने भाव बिगाड़ लिए और भाव बिगड़ने से भव बिगड़ ही जाता है।’’

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इंटैलीजैंट बच्चे
अब बेवकूफ बच्चे पैदा होना बंद हो गए हैं। बड़े इंटैलीजैंट बच्चे पैदा हो रहे हैं। एक पांच साल की लड़की दुकानदार से बोली, ‘‘अंकल जी, जब मैं बड़ी हो जाऊंगी तो आप अपने बेटे की शादी मुझसे कराएंगे क्या?’’
दुकानदार हंसा और बोला, ‘‘हां बेटी, क्यों नहीं?’’
लड़की बोली, ‘‘तो फिर अपनी होने वाली बहू को एक चाकलेट दे दो न।’’
चूंकि अब बच्चे कम्प्यूटराइज्ड हो गए हैं। अत: उन्हें पारंपरिक ज्ञान से नहीं, आधुनिक विज्ञान से समझाइए।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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