Muni Shri Tarun Sagar: देश में एक और महाभारत जरूरी है

punjabkesari.in Tuesday, May 04, 2021 - 10:19 AM (IST)

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24 घंटे में 24 मिनट
एक व्यक्ति को मैंने कहा, ‘‘सुबह उठकर णमोकार-मंत्र का 108 बार जाप करो। वह बोला, ‘‘यह तो बहुत ज्यादा  है।’’
मैंने कहा, ‘‘ठीक है, 36 बार मंत्र जाप करो।’’
वह बोला, ‘‘यह भी ज्यादा है, और कुछ कम?’’
मैंने कहा, ‘‘तो 9 बार करो।’’
वह बोला, ‘‘कुछ और कम?’’
मैंने कहा, ‘‘तो 3 बार करो।’’
वह बोला, ‘‘थोड़ा और कुछ कम?’’
मैंने कहा, ‘‘तो एक बार मंत्र जाप करो।’’
वह बोला, ‘‘थोड़ा और कुछ कम?’’
मैंने कहा, ‘‘अब चुल्लू भर पानी में डूब मरो।’’
सच है जो 24 घंटे में 24 मिनट भी प्रभु स्मरण के लिए नहीं निकाल सकता उसे जीने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।

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बूढ़ा नहीं होता समय
समय कभी बूढ़ा नहीं होता। समय के चेहरे पर न तो कभी झुर्रियां पड़ती हैं और न ही सुस्ती आती है। उलटे उसके चेहरे पर दिन-प्रति-दिन निखार आता जाता है। समय अगर बूढ़ा होता तो कब से उसके पांव कब्र में लटक गए होते। समय बहुमूल्य है, इसे व्यर्थ मत गंवाइए। जो समय एक बार हाथ से निकल जाता है, वह दोबारा लौटकर नहीं आता। समय की पूजा करो, समय तुम्हें पूज्य बना देगा। तुम कहते हो ‘‘क्या करूं, समय काट रहा हूं।’’ मैं कहता हूं,‘‘तुम क्या समय को काटोगे, समय ही तुम्हारी जिंदगी का हर पल काट रहा है।’’

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अगला महाभारत
देश में एक और महाभारत जरूरी है। पहले जो महाभारत हुआ था वह तख्त और ताज के लिए हुआ था। अब जो महाभारत होगा वह तख्त और ताज के लिए नहीं, बल्कि सत्य और अहिंसा की आवाज के लिए होगा।

इस धर्म-युद्ध में संत-मुनियों को कृष्ण की भूमिका अदा करनी होगी तथा सभी अहिंसक-शक्तियों को मिलकर अर्जुन का गांडीव संभालना होगा। हमें चाहिए कि हम हिंसक-शक्तियों को गेटवे-ऑफ-इंडिया से बाहर खदेड़ फैंकें। कारण, जीव हिंसा और मांस निर्यात हमारा इतिहास नहीं है, कत्लखाने खोलना हमारी संस्कृति नहीं है लेकिन दुर्भाग्य से अहिंसा का पुजारी यह देश आज हिंसा के बुखार में तप रहा है।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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