Muni Shri Tarun Sagar: ‘कड़वे प्रवचन...लेकिन सच्चे बोल’
punjabkesari.in Friday, Jan 22, 2021 - 09:05 AM (IST)
प्रवाह के विरुद्ध बहना सीखो
जीवन में कुछ करना है तो हिम्मत चाहिए। जिधर दुनिया बह रही है, उधर तुम भी बह गए तो इसमें क्या बहादुरी है? गंगोत्री से गंगा सागर की यात्रा तो मुर्दा भी कर लेता है लेकिन गंगा-सागर से गंगोत्री की यात्रा करने के लिए भुजाएं चाहिएं। जिधर दुनिया बह रही है, उधर तुम भी बहोगे तो मुर्दा कहलाओगे। मर्द कहलाना है तो प्रवाह के विरुद्ध बहना सीखो। डूबना तो मुर्दे को भी आता है। भुजाओं की ताकत तो इस बात में है कि तुम तैरना जानते हो।
चिंता का भूत
चिंता और मक्खी एक जैसी होती हैं। इन दोनों को जितना उड़ाएंगे, उतनी ही ज्यादा परेशान करेंगी। चिंता का भूत जिसके पीछे पड़ जाता है वह जीते जी मर जाता है। चिता तो सिर्फ मुर्दे को जलाती है पर चिंता जिंदा आदमी को रेशे-रेशे जलाती रहती है। चिंता का समाधान सिर्फ चिंतन है। चिंतन के चंदन का लेप करेंगे तो चिंता का दाह दूर होगा।
मरने से पहले नहीं मरें
भय से बचें। भय का भूत सबसे बड़ा भूत है। रात में किचन में जाकर पानी पीने में डर लगता है क्योंकि हमें लगता है कि वहां कोई (भूत) है। ऐसे समय में सोचना : अरे जो वहां है, वह यहां भी तो आ सकता है, फिर डर क्यों? डर के कारण हम रोज मरते हैं। शपथ खाओ मैं मरने से पहले नहीं मरूंगा और जिंदगी में सिर्फ एक बार ही मरूंगा।
समय निकालना पड़ता है
समय बड़ा कीमती है। इसे कोई नहीं खरीद सकता। समय धन है। यह बिल्कुल सही है लेकिन क्या हम समय का उतना सम्मान करते हैं जितना पैसे का करते हैं। कुछ लोग मिनटों को बचाने के लिए घंटे नष्ट कर देते हैं और कुछ लोग पैसों को बचाने के लिए जिंदगी को खत्म कर देते हैं-इन्हें आप क्या कहेंगे? कुछ अच्छा करने को कहो तो लोग कहते हैं-क्या करें, समय नहीं मिलता। मैं कहता हूं समय मिलेगा नहीं, समय में से समय निकालना पड़ता है।